वाराणसी में हैदराबाद सिस्टम हो लागू तभी शहर में ई-रिक्शा होंगे काबू , प्रशासन को बदलना होगा अपना ढुलमुल रवैया, लेने होंगे कड़े फैसले...
वाराणसी, ब्यूरो। हैदराबाद में 9 लाख सीसीटीवी कैमरे लगे हैं, जिससे ट्रैफिक और अपराध को कंट्रोल करने में मदद मिल रही है। ई-रिक्शा चालकों को प्रशिक्षण दिया जाता है। कैम्प लगाकर इनका डीएल भी बनाया जाता है। इसके उलट स्मार्ट सिटी वाराणसी की बात करें तो यहां पर सीसीटीवी कैमरों की संख्या 1000 से अधिक नहीं है। प्रशिक्षण और डीएल के लिए कैम्प नहीं लगाया जाता। यही वजह है कि ट्रैफिक कंट्रोल में समस्या आ रही है।
वाराणसी में ट्रैफिक जाम के लिए लगातार ई - रिक्शा को ही जिम्मेदार माना जाता है, जबकि अतिक्रमण की वजह से सबसे ज्यादा जाम लगता है। यूनियन ने भी ई - रिक्शा को लेकर सिस्टम बनाने और व्यवस्थित संचालन को लेकर सुझाव दिए, लेकिन अफसरों ने इस ओर ध्यान नहीं दिया। ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या अफसरों को यूनियन का प्रपोजल रास नहीं आया।
सात साल में संख्या 24,000 पार
वाराणसी में पीएम नरेंद्र मोदी ने 2016 में ई-रिक्शा की शुरुआत की थी, जिसे रोजगार के एक साधन के रूप में प्रोत्साहित किया गया था. यह इतनी तेजी से बढ़ा कि सात साल में ही ई-रिक्शा की संख्या 24,000 तक पहुंच गई। इतनी बढ़ती संख्या से शहर का ट्रैफिक सिस्टम बिगड़ गया है। हालांकि, अखिल भारतीय ई-रिक्शा चालक यूनियन का तर्क है कि अतिक्रमण और बड़ी गाडिय़ों की वजह से शहर में जाम लगता है। पढ़े-लिखे और प्रशिक्षित नहीं होने के कारण ई-रिक्शा चालकों को समस्याओं का सामना करना पड़ता है। शहर में ई-रिक्शा को व्यवस्थित करने के लिए यूनियन लगातार नगर निगम, जिला प्रशासन और कमिश्नरेट पुलिस से वार्ता कर रही है।
ये दिए प्रपोजल
- शहर के केंद्र में प्रस्तावित 100 बसों का संचालन न किया जाए. इन्हें शहर के बाहरी क्षेत्रों के लिए उपयोग में लाया जाए।
- ई-रिक्शा चालकों के लिए यातायात नियमों और स्थितियों के बारे में अनिवार्य प्रशिक्षण केंद्र स्थापित किए जाएं।
- ई-रिक्शा खरीदारों के लिए मुद्रा लोन के नियमों में सुधार किया जाए, ताकि वे सरकारी बैंकों से आसानी से लोन प्राप्त कर सकें।
- ई-रिक्शा बैटरी पर 50 प्रतिशत तक की सब्सिडी दी जाए।
- टोटो बैटरी पर जीएसटी की दर 28 से घटाकर 5 प्रतिशत की जाए।
- ई-रिक्शा के बीमा और फिटनेस की दरों में कमी की जाए।
- ई-रिक्शा स्टैंड पार्किंग और चार्जिंग स्टेशनों की स्थापना की जाए।
- पुलिस और नगर निगम द्वारा ई-रिक्शा चालकों के उत्पीडऩ को रोका जाए।
सबसे ज्यादा चार्जिंग स्टेशन वाला सिटी होगा वाराणसी
यूनियन की पहल पर नगर निगम ने नगरीय सीमा क्षेत्र में 34 स्थानों पर ई-रिक्शा चार्जिंग स्टेशन बनाने का प्लान तैयार किया है। इसके लिए शासन के पास प्रस्ताव भी भेजा गया है। बता दें कि ई-रिक्शा संगठनों ने इसके लिए नगर आयुक्त से गुहार लगाई थी, जिसके बाद वाराणसी नगर निगम ने ये कदम उठाया है। वाराणसी में अभी सिर्फ दो स्थानों पर चार्जिंग की सुविधा है। 34 चार्जिंग स्टेशन बनने के बाद वाराणसी सबसे ज्यादा ई-रिक्शा चार्जिंग प्वाइंट तैयार करने वाला प्रदेश का पहला क्षेत्र हो जाएगा।
वर्जन
जाम के लिए ई-रिक्शा चालक को जिम्मेदार ठहराया जाता है, लेकिन अभी तक नगर निगम और पुलिस विभाग की ओर से कोई नियम या ठोस पहल नहीं की गई है। शहर की व्यवस्थित यातायात के लिए हम लोग भी पूरी मदद के लिए तैयार है।
- बबलू अग्रहरि
जाम के लिए ई-रिक्शा चालक नहीं, बल्कि वाहनों की बढ़ती संख्या जिम्मेदार है। मिर्जापुर और चंदौली के ई-रिक्शा भी शहर में आ गए हैं, जिससे समस्या ज्यादा आ रही है. पुलिस विभाग को अभियान चलाकर कार्रवाई करनी चाहिए।
- सोनू कुमार
ई-रिक्शा चालक भी सिस्टम में आना चाहते हैं। कई बड़े शहरों में चालकों को प्रशिक्षित किया जाता है, लेकिन बनारस में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है। डीएल के लिए भी स्पेशल कैम्प लगना चाहिए, लेकिन यहां पर दलाल के बिना कोई काम नहीं होता है।
- शशिकांत
पिछले पांच महीने में पुलिस कमिश्नर, डीएम और नगर आयुक्त से कई बार मुलाकातें की हैं। आश्वासन तो मिला है, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। इसके विपरीत, मार्ग निर्धारण जैसे कदम उठाए जा रहे हैं, जो ई-रिक्शा चालकों की स्थिति को और भी खराब कर सकते हैं। यदि जल्द ही इनकी परिस्थितियों में सुधार नहीं हुआ, तो हम 2 सितंबर से इंग्लिशिया लाइन ई-रिक्शा स्टैंड पर अनिश्चितकालीन अनशन करने के लिए बाध्य होंगे।
- प्रवीण काशी, राष्ट्रीय अध्यक्ष, अखिल भारतीय ई-रिक्शा चालक यूनियन
ई-रिक्शा यूनियन ने विभिन्न मांगों को लेकर वार्ता की थी. शहर और सिस्टम की बेहतरी के लिए जो भी सही होगा, उस पर विचार किया जाएगा. ई-रिक्शा के लिए चार्जिंग स्टेशन खोलने की प्रक्रिया चल रही है.
अक्षत वर्मा, नगर आयुक्त।