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नहीं होगा संविदा कर्मचारियों का नियमितीकरण, नौकरी से निकाले गए सैकड़ों कर्मचारी, दिवाली से पहले दिया यूपी में जोर का झटका...

नहीं होगा संविदा कर्मचारियों का नियमितीकरण, नौकरी से निकाले गए सैकड़ों कर्मचारी, दिवाली से पहले दिया यूपी में जोर का झटका...

लखनऊ राज्य, ब्यूरो। Contract Employees Regularization Latest Order: लंबे समय से नियमितीकरण का इंतजार कर रहे संविदा कर्मचारियों को दिवाली से पहले बड़ा झटका लगा है। दरअसल दिवाली से पहले सैकड़ों संविदा कर्मचारियों को नौकरी से निकालने का आदेश दिया गया है, जो प्रदेश के अलग-अलग जिलों में तैनात थे। 

वहीं, अब संविदा कर्मचारियों को नौकरी से निकाले जाने के बाद मजदूर संगठन ने आंदोलन की राह पकड़ ली है। बता दें कि संविदा कर्मचारियों की नियमितीकरण का मुद्द अब देशव्यापी बनते जा रहा है। कई राज्यों में संविदा कर्मचारियों ने नियमितीकरण की मांग को लेकर सरकार के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं।

Contract Employees Regularization Latest Order: मिली जानकारी के अनुसार कार्मिक प्रबंधन एवं प्रशासन की ओर से साल 2017 के आदेश का हवाला देते हुए 30 सितंबर को एक निर्देश जारी किया है, जिसमें बिजलीघरों और लाइनों में तैनात संविदा कर्मचारियों की छटनी करने का निर्देश दिया गया है। बतिाया जा रहा है कि प्रबंधन की ओर से आदेश जारी किए जाने के बाद वाराणसी में 100, देवरिया में 150, गोरखपुर में 150 और प्रयागराज में 200 संविदा कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया गया है।

वहीं, संविदा कर्मचारियों को नौकरी से निकाले जाने के बाद संगठन के प्रदेश प्रभारी ने आंदोलन की चेतावनी देते हुए कहा है कि वर्ष 2017 में प्रदेश में बिजली की खपत लगभग 14,000 मेगावाट थी, जो अब 2024 में बढ़कर 29,000 मेगावाट हो गई है। इसी प्रकार, पूर्वांचल डिस्कॉम में उपभोक्ताओं की संख्या भी 58 लाख से बढ़कर 1.25 करोड़ हो गई है। इसके बावजूद, विभाग संविदा कर्मचारियों की छंटनी कर रहा है, जो कि अनुचित है। संविदा कर्मचारी विद्युत उपकेन्द्रों का संचालन, राजस्व वसूली, असिस्टेड बिलिंग और अन्य महत्वपूर्ण कार्य करते हैं। इन्हीं कर्मचारियों के बलबूते पर वाराणसी सहित पूरे पूर्वांचल की विद्युत व्यवस्था सुचारू रूप से चल रही है।

संगठन के अन्य प्रमुख पदाधिकारियों ने चेतावनी दी कि अगर मांगें पूरी नहीं हुईं, तो 22 अक्टूबर 2024 से अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू की जाएगी। उन्होंने कहा कि विद्युत विभाग की मनमानी और द्वेषपूर्ण कार्यशैली के कारण न केवल कर्मचारियों का जीवन प्रभावित हो रहा है, बल्कि सरकार की छवि भी धूमिल हो रही है। सत्याग्रह में संगठन के कई प्रमुख नेता और हजारों संविदा मजदूर शामिल रहे।