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नेमप्लेट विवाद पर प्रसिद्ध संत मोरारी बापू बोले, 'हर चीज को राजनीति का मुद्दा नहीं बनाएं'...

नेमप्लेट विवाद पर प्रसिद्ध संत मोरारी बापू बोले, 'हर चीज को राजनीति का मुद्दा नहीं बनाएं'...

नई दिल्ली, ब्यूरो। जाने-माने आध्यात्मिक गुरु मोरारी बापू ने कांवड़ यात्रा मार्ग में आने वाली दुकानों और रेस्टोरेंट के मालिकों के नेमप्लेट लगाने के आदेश पर जारी विवाद को लेकर अपनी प्रतिक्रिया दी.उन्होंने कहा कि ये यात्रा लोगों की श्रद्धा की यात्रा है, यहां कोई प्रतिस्पर्धा नहीं है। मैंने कांवड़ यात्रा हर प्रांत में देखी है, ज्योर्तिलिंग के समय भी हम जा रहे थे, कांवड़ यात्रा निकली थी, मैंने भी इसमें भाग लिया था।

मोरारी बापू ने कहा कि राजनीति और राजकीय क्षेत्र मेरा क्षेत्र नहीं है. लेकिन, ये श्रद्धा की यात्रा है. इसको विवाद का मुद्दा नहीं बनाया जाए और लोग इतने भाव से महादेव का अभिषेक करने के लिए कितनी श्रद्धा से 'बम भोले-बम भोले' के जयकारे लगाते हुए जा रहे होते हैं। हर चीज को देश में राजनीति का मुद्दा नहीं बनाना चाहिए, बल्कि श्रद्धा को आगे बढ़ाना चाहिए. सही-गलत का कोई प्रश्न नहीं है. मेरी दृष्टि में, क्योंकि यह क्षेत्र मेरा नहीं है। कोई विवाद में जाना नहीं और जिसमें पक्की श्रद्धा है, वह जान ही लेगा कि मुझे किस तरह आगे बढ़ाना चाहिए, कृपया कोई इसको राजनीतिक मुद्दा ना बनाएं।

इसके साथ ही मोरारी बापू ने अपनी पुस्तकें और डॉक्यूमेंट्री को लेकर कहा कि मैंने कल्पना भी नहीं की थी कि डॉक्यूमेंट्री इतनी सुंदर होगी. मैंने कहा था कि डॉक्यूमेंट्री और यह पुस्तक यह दोनों मेरी दृष्टि में बहुत रिच हैं. अभी तो इंग्लिश और हिंदी में उपलब्ध हैं। लेकिन, मांग है कि उसका कि हिंदीकरण किया जाए, गुजराती में भी हो और भविष्य में अन्य भाषा में भी हो। डॉक्यूमेंट्री को लाइव टेलीकास्ट के जरिए दुनिया ने तो देखा है, अब विशेष रूप में डॉक्यूमेंट्री से सब ज्यादा आत्मसात कर पाएंगे। लेकिन, यही चीजें किताब के रूप में लोगों के पास जाएगी तो बहुत असर करेगी, क्योंकि यह पुस्तक नहीं है, कइयों का मस्तक है। कई लोगों के विचार, अनुभव जो उसके मस्तिष्क में तो यह ऐसा ग्रंथ तैयार हुआ नहीं।

उन्होंने कहा कि मैं लोगों की श्रद्धा, अनुभव और समर्पण को देखकर साधुवाद देता हूं कि लोग किस-किस तरह से सोचते हैं, सबके अपने-अपने व्यक्तिगत अनुभव हैं. इस पर तो ज्यादा प्रकाश वह लोग ही डाल पाएंगे। जो इंटरव्यू रिकॉर्ड किया गया, उसमें तो बहुत कम बोल पाए हैं, समय की सीमा थी. लेकिन, हजारों लोगों ने यह कथा सुनी है। उसके भी अभिप्राय यदि लिए जाएं तो क्या? इसका मैं क्या चाहता हूं? कोई अहोभाव, ज्यादा व्यक्त नहीं करें, इस घटना का मूल्यांकन होना चाहिए. यह भी मूल्यांकन हो, कोई घटना घटे तो उसका मूल्यांकन हो तो वह मुझे ज्यादा अच्छा लगेगा।