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कौन होगा रतन टाटा का वारिस? किसके पास जाएगी 400 बिलियन डॉलर की संपत्ति और टाटा ग्रुप की कमान...

कौन होगा रतन टाटा का वारिस? किसके पास जाएगी 400 बिलियन डॉलर की संपत्ति और टाटा ग्रुप की कमान...


Ratan Tata Successor: पद्म विभूषण (Padma Vibhushan) रतन टाटा हमारे बीच नहीं रहे। देश के उद्योग जगत के सबसे नायाब 'रतन' यानी रतन टाटा ने उम्र से जुड़ी बीमारी के बाद बुधवार देर रात (9 अक्टूबर 2024) 86 वर्ष की उम्र में मुंबई में अंतिम सांस ली। 

140 करोड़ की आबादी वाले देश में कोई ऐसा नहीं था जो उनसे नफरत करता हो। इतना सम्मान शायद ही किसी बिजनेसमैन को मिला हो। अब उनके निधन के बाद सबसे बड़ा सवाल ये है कि उनके बाद टाटा ग्रुप की कमान कौन संभालेगा? रतन टाटा का वारिस या उत्तराधिकारी कौना होगा? 400 बिलियन डॉलर के ग्रुप को आगे लेकर कौन चलेगा? इनमें रतन टाटा के सौतेले भाई, भतीजे और भतीजी के नाम शामिल हैं। 

आइए इस सवाल का जवाब तलाशने की कोशिश करते हैं।टाटा ग्रुप में सक्सेशन प्लान को लेकर देश के तमाम लोगों में काफी उत्सुक्ता बनी हुई है। देश की 140 करोड़ जनता सिर्फ यही जानना चाहती है कि इतने बड़े साम्राज्य का नेतृत्व कौन करेगा? टाटा ग्रुप में सक्सेशन प्लान अच्छी तरह से स्थापित है। एन चंद्रशेखरन 2017 से होल्डिंग कंपनी टाटा संस के अध्यक्ष के रूप में कार्यरत हैं। परिवार के अन्य सदस्य कारोबार के अलग-अलग हिस्सों को लीड कर रहे हैं। भविष्य में ग्रुप की कमान संभालने के लिए कई उम्मीदवार हैं।

ये हो सकते हैं रतन टाटा के वारिस

नोएल टाटा (67 वर्ष)- Noel Tata

रतन टाटा के सौतेले भाई नोएल नवल टाटा को टाटा ग्रुप के उत्तराधिकारी के लिए एक प्रमुख उम्मीदवार हैं। नोएल नवल टाटा और सिमोन टाटा के बेटे हैं। वे सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट, सर रतन टाटा ट्रस्ट, जेएन टाटा एंडोमेंट और बाई हीराबाई जेएन टाटा नवसारी चैरिटेबल इंस्टीट्यूशन से जुड़े हुए हैं। वे टाटा इंटरनेशनल लिमिटेड, वोल्टास लिमिटेड, टाटा इन्वेस्टमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड के अध्यक्ष और टाइटन कंपनी लिमिटेड के उपाध्यक्ष भी हैं। नोएल नवल टाटा कंसाई नेरोलैक पेंट्स लिमिटेड और स्मिथ पीएलसी के बोर्ड में भी हैं।

Ratan Tata Death: रतन टाटा का आज मुंबई में राजकीय सम्मान से होगा अंतिम संस्कार, दोपहर 3:30 बजे निकलेगी यात्रा, झारखंड में एक दिन का शोक, महाराष्ट्र सरकार ने सभी सरकारी कार्यक्रम रद्द किए है।

माया टाटा (34 वर्ष)- Maya Tata

नोएल टाटा की छोटी बेटी ने अपना करियर टाटा समूह की प्रमुख फाइनेंशियल सर्विसेस- टाटा कैपिटल में एनालिस्ट के रूप में शुरू किया। ET की एक रिपोर्ट के अनुसार, माया ने अपनी पढ़ाई यूके के बेयस बिजनेस स्कूल और वारविक विश्वविद्यालय से की है। उन्होंने कई टाटा कंपनियों में काम किया है। उन्हें भी टाटा समूह का उत्तराधिकारी बनाया जा सकता है।

नेविल टाटा (32 वर्ष)- Neville Tata

नेविल टाटा, नोएल टाटा और अलू मिस्त्री के दूसरे बेटे हैं। उन्होंने समूह की रिटेल चैन- ट्रेंट से अपनी करियर की शुरुआत की। इस साल की शुरुआत में, उन्हें टाटा इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ स्किल्स के बोर्ड में भी जगह मिली, जो टाटा एजुकेशन एंड डेवलपमेंट ट्रस्ट, टाटा संस और सरकार द्वारा गठित एक गैर-लाभकारी ट्रैनिंग संगठन है। इस साल तीनों (लिआ, माया और नेविल) को 5 ट्रस्टों का ट्रस्टी बनाया गया।

लिआ टाटा (39 वर्ष)- Leah Tata

नोएल टाटा की सबसे बड़ी बेटी लिआ ने स्पेन के मैड्रिड में IE बिजनेस स्कूल से मार्केटिंग में मास्टर डिग्री हासिल की है। इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, वह 2006 से इस समूह से जुड़ी हुई हैं, जब वह ताज होटल्स रिसॉर्ट्स एंड पैलेस में असिस्टेंट सेल्स मैनेजर के रूप में शामिल हुईं और अब इंडियन होटल्स कंपनी लिमिटेड (IHCL) में वाइस प्रेसिडेंट के रूप में काम करती हैं। वह टाटा एजुकेशन ट्रस्ट, टाटा सोशल वेलफेयर ट्रस्ट और सार्वजनिक ट्रस्ट में भी काम करती हैं।

उत्तराधिकारी से जुड़े यह बड़ा सवाल

रतन टाटा सिर्फ टाटा समूह की बिजनेस स्‍ट्रेटजी का ही मार्गदर्शन नहीं करते थे, बल्कि समूह की परोपकारी पहलों से भी बेहद करीब से जुड़े थे। ऐसे में उत्तराधिकारी को लेकर यह बुनियादी सवाल है कि वह क्‍या टाटा समूह में नवाचार, उसका सामाजिक प्रभाव और अखंडता को बनाए रखने के लिए वह जिम्‍मेदार उठाने के काबिल है या नहीं।

400 बिलियन डॉलर का टाटा ग्रुप

रिपोर्ट के अनुसार अगस्त 2024 तक टाटा ग्रुप की तमाम कंपनियों का कंबाइंड मार्केट कैप 400 अरब डॉलर यानी करीब 35 लाख करोड़ रुपए है। मौजूदा समय में कंपनी की 29 कंपनियां शेयर बाजार में लिस्ट है। ग्रुप की सबसे बड़ी कंपनी टाटा कंसलटेंसी है। कंपनी का मार्केट कैप 9 अक्टूबर 2024 तक 15,38,519.36 करोड़ रुपए है। मार्केट कैप के लिहाज से टीसीएस देश की दूसरी सबसे बड़ी और देश की सबसे बड़ी आईटी कंपनी है। रतन टाटा के नेतृत्व में ही टीसीएस में सबसे ज्यादा ग्रोथ देखने को मिली और इंफोसिस और विप्रो जैसी बड़ी आईटी कंपनियों को पीछे छोड़ नंबर 1 पायदान पर काबिज हो गई है।