29 अगस्त :: 20 इस्लामिक आतंकियों को मार कर आज ही के दिन वीरगति को प्राप्त हुए थे, मेजर सुधीर वालिया जी...
विशेष :: आज मेजर सुधीर वालिया जी का बलिदान दिवस है। अशोक चक्र प्राप्त एक बार फिर इस वीर बलिदानी के माता-पिता की आंखे नम हैं जिनका बेटा देश की रक्षा करते हुए वीरगति को प्राप्त हुआ.. उनकी माता श्रीमति राजेशवरी और पिता श्री रूलिया राम वालिया अपने परिवार सहित उन्हें पुष्प अर्पित करेंगे.आज ही के दिन अर्थात 29 अगस्त को सन 1999 को मेजर सुधीर वालिया जी ने भारत मां की एकता, अखंडता व् स्वाभिमान की रक्षा करते हुए अपने प्राणों का बलिदान दिया।
मेजर सुधीर जी बनूरी, पालमपुर के रहने वाले थे और उन्होंने अपनी प्राइमरी शिक्षा भी बनूरी से ही की. सैनिक स्कूल, सुजानपुर में पढ़ाई के बाद वे आर्मी में भर्ती हुए. 30 वर्ष की अल्पआयु में वे देश की रक्षा करते हुए बलिदान हो गए. उनके इस बलिदान के लिए उन्हें 26 जनवरी 2000 को वीरगति उपरान्त अशोक चक्र से सम्मानित किया गया. 29 अगस्त 1999 को प्रात: 08:30 बजे मेजर सुधीर कुमार जी पांच जवानों के एक स्कवाड को लेकर जम्मू व कश्मीर के कुपवाड़ा जिले के हफरूदा जंगल की घनी झाडिय़ों की ओर बढ़े. शीघ्र ही उन्हें आंतकवादियों की आवाजें सुनाई देनें लगीं किंतु वे उन्हें नजर नहीं आ रहे थे।
मेजर सुधीर कुमार जी अपने एक साथी के साथ रेंगते हुए ऊंचे स्थान की ओर बढ़े. जब वे पहाड़ी पर पहुंचे तो उन्हें केवल चार मीटर की दूरी पर खड़े दो सशस्त्र आतंकवादी और नीचे 15 मीटर की गहराई पर आतंकवादियों एक बड़ा और बंद ठिकाना नजर आया. इस अफसर ने तुरंत नजदीकी संतरी पर गोली चलाकर उनका खात्मा कर दिया और फिर दूसरे संतरी पर आक्रमण कर दिया किंतु वह कूदकर अपने ठिकाने में जा घुसा. मेजर सुधीर कुमार जी ने बिना किसी हिचकिचाहट के अपने साथी द्वारा की जा रही गोलीबारी की आड़ लेकर आतंकवादियों के ठिकाने पर धावा बोल दिया।
उस ठिकाने के अंदर मौजूद लगभग 20 आतंकवादी मेजर सुधीर कुमार जी की इस कार्यवाही से भौचक्के रह गए और वे वहां से निकल भागने के प्रयास में बाहर की ओर दौड़े. वह अफसर अकेला ही उनके साथ गुत्थमगुत्था हुआ और केवल 2 किलोमीटर की दूरी से उन पर गोलीबारी कर चार आतंकवादियों को मार गिराया. इस कार्यवाई में उनके चेहरे, छाती और बाजू में कई गोलियां लग गई और अत्याधिक खून बह जाने के कारण वे उस ठिकाने के प्रवेश द्वार पर गिर पड़े. गोलियों के जख्मों से घायल होने के कारण चल पाने में असमर्थ होने के बावजूद मेजर सुधीर कुमार जी ने अपने सभी कमांडरों और आसपास तैनात टुकडिय़ों से रेडियो सेट पर संपर्क करते हुए उन्हें निर्देश दिया कि वे डटे रहें और बाकी बचे आतंकवादियोंं को भागने का मौका न दिया जाए।
35 मिनट के पश्चात जब दोनों ओर से गोलीबारी रुक गई तभी वे वहां से हटाए जाने के लिए तैयार हुए. अत्याधिक रक्त बहते जाने के बावजूद वे संपर्क क्षेत्र में अपने सैन्य बलों को रेडियो सेट से अनुदेश देते रहे. अपना रेडियो सेट थामे हुए ही वे वीरगति को प्राप्त हुए. मेजर सुधीर कुमार ने इस प्रकार अति उत्कृष्ट बहादुरी, साहस तथा अतुलनीय शौर्य का प्रदर्शन करते हुए भारतीय सेना की उच्चतम परंपराओं के अनुरूप सर्वोच्च बलिदान दिया. आज उस पराक्रमी वीर के बलिदान दिवस पर सुदर्शन परिवार उन्हें बारम्बार नमन , वंदन और अभिनन्दन करता है ..
मेजर सुधीर वालिया अमर रहें .. जय हिन्द की सेना