सुल्तानपुर::गुड़िया पीटते समय तालाब में डूबे दो सगे भाईयों की हुई मौत..गमजादा है परिवार...
सुल्तानपुर, ब्यूरो। कादीपुर कोतवाली क्षेत्र के जटौली बनके गांव में शुक्रवार को सुबह तालाब में गुड़िया पीटते समय दो सगे भाई डूब गए। ग्रामीणों ने कुछ ही देर में उन्हें बाहर निकाल लिया और सीएचसी ले गए, लेकिन तब तक दोनों की मौत हो चुकी थी। नागपंचमी के पर्व के दिन दो भाइयों की मौत से पूरे गांव में मातम का माहौल हो गया है।
कादीपुर क्षेत्र के जटौली बनके गांव निवासी सोहन यादव के पुत्र आंशिक (12) और अंश (8) सुबह करीब 11 बजे गुड़िया पीटने घर से कुछ दूर हरदौना तालाब पर गए थे। गांव की महिलाएं कपड़े की बनी गुड़िया तालाब में फेंक रहीं थीं और वहां मौजूद बच्चे डंडे से गुड़िया पीट रहे थे। इसी बीच आंशिक और अंश तालाब में गहरे पानी में चले गए। दोनों को डूबता देख वहां मौजूद महिलाओं ने शोर मचाया, जिस पर आसपास मौजूद ग्रामीण मदद के लिए पहुंच गए।
आननफानन दोनों बच्चों को तालाब से बाहर निकाला गया। उन्हें सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कादीपुर ले जाया गया, जहां चिकित्सक ने दोनों को मृत घोषित कर दिया।
इस दुखद घटना के बाद पूरे गांव में कोहराम मचा हुआ है। गमगीन गांववालों ने बताया कि सोहन यादव के तीन बच्चों में अब सिर्फ बेटी अंशिका (10) ही है। सोहन दिल्ली में प्राइवेट वाहन चलाते हैं। उनकी पत्नी आलती गृहिणी हैं। सोहन के पिता श्रीराम यादव और माता पियारी देवी भी घर पर रहती हैं। दोनों बच्चों की मौत से पर्व की खुशियों पर ग्रहण लग गया है। पुलिस ने दोनों बच्चों के शव पोस्टमार्टम के लिए जिला चिकित्सालय भेज दिए।
सांत्वना देने पहुंचे विधायक
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर पहुंचे क्षेत्रीय विधायक राजेश गौतम ने सांत्वना देते हुए हुए पीड़ित परिवार को दो दिन के अंदर सरकारी सहायता उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया। मौके पर पहुंचे एसडीम उत्तम कुमार तिवारी ने हर हालत में पीड़ित परिवार को शासन से सहायता उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया।
बहनें तालाब में फेंकती हैं गुड़िया
जटौली बनके गांव में ये परंपरा है कि बहनें कपड़े की बनी गुड़िया तालाब में फेंकती हैं। उनके भाई तालाब के किनारे खड़े होकर गुड़िया को डंडे से पीटते हैं। ये परंपरा कई सालों से चली आ रही है। हालांकि, जिस वक्त हादसा हुआ, उस समय आंशिक और अंश की बहन अंशिका घर पर थी। इस दुखद घटना के बाद दोनों बच्चों के परिजन इतने गमगीन थे कि उन्हें संभालना मुश्किल हो रहा था। परिवार ही नहीं, बल्कि गांव के लोग भी इस घटना से बेहद दुखी नजर आए।