प्रयागराज मेजा :: नीलम ने पति, जेठ और देवर के जेल जाने के बाद संभाली थी ससुराल पक्ष की राजनीतिक विरासत, पूरे क्षेत्र में थीं लोकप्रिय...
प्रयागराज, ब्यूरो। मेंजा विधानसभा सीट से वर्ष 2017 में भाजपा के टिकट पर विधानसभा पहुंचीं नीलम करवरिया ने पति उदयभान करवरिया के जेल जाने के बाद राजनीति में कदम रखा था। पति उदयभान करवरिया मेजा से दो बार विधायक रह चुके हैं। जेठ कपिलमुनि करवरिया फूलपुर से बसपा के टिकट पर सांसद रह चुके हैं और देवर सूरजभान करवरिया भी विधान परिषद सदस्य रहे हैं। जवाहर पंडित हत्याकांड में तीनों को आजीवन कारावास की सजा होने के बाद नीलम करवरिया ने परिवार की राजनीतिक विरासत को संभाल लिया।
नीलम ने मेजा विधानसभा क्षेत्र में अपने पति की कर्मभूमि पर काफी मेहनत कर लोकप्रियता हासिल की। 2017 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने जीत हासिल की, हालांकि 2022 में वह मामूली अंतर से सपा प्रत्याशी से चुनाव हार गईं, बावजूद उसकी क्षेत्र में मौजदूगी बनी रही और वह लोगों के संपर्क में रहती थीं। जनता की समस्याओं को सुनकर उसका समाधान करती थीं।
नीलम ने 2017 में दर्ज की थी जीत
सन 2017 में मेजा विधानसभा में हुए चुनाव में भाजपा प्रत्याशी रहीं नीलम करवरिया ने 67807 मत हासिल करके अपने निकटतम प्रतिद्वंदी सपा प्रत्याशी रामसेवक सिंह पटेल को 19843 मतों से पराजित किया था। रामसेवक सिंह पटेल को 47964 मत मिले थे। उसके बाद सन 2022 में हुए चुनाव में नीलम करवरिया को हार का सामना करना पड़ा था। इस चुनाव में सपा प्रत्याशी संदीप पटेल ने नीलम करवरिया को पराजित कर दिया। फिर भी नीलम करवरिया क्षेत्र में हर एक के सुख-दुख में साथ रहीं ।
सन 2022 के चुनाव में नीलम करवरिया को 75116 मत मिले थे, जबकि संदीप पटेल 78555 मत हासिल कर मेजा के विधायक बन गए थे। इस चुनाव में नीलम करवरिया को 3439 मत से हार का मुंह देखना पड़ा था। मेजा की पूर्व विधायक नीलम करवरिया ने 2017 में चुनाव लड़ने के पहले मेजा विधानसभा के लखनपुर गांव में नौ विश्वा जमीन में अपना घर बनाकर लोगों की समस्याओं को सुनना और निस्तारण करना शुरू कर दिया था। नीलम करवरिया की कार्यप्रणाली से मेजा के लोग बहुत तेजी से इनसे जुड़ना शुरू कर दिए थे। नीलम करवरिया सभी के सुख-दुख में हिस्सा लेती थीं।