काशी विश्वनाथ मंदिर से 300 मी. दूर गोदौलिया के पास स्थित है गौतमेश्वर महादेव मंदिर, जिसे नवाबों के कब्जे से काशी नरेश ने मुक्त कराया...
वाराणसी, ब्यूरो। काशी की हर गली और मुहल्ले के शिवालयों में विराजमान हैं। उन्हीं में एक काशी विश्वनाथ मंदिर से 300 मीटर दूर गोदौलिया के पास स्थित गौतमेश्वर महादेव है। यहां दर्शन-पूजन से धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष की प्राप्ति होती है। सावन में दर्शन-पूजन का विशेष महत्व है। काशी नरेश ने इस मंदिर को एक नवाब से मुकदमे में जीता था।
काशी खंड में गौतमेश्वर महादेव का वर्णन मिलता है। मंदिर के प्रधान पुजारी पं. रामदयाल पाठक 'नन्हकू' ने बताया कि कभी गोदौलिया पर गोदावरी कुंड था। इसी के तट पर गौतम ऋषि का आश्रम था। वहीं पर गौतमेश्वर महादेव का मंदिर था।
कहा जाता है कि जिस जमीन पर मंदिर था वो जमीन किसी नवाब की थी। वहां पर मुसलमान चाकू तेज करने का काम करते थे। करीब 200 साल पहले एक श्रद्धालु मंदिर में दर्शन के लिए जा रहा था। मुसलमानों ने उसे वहां जाने से रोक दिया।
इसकी शिकायत काशी नरेश महाराज प्रभु नारायण सिंह से की गई। अगले दिन काशी नरेश अपने मंत्री के साथ मंदिर पहुंच गए। उन्होंने नवाब से उस जमीन की कीमत पूछी। इस पर नवाब ने उनसे कहा कि आप लाल किले की कितनी कीमत लेंगे, हम उसे खरीदेंगे।
इसी के बाद दोनों में गौतमेश्वर महादेव मंदिर वाली जमीन को लेकर मुकदमा शुरू हो गया। काशी नरेश तीन बार मुकदमा हार गए। हताश होकर गौतमेश्वर के समक्ष संकल्प लिया कि अब अगर हारे तो आपकी हार होगी। मुकदमा फिर शुरू हुआ।
इधर, मुसलमान सोचने लगे कि सब झगड़े की जड़ एक मात्र शिवलिंग है। इसे गंगा में फेंक दिया जाए। ये सोचकर मंदिर खोदवाने लगे। जमीन जितनी खोदी गई, शिवलिंग बड़ा होता गया। इस बीच नवाब की संपत्ति का क्षरण होने लगा।
परिवार के काफी सदस्य की मृत्यु हो गई। नवाब की भी मृत्यु हो गई। अंत में एक महिला और बच्ची बची। महिला ने वह जमीन छोड़ दी। उसके बाद काशी नरेश मुकदमा जीत गए।