Headlines
Loading...
वाराणसी: गुलाबी मीनाकारी से मिलेगी महिलाओं को नई उड़ान, हजारों को मिल चुका है प्रशिक्षण..

वाराणसी: गुलाबी मीनाकारी से मिलेगी महिलाओं को नई उड़ान, हजारों को मिल चुका है प्रशिक्षण..

वाराणसी, ब्यूरो। बनारस की गुलाबी मीनाकारी को आज पूरे विश्व में पहचान मिल चुकी है। इस हुनर के आधार पर तैयार किए गए अलग-अलग मॉडल, ज्वेलरी और विशेष गिफ्ट आइटम विश्व के कोने-कोने में बसे लोगों द्वारा खूब पसंद किया जाता है। अब शहर की इस विरासत से महिलाएं भी जुड़कर अपने जीवन को एक नई राह प्रदान करते नजर आ रही हैं। विशेष तौर पर नई पीढ़ी भी इससे जुड़कर अपने जीवन में एक रोजगार का अवसर प्राप्त कर रहीं है। वर्तमान में गुलाबी मीनाकारी से हजारों महिलाओं को प्रशिक्षण मिल भी चुका है, जिसके माध्यम से उन्हें अपने जीवन में आगे बढ़ने में मदद मिल रही है।

व्यक्ति विशेष के प्रमुख आयोजन के साथ-साथ देश के प्रमुख त्योहार, अनुष्ठान पर भी गुलाबी मीनाकारी से बने ज्वेलरी, गिफ्ट आइटम और मॉडल की खूब डिमांड रहती है। काशी में महिलाओं द्वारा गुलाबी मीनाकारी से बने ज्वेलरी प्रशिक्षण के लिए ज्यादा प्राथमिकता दिखाई जा रही है। इसकी प्रमुख वजह है की अलग-अलग मटेरियल से बनाए जाने वाले ज्वेलरी मॉडल को आसानी से सीखा जा सकता है। निश्चित ही गुलाबी मीनाकारी की मदद से महिलाओं को स्वरोजगार के साथ-साथ उनके जीवन को एक नई उड़ान मिलती नजर आ रही है।

क्या बोले कुंज बिहारी

बनारस के गुलाबी मीनाकारी क्षेत्र में दशकों से कार्य कर रहे कुंज बिहारी ने एबीपी लाइव से बातचीत में बताया कि आज गुलाबी मीनाकारी पर बने ज्वेलरी, गिफ्ट आइटम और अलग-अलग मॉडल को देश दुनिया में खूब पसंद किया जाता है। विशेष तौर पर लोग अपने प्रमुख आयोजन में इसे जरूर शामिल करते हैं। इसी क्रम में काशी की महिलाओं व बेटियों को गुलाबी मीनाकारी क्षेत्र में स्वरोजगार का बेहतरीन अवसर मिलता हुआ नजर आ रहा है।

बीते 27 वर्षों से लगभग 2000 महिलाओं ने गुलाबी मीनाकारी से जुड़े कार्यों पर प्रशिक्षण को पूरा कर लिया है और वह स्वयं इस क्षेत्र में अपना व्यवसाय निर्धारित कर आगे बढ़ रही हैं। हमारे यहां दोपहर 1:00 से 4:00 तक आने वाले लोगों को गुलाबी मीनाकारी पर आधारित प्रशिक्षण दिया जाता है जिसमें जनपद के NIFT,व अन्य कॉलेज की छात्राएं भी पूरे उत्साह के साथ इससे जुड़ रहीं हैं। वर्तमान में 18 लोगों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है. यह प्रशिक्षण उन्हें निशुल्क प्राप्त हो रहा है लेकिन केंद्र सरकार की तरफ से मिलने वाली विभिन्न योजनाओं की मदद से उन्हें समय-समय पर स्टाइपेंड भत्ता मिलता है।