Flood in Varanasi: महादेव के शहर में तेजी से चारों ओर फैल रहा गंगा का पानी, तटीय क्षेत्रों में बढ़ी परेशानी, देखें तस्वीरें...
वाराणसी, ब्यूरो। गंगा के जल में क्षैतिज प्रसार होने लगा है यानी अब गंगा का पानी वरुणा नदी व नालों के माध्यम से तथा तटीय इलाकों से बहकर खेतों में फैलने लगा है। तटवर्ती गांवों में बाढ़ का पानी फैलने से लोगों की समस्याएं बढ़ती जा रही हैं, वहीं तटीय क्षेत्रों की सब्जी, ज्वार, बाजरा, धान आदि की फसल नष्ट होने का खतरा बढ़ गया है।
शहर में गंगा के सभी घाट पूरी तरह से डूब चुके हैं। गंगा आरती घाटों की छतों पर तो शवदाह मणिकर्णिका की छतों पर हो रहा है। गनीमत है कि पानी के क्षैतिज फैलाव से बढ़ते जलस्तर के वेग में गिरावट आई है। इससे लोगों ने राहत की सांस ली है।
राजघाट पर सुबह आठ बजे गंगा का जलस्तर बीते 14 घंटों में चार सेमी घटकर 69.30 मीटर पर दर्ज किया गया था। शाम के चार बजे तक आठ घंटों में इसमें 13 सेमी की और गिरावट आई तथा यह 69.17 मीटर पर पहुंच गया था। वाराणसी में चेतावनी बिंदु 70.262 मीटर और खतरे का बिंदु 71.262 मीटर है। पानी के 69 मीटर से ऊपर पहुंचने के साथ ही तटवर्ती इलाके में दुश्वारी बढ़ गई।
सलारपुर इलाके मे दर्जनों मकानों में घुसा बाढ़ का पानी
गंगा का जलस्तर बढ़ने के साथ वरुणा नदी अपने उफान पर है। सारनाथ सलारपुर के डिपो कालोनी के पास के क्षेत्र में रात में लगभग दर्जनों मकानों में बाढ़ का पानी घुस गया। इससे पीड़ित परिवारों ने बाढ़ राहत शिविर की शरण ली।
वहीं विशुन पटेल, कामता पासी, हीरालाल राजभर, जय सिंह राजभर सहित अन्य लोग अपने मकान के पास ही पालीथिन डाल कर गुजर बसर कर रहे हैं। इसी तरह पुराना पुल पुलकोहना, रुप्पनपुर नटुई, दनियलपुर, सलारपुर चमेलिया बस्ती में भी बाढ़ का पानी दर्जनों मकानों में घुस गया है। लोग अन्य जगहों पर किराए के मकान में गुजर बसर कर रहे हैं।
गोमती व नाद नदी उफनाई, पिपरी गांव पानी से घिरा, पुल पर चढ़ा पानी, फसलें जलमग्न
गंगा, गोमती व नाद नदी में बाढ़ का पानी आ जाने से धौरहरा, हरिहरपुर, पिपरी, बर्थरा खुर्द, अजाव, गरथौली, रजवाड़ी, गौरा उपरवार आदि गांवों की नदी किनारे बोई गई बाजरा, धान, गन्ना, सब्जी आदि की फसलें डूब गई हैं।
पानी बढ़ने से पिपरी गांव पानी से चारो तरफ से घिर गया है। धौरहरा से पिपरी गांव जाने वाले पुल पर बाढ़ का पानी आ गया है। फिर भी पिपरी के लोग उसी पुल से आ जा रहे हैं। बाढ़ के पानी का बढ़ाव रुका हुआ है।