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थोड़ी देर में प्रारंभ होगी दूसरे निशा की संध्या, मां कुष्मांडा का सप्त दिवसीय श्रृंगार महोत्सव हुआ शुरू, कलाकारों ने दी अपनी प्रस्तुति...

थोड़ी देर में प्रारंभ होगी दूसरे निशा की संध्या, मां कुष्मांडा का सप्त दिवसीय श्रृंगार महोत्सव हुआ शुरू, कलाकारों ने दी अपनी प्रस्तुति...

ॐजयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तु‍ते।

वाराणसी, ब्यूरो। बाबा विश्वनाथ की नगरी वाराणसी में दुर्गा कुंड स्थित मां दुर्गा का मंदिर है, जहां सात दिवसीय मां कुष्मांडा दुर्गा जी वार्षिक श्रृंगार महोत्सव- 2024 का आयोजन किया गया।मां भगवती दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए सभी भक्तों ने अपनी कला को मां दुर्गा के चरणों मे समर्पित किया।

जिसके मूल रूप से काशी के ही रहने वाले कथक नृत्य कलाकार आशीष सिंह (नृत्य मंजरी दास) जो वर्तमान में वृन्दावन धाम में रहकर कथक की सेवा कर रहे। उन्होंने अपनी नृत्य कला को माता दुर्गा के चरणों मे समर्पित किया।

आशीष सिंह नृत्य मंजरी दास ने अपने नृत्य सेवा की शुरुआत मां दुर्गा के आराधना से की जिसके बोल थे-

"भवानी दयानी उसके बाद पारंपरिक कथक के अंतर्गत, "ठाट, आमद टुकड़ा तिहाई परन् गत लड़ी के साथ तराना प्रस्तुत की।

तत्पश्चात वृंदावन के स्वरुप का श्रृंगारिक वर्णन युक्त बंदिश पंडीत बिंदादिन महाराज द्वारा रचित " निरतत ढंग" का भाव पूर्ण प्रस्तुति दी और पंडित बिरजू महाराज जी द्वारा रचित कृष्ण भजन "देखत छवि श्याम सुंदर मेरो मन भायो है" से अपने आज की नृत्य आराधना को विराम दिया।

काशी की प्रसिद्धि कथक नृत्यांगना श्रीमती सरला नारायण सिंह भी वहा उपस्थित थीं। संगीता सिन्हा, सरला नारायण जी ने आशीष सिंह को आशीर्वाद प्रदान किया। माता के दरबार में बहुत सारे कलाकारों ने अपनी हाजिरी लगाई। पद्म श्री सोमा घोष, विधि नागर, आदि कलाकारों ने भी अपनी प्रस्तुति दी। कार्यक्रम काफी देर रात तक चलता रहा।