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कानपुर :: लड़की को नशीले पाउडर का बनाया आदी, घोड़ों का इंजेक्शन देकर करता रहा वो रेप, कोर्ट के आदेश पर दर्ज हुआ मुकदमा...

कानपुर :: लड़की को नशीले पाउडर का बनाया आदी, घोड़ों का इंजेक्शन देकर करता रहा वो रेप, कोर्ट के आदेश पर दर्ज हुआ मुकदमा...

कानपुर, जिला ब्यूरो। कानपुर में जिम ट्रेनर द्वारा की गई एकता गुप्ता नामक महिला की हत्या के बाद एक और जिम ट्रेनर का कारनामा सामने आया है. बता दें कि इस घटना में अर्जुन सिंह नामक जिम ट्रेनर को मुख्य आरोपी के रूप में सामने आया है।

बताया गया है कि अर्जुन ने पीड़िता को पहले नशे की लत लगाई और फिर उसके बाद उसका यौन उत्पीड़न किया। आरोप है कि पीड़िता के परिवार ने अर्जुन की बार-बार शिकायत की, लेकिन पुलिस ने कोई एक्शन नहीं लिया। इस मामले के सामने आने के बाद कानपुर पुलिस पर कई गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं।

घोड़ों का इंजेक्शन देकर करता रहा रेप

पीड़िता का आरोप है कि अर्जुन सिंह ने तीन साल पहले जब वह 11वीं कक्षा में पढ़ रही थी, उसे जिम में प्रशिक्षण के दौरान नशीली दवाएं देकर उसे नशे की लत में डाल दिया। इसके बाद अर्जुन ने एक खतरनाक इंजेक्शन, जो आमतौर पर घोड़े की रेस में इस्तेमाल होता है, उसका कथित तौर पर उपयोग करते हुए उसे नशे की हालत में अपने चंगुल में फंसा लिया और उसका रेप किया। आरोप यह भी है कि इस घिनौनी हरकत का वीडियो बनाकर अर्जुन ने उसे धमकी दी कि वह इसे सोशल मीडिया पर शेयर कर देगा। इसके साथ ही आरोपी ने उसे आत्महत्या करने के लिए भी उकसाया।

परिवार द्वारा शिकायत दर्ज कराने के बावजूद, कानपुर पुलिस ने लगभग डेढ़ साल तक अर्जुन के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं की। अर्जुन सिंह जिले के एक प्रमुख ट्रांसपोर्टर का बेटा है और कहा जा रहा है इसलिए पुलिस ने मामले में ढील दी। 

पुलिस की निष्क्रियता से तंग आकर पीड़िता ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की, जिसके बाद अदालत ने पुलिस कमिश्नर को तत्काल हलफनामा प्रस्तुत करने का आदेश दिया। इसके बाद ही, पुलिस ने आरोपी अर्जुन सिंह को गिरफ्तार किया और पीड़िता के लिए न्याय की प्रक्रिया आगे बढ़ाई।

पुलिस ने ये कहा

पुलिस ने इस मामले में जानकारी देते हुए कहा कि जिम ट्रेनर पर केस था और उसके वॉरेंट निकल चुके थे. अब जाकर उसकी गिरफ्तारी हुई है।

कोर्ट के हस्तक्षेप और मीडिया में खबर आने के बाद पुलिस हरकत में आई और अंततः अर्जुन की गिरफ्तारी संभव हो पाई। यह घटना केवल कानपुर ही नहीं बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश के कानून-व्यवस्था पर सवाल खड़ा करती है, जहां प्रभावशाली लोगों के मामलों में प्रशासन की भूमिका संदिग्ध मानी जा रही है। 

अब जाकर पीड़िता और उसके परिवार को न्याय की उम्मीद जगी है, हालांकि इस घटना से पुलिस की छवि पर गहरा धब्बा लगा है।