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चंदौली::पड़ाव क्षेत्र में कंकड़, गेहूं, अल्युमिनियम, बांस, कागज और शीशे के बने ताजिये देर रात तक निकाले गए, कर्बला में ले जाकर ठंडे किए...

चंदौली::पड़ाव क्षेत्र में कंकड़, गेहूं, अल्युमिनियम, बांस, कागज और शीशे के बने ताजिये देर रात तक निकाले गए, कर्बला में ले जाकर ठंडे किए...

चंदौली, पड़ाव ब्यूरो। हजरत इमाम हुसैन और उनके 72 वीर साथियों की शहादत की याद में दसवीं मोहर्रम पर जुलूस की शक्ल में ताजियों के साथ अकीदतमंदों का हुजूम निकला। यह जुलूस इमाम चौकों से निकला, जहां उन्होंने नवीं मोहर्रम पर ताजियों को स्थापित कर रखा था। ताजियों को लेकर वे करबला पहुंचे और वहां उसे दफन करने की रवायत पूरी की। ताजियों के साथ अकीदतमंदों के निकलने का सिलसिला दोपहर एक बजे के करीब शुरू हुआ। तरह-तरह के आकार के भव्य ताजियों के विभिन्न अखाड़ों के लोग करतब दिखाते चल रहे थे।

कुछ युवा तो ऐसे-ऐसे करतब दिखा रहे थे, लोगों को आश्चर्यचकित कर दे रहे थे। जुलूस में बैंडबाजे और शहनाई की मातमी धुन इमाम हुसैन की शहादत की लगातार याद दिला रही थी। कंकड़, गेहूं, अल्युमिनियम, बांस, कागज और शीशे के बने ताजिये लोगों का ध्यान बरबस खींच रहे थे।
उधर, इस अवसर पर घर-घर फातिहा पढ़ने का सिलसिला भी जारी था। छोटे ताजिए दिन में निकले, जबकि बड़े ताजियों के निकलने का समय शाम से लेकर रात तक रहा।

सभी ताजिये सतपोखरी, मलोखर, मढिया, शकूराबाद, मोहम्मदपुर, दुलहीपुर, डांडी, महाबलपुर, भिसौड़ी, कुंडा कला,जलीलपुर, हरिशंकरपुर, बगही के साथ ही नई बस्ती के लोग अपने अपने करबला तक पहुंच रहे थे। ताजिया दफन करने के बाद जुलूस वापस अपने-अपने इमाम चौक तक आ रहा था, जहां उसके समाप्ति का एलान हो रहा था।

सभी जुलूसों का नेतृत्व इमामबाड़ों के मुतवल्ली कर रहे थे। इस दौरान गरीबों में खाना, शर्बत, खिचड़ी भी बांटी गई। इससे पहले अकीदतमंदों ने गुस्ल किया और खुदा की इबादत की। तिलावत-ए-कलाम पाक किया गया और मजलिस लगी। इसमें इमाम हुसैन की कुर्बानी पर प्रकाश डाला गया।
 
ऐलुमिनियम की ताजिया रहीं आकर्षण का केंद्र

दसवीं मोहर्रम का सूरज डूबा तो शामे गरीबां आ गई। कर्बला में हुसैन और उनके साथियों की शहादत के बाद उनके खेमे जला दिए गए। दस मोहर्रम पर बुधवार को जुलूसों का जो सिलसिला शुरू हुआ वह रात भर जारी रहा। इस दौरान लगभग सभी प्रमुख सड़कों पर भीड़ उमड़ी रही।

सड़कें ताजियों के जुलूस से गुलजार रहीं और हर लबों पर या हुसैन की सदाएं रहीं। वहीं, पर सतपोखरी गांव निवासी नियाज अहमद ने मीडिया को बताया कि, 50 किलों ऐलुमिनियम व 20 किलो स्टील की पाइप से आठ फिट ऊंचाई की ताजिया तीन महीने के समय लगा था बनाने में। यह ताजिया लोगों के विशेष आकर्षण व श्रद्धा का केंद्र रहीं, जो सबसे लंबी और खूबसूरत हैं। हस्तकला की बेहतरीन मिसाल पेश करने वाले ये ताजिए सभी की अकीदत व आकर्षण का केंद्र रहीं।