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वाराणसी की सड़कों पर नाबालिग-नौसिखियों के हाथों में ई रिक्शा, नियमों की दिनदहाड़े प्रशासन के सामने उड़ रहीं धज्जियां...

वाराणसी की सड़कों पर नाबालिग-नौसिखियों के हाथों में ई रिक्शा, नियमों की दिनदहाड़े प्रशासन के सामने उड़ रहीं धज्जियां...

वाराणसी, ब्यूरो। स्मार्ट सिटी वाराणसी की सड़कों पर नियम-कायदों को ताक पर रखकर बेखौफ ई-रिक्शा दौड़ाए जा रहे हैं। आधे से अधिक ई-रिक्शा की स्टेयरिंग नाबालिगों और नौसिखियों के हाथ में है। वे ई-रिक्शा को लापरवाही और अनियंत्रित गति से सड़कों पर दौड़ा रहे हैं। इससे दुर्घटनाओं की आशंका अधिक रहती है। शहर के इंग्लिशिया लाइन, जंगमबाड़ी के पास अक्सर ई-रिक्शा का जमावड़ा रहता है।

केस-1 नई सड़क

वाराणसी। ई-रिक्शा यूपी 65 एलटी 9796 का हैंडिल नाबालिग के हाथ में था। यह गिरिजाघर से लहुराबीर तक रोजाना सुबह से रात चलता है। इस रूट में सिर्फ यही नहीं, इसके जैसे कई नाबालिग लड़के हैं, जो बेखौफ होकर पुलिस की नजरों के सामने से ही ई-रिक्शा से भर्राटा भरते हैं।

केस-2 सिगरा

ई-रिक्शा यूपी 65 एलटी 8574 की स्टेयरिंग भी नाबालिग के हाथ में नजर आई। यह सिगरा से रथयात्रा की ओर जाने के लिए सवारी का इंतजार कर रहा था। इस रूट पर आधे से अधिक ई-रिक्शा की स्टेयरिंग नाबालिग लड़कों के हाथों में होती है, जो सुबह से रात तक पब्लिक को बैठाकर ई-रिक्शा से भर्राटा भरते हैं।

स्मार्ट सिटी वाराणसी की सड़कों पर नियम-कायदों को ताक पर रखकर बेखौफ ई-रिक्शा दौड़ाए जा रहे हैं। आधे से अधिक ई-रिक्शा की स्टेयरिंग नाबालिगों और नौसिखियों के हाथ में है। वे ई-रिक्शा को लापरवाही और अनियंत्रित गति से सड़कों पर दौड़ा रहे हैं। इससे दुर्घटनाओं की आशंका अधिक रहती है। शहर के इंग्लिशिया लाइन, जंगमबाड़ी के पास अक्सर ई-रिक्शा का जमावड़ा रहता है। 

अधिकतर ई-रिक्शा पर स्टेयरिंग संभालते नाबालिग ड्राइवर दिख जाएंगे। सवारी बैठाने के लिए सभी में जबर्दस्त होड़ दिखती है। जैसे ही सवारी भरी, ये भीड़ को चीरते हुए निकल लेते हैं। कमोबेश ऐसा ही हाल पीलीकोठी, गोलगड्डा, सिटी स्टेशन, चौकाघाट, कचहरी, गोदौलिया, लंका, सारनाथ, कैंट, कमच्छा, मैदागिन, कज्जाकपुरा, नमोघाट, लहुराबीर, प्रह्लाद घाट, अस्सी, दुर्गाकुंड, रथयात्रा समेत दो दर्जन से अधिक चौराहों का है।

संचालन का कोई नियम ही नहीं इनके लिए 

शहर में ई-रिक्शा संचालन का कोई नियम नहीं है। जिले में ई-रिक्शा बेचने की एजेंसियां भी बहुत हैं। इनका पंजीयन एआरटीओ कार्यालय में होता है। पंजीयन के दौरान ड्राइवर का लाइसेंस होना अनिवार्य है, लेकिन परमिट की कोई व्यवस्था नहीं होने से इनकी संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। इस कारण इनका रूट निर्धारण नहीं हो पा रहा।

