महादेव की नगरी काशी में है अनोखा मंदिर जहां दो भागों में बटा है शिवलिंग, यहां शिव-पार्वती व विष्णु-लक्ष्मी के एक साथ होते हैं दर्शन...
वाराणसी, ब्यूरो। सबसे बड़े शैव भगवान विष्णु और सबसे बड़े वैष्णव भगवान शिव कहे जाते हैं। काशी के गौरी केदारेश्वर मंदिर में शैव और वैष्णव दोनों ही परंपरा एकाकार होती है। सोनारपुरा स्थित केदारघाट पर विराजमान गौरी केदारेश्वर मंदिर के शिवलिंग का स्वरूप एकदम अनोखा है।
यह शिवलिंग आमतौर पर दिखने वाले बाकी शिवलिंग की तरह न होकर दो भागों में बंटा है। मान्यता है कि एक भाग में भगवान शिव मां पार्वती के साथ तो दूसरे भाग में भगवान विष्णु माता लक्ष्मी के साथ भक्तों पर आशीष बरसाते हैं।
ऋषि मांधाता को यहां शिवजी ने दिए दर्शन
केदारेश्वर मंदिर शहर के प्राचीन पवित्र स्थलों में से एक है। कहा जाता है कि यहां का शिवलिंग स्वयंभू है। पौराणिक मान्यता के अनुसार ऋषि मांधाता की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने यहां दर्शन दिए थे।
भगवान शिव ने वरदान देते हुए कहा था कि चारों युगों में इस शिवलिंग के चार रूप होंगे। सतयुग में नवरत्नमय, त्रेता में स्वर्णमय, द्वापर में रजतमय और कलयुग में शिलामय होकर यह भक्तों की हर शुभ मनोकामनाओं को पूर्ण करेगा।
यहां केदारनाथ धाम के दर्शन से सात गुना ज्यादा पुण्य फल मिलता है
मान्यता है कि केदारखंड में गौरी केदारेश्वर के दर्शन करने से केदारनाथ धाम के दर्शन का सात गुना अधिक पुण्य फल भक्तों को मिलता है। दो भागों में बंटा यह शिवलिंग हरिहरात्मक और शिवशक्तयात्मक स्वरूप अपने आप में अनोखा है।
इनके दर्शन से भगवान शिव, माता पार्वती, भगवान विष्णु, मां लक्ष्मी और मां अन्नपूर्णा के दर्शन व कृपा की प्राप्ति होती है। रानी अहिल्याबाई होल्कर ने मंदिर की व्यवस्था में सुधार कराया था।
शिवजी यहां खुद आते हैं खिचड़ी खाने
मान्यता है कि भगवान शिव स्वयं यहां भोग ग्रहण करने आते हैं। स्वयंभू शिवलिंग पर बेलपत्र, दूध और गंगाजल के साथ ही भोग में खिचड़ी चढ़ाई जाती है। मंदिर की पूजन विधि भी बाकी मंदिरों की तुलना में अलग है। यहां बिना सिला हुआ वस्त्र पहनकर ही ब्राह्मण चार पहर की आरती करते हैं।