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वाराणसी::"या हुसैन या हुसैन"...पुकारते कर्बला पहुंचे ताजियेदार, ताजियों को करबला में किया गया सुपुर्द-ए-खाक, नौजवानों ने दिखाई करतब...

वाराणसी::"या हुसैन या हुसैन"...पुकारते कर्बला पहुंचे ताजियेदार, ताजियों को करबला में किया गया सुपुर्द-ए-खाक, नौजवानों ने दिखाई करतब...


वाराणसी, ब्यूरो। योमे आशूरा यानी दसवीं मोहर्रम बुधवार को मनाया गया। इस दौरान जगह-जगह या हुसैन-या हुसैन की सदाएं गूंजतीं रहीं। घरों, मस्जिद और कर्बला में इबादत कर मजलिस का आयोजन हुआ। कर्बला के शहीदों की याद में 10वीं मोहर्रम बुधवार को शहर और ग्रामीण क्षेत्रों में मनाया गया। 

हुजूर सल्लल्लाहू अलेही वाले हे वसल्लम के नवासे इमाम हुसैन रजि अलेहे और खानदान वालों की शहादत का वाकिया 10 मोहर्रम को कर्बला के मैदान में पेश आया था। ताजिया कमेटी के अध्यक्ष हाजी मुख्तार सैफी ने बताया कि इमाम हुसैन ने नफा नुकसान से ऊपर उठकर सिर्फ सच्चाई, इंसाफ और हक के लिए अपनी कीमती जान का नजराना देकर दुनिया के तमाम इंसानों को सबक दिया कि बेईमानी तानाशाही को हरगिज़ कुबूल ना करो। चाहे अंजाम अपने और परिवार की कुर्बानी देने की शक्ल में हो। 

हजरत इमाम हुसैन ने कर्बला के मैदान में भी अल्लाह की इबादत की और शहीद हो गए। कर्बला का मैदान और हजरत इमाम हुसैन की शहादत हमें सीख देती है कि हर हाल में अल्लाह के सामने सर झुकाएं। 

शनिवार को नगर के अर्दली बाजार, मदनपुरा, बड़ीबाजर, रसूलपुरा, बजरडीहा, पठानीटोला, कोयला बाज़ार, छोहरा, नक्की घाट, सरैया, कोनिया, पचकोशी, सलारपुरा, विजईपुरा से ताजिए, अखाड़े और ढोल बाजे के साथ युवा मुस्लिम करतब दिखाते हुए कर्बला पहुंचे और यहां मोहर्रम का मेला जैसा लगा था। मुस्लिम समुदाय के लोगों ने ढोल ताशे बजा कर गम का इजहार किया। 

और वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में रोहनिया, लोहता, गंगापुर, राजातालाब, जंसा, अकेलवा, कोरौता, नई बाजार, मुनारी से भी ताजिया निकालने का समाचार प्राप्त हुआ है।