एक दिन में 100 से अधिक चालान

ई-रिक्शा की मनमानी पर लगाम लगाने के लिए ट्रैफिक पुलिस लगातार कार्रवाई कर रही है। जिन ई-रिक्शा का फिटनेस नहीं है। उनको सीज किया जा रहा है। बीते एक महीने में दो हजार से अधिक ई-रिक्शा के खिलाफ कार्रवाई की गई है। पिछले शुक्रवार को फिटनेस व परमिट के बिना सड़क पर चलने वाले 100 से अधिक आटो व ई-रिक्शा को ट्रैफिक पुलिस ने सीज किया था।

दुरुपयोग भी बढ़ा

ई-रिक्शा का चलन बढऩे से इसका दुरुपयोग भी बढ़ गया है। लालच में इसकी कमान अभिभावकों ने नाबालिगों के हाथों में थमा दी है। वहीं, कुछ नाबालिग अपने शौक पूरा करने व पैसा कमाने को ई-रिक्शा चला रहे हैं। यह ई-रिक्शा को अनियंत्रित गति व लापरवाही व बिना किसी डर के दौड़ा रहे हैं। इससे हर समय उसमें बैठी सवारियों को ही नहीं अन्य वाहनों व राहगीरों को भी दुर्घटना होने का खतरा बना रहता है।

नाबालिग के वाहन चलाने पर 25 हजार का जुर्माना

अभिभावक तो दस वर्ष से अधिक होने पर ही बच्चों को वाहन चलाना सिखा देते हैं। फिर वह दो पहिया या चार पहिया वाहनों को बिना खौफ अनियंत्रित गति से दौड़ाते हैं। अब नाबालिग द्वारा वाहन चलाने पर 25 हजार रुपये का जुर्माने का वाहन अधिनियम में प्रावधान है। वहीं, इसमें दुर्घटना होने पर वाहन का पंजीकरण निरस्त करने व तीन साल की सजा भी भुगतनी होगी।

शुरुआत में मुख्य सड़क पर चार से पांच ई-रिक्शा चलते थे, लेकिन इस पर सफर अनसेफ था। प्रदूषण के लिहाज से इसका चलना सही है, लेकिन इतना भी नहीं कि परेशानी बन जाए।
- मनोज शर्मा

शहर में दौड़ रहे अधिकतर ई-रिक्शा की स्टेयरिंग नाबालिग बच्चों के हाथ में है।इनकी लापरवाही और ओवरटेक की वजह से अक्सर दुर्घटना होती है। कई बार तो लोग चोटिल भी हो जाते हैं।
- सुशील कुमार 

ट्रैफिक सिपाहियों को चाहिए कि ई-रिक्शा चालक अगर नियम तोड़ें तो उसे गंभीरता से लें। उन पर तुरंत कार्रवाई करें। कार्रवाई नहीं करने से उसका मनोबल बढ़ता है।
- आशुतोष सिंह

जिस तरह ओवर स्पीड करने पर बाइक और कार का चालान किया जाता है। उसी प्रकार ई रिक्शा का भी चालान होना चाहिए। तभी समस्या का निदान होगा।
- संतोष यादव

नाबालिगों को वाहन चलाने की अनुमति नहीं है। इसके बाद भी वह वाहन चलाते या वाहन चलाते समय दुर्घटना करने के आरोप में पकड़े जाते हैं, तो गाड़ी के मालिक व अभिभावक को दोषी मानते हुए तीन साल की सजा के साथ 25 साल की उम्र तक दोषी नाबालिग को ड्राइविंग लाइसेंस भी नहीं दिया जाएगा।
- श्यामलाल यादव, एआरटीओ प्रवर्तन वाराणसी।