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Cyber Crime: 39 लाख की ठगी, वाराणसी साइबर सेल टीम ने आठ महीने बाद MP से सात जालसाज किए गिरफ्तार; 14 हजार ₹ बरामद...

Cyber Crime: 39 लाख की ठगी, वाराणसी साइबर सेल टीम ने आठ महीने बाद MP से सात जालसाज किए गिरफ्तार; 14 हजार ₹ बरामद...

वाराणसी, ब्यूरो। साइबर क्राइम थाने की पुलिस ने पार्ट टाइम जॉब और शेयर मार्केट में निवेश करने पर मुनाफे का झांसा देकर पैसे ऐंठने वाले अंतरराज्यीय गिरोह का भंडाफोड़ किया है। पुलिस ने मध्य प्रदेश के इंदौर से गिरोह के सरगना और उसके छह साथियों को पकड़ा है। आरोपियों की पहचान मध्य प्रदेश के गुना के कड़िया गांव के जितेंद्र अहिरवार, वार्ड नंबर 18 भार्गव कॉलोनी के कमलेश किरार, आनंदपुर मवैया के रामलखन मीना व संजय मीना, मोहम्मदपुर के अमोल सिंह व महूखान के सोनू शर्मा और अशोक नगर के जोलन गांव के निक्की जाट के रूप में हुई है।

आरोपियों के पास से तीन फर्जी मुहर, एक फिंगर प्रिंट स्कैनर, 48 डेबिट कार्ड, सात चेकबुक, दो पासबुक, 18 एटीएम किट, तीन इंटरनेट बैंकिंग स्लिप, 33 फर्जी सिम, चार फर्जी आधार कार्ड, तीन फर्जी पैन कार्ड, दो क्यूआर कोड, 14 मोबाइल, एक कार और 14600 रुपये बरामद किए गए। सभी को अदालत में पेश कर जेल भेज दिया गया।

वाराणसी अस्सी घाट की संभावना त्रिपाठी ने 18 दिसंबर 2023 को साइबर क्राइम पुलिस थाने में मुकदमा दर्ज कराया था। आरोप था कि उनके साथ साइबर क्रिमिनल ने कार बुकिंग का टास्क पूरा करने के नाम पर टेलीग्राम ग्रुप्स और वेबसाइट से उन्हें अपने झांसे में लिया। इसके बाद उन्हें 39 लाख 15 हजार 816 रुपये की चपत लगा दी।

डीसीपी वरुणा जोन/अपराध चंद्रकांत मीना ने बुधवार को बताया कि खुलासे के लिए साइबर क्राइम थाना प्रभारी विजय नारायण मिश्र के नेतृत्व में इंस्पेक्टर राज किशोर पांडेय व अनीता सिंह, दरोगा सतीश सिंह, हेड कांस्टेबल श्याम लाल गुप्ता व आलोक कुमार सिंह और कांस्टेबल प्रभात द्विवेदी की टीम गठित की गई।

जिन वेबसाइट, टेलीग्राम अकाउंट, मोबाइल नंबरों और बैंक खातों की मध्यम से साइबर फ्रॉड किया गया था, टीम ने उनका अध्ययन किया। इसके बाद इलेक्ट्रानिक सर्विलांस और डिजिटल फुट प्रिंट के आधार पर आरोपियों को चिह्नित कर इंदौर से गिरफ्तार किया गया। डीसीपी वरुणा जोन/अपराध ने टीम को 25 हजार रुपये का पुरस्कार और प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया है।

फर्जी वेबसाइट बनाते थे, करते थे बल्क एसएमएस

एडीसीपी वरुणा जोन/अपराध सरवणन टी. ने बताया कि गिरोह ब्रांडेड कंपनियों की ओरिजनल वेबसाइट से मिलती-जुलती फर्जी वेबसाइट बनाता था। उसके बाद बल्क एसएमएस फीचर का प्रयोग कर एक साथ हजारों लोगों को पार्ट टाइम जॉब / शेयर मार्केट में निवेश पर अच्छा लाभ कमाने का प्रलोभन देता था। जब कोई झांसे में आ जाता था तो छोटी धनराशि उसके खाते में क्रेडिट कर बड़ा धन कमाने का लालच देता था।

झांसे में आ जाने पर गिरोह अपनी वेबसाइट और टेलीग्राम ग्रुप में जोड़ता था। वहां गिरोह के सदस्य ही अलग-अलग नाम से बड़ी रकम पाने का स्क्रीन शॉट भेजते थे। इसके बाद गिरोह के सदस्य झांसे में आए व्यक्ति को इन्वेस्टमेंट से संबंधित प्लान बताते हुए कथित कंपनी के बैंक खातों में पैसे डलवा लेते थे।

यह पैसा कंपनी के फर्जी वेबसाइट पर यूजर के अकाउंट में दिखता था और इनवेस्टमेंट का लाभ भी दोगुना या तिगुना दिखता था। इससे झांसे में आए व्यक्ति का विश्वास और बढ़ जाता था। बाद में जब वह पैसे निकालना चाहता था तो निकलता ही नहीं था।

विदेश के आईपी एड्रेस का करते थे इस्तेमाल

एडीसीपी वरुणा जोन/अपराध ने बताया कि साइबर अपराधियों द्वारा लोगों को अपने झांसे में लेने के लिए फ्लैश अमाउंट दिखाया जाता है। जो कि वास्तव में होता ही नहीं है। यह कृत्य साइबर अपराधियों द्वारा वर्चुअल मशीन से चीन, सिंगापुर, थाईलैंड, कंबोडिया व दुबई के आईपी एड्रेस से किया जाता है। ताकि इनकी पहचान उजागर न हो और वह पुलिस की पहुंच से दूर रहें। इस प्रकार पैसों को इनके द्वारा एपीआई या कारपोरेट बैंकिंग में बल्क ट्रांसफर के माध्यम से सेकेंड के अंदर ही फर्जी गेमिंग एप के हजारों यूजर के बैंक खातों व सिंडीकेट के खातों में भेज दिया जाता है। फिर, उसे अलग-अलग माध्यमों से निकलवा लिया जाता है।