ये है कुदरत की अनोखी असली पेन किलर पत्ती, किसी भी अंग में दर्द पर खा लें, फिर देखें,,..
आज के समय में हर कोई भागदौड़ भरी जिंदगी जिता है जिसकी वजह से वो खुद के लिए भी समय नहीं निकाल पाता है नतीजा ये है की इंसान के शरीर में कई तरह की बिमारियां दिन प्रतिदिन घर कर जाती है।वैसे इस तनाव व भागदौउ़ भरी जिंदगी में बदन दर्द या फिर शरीर के किसी भी अंग में दर्द की समस्या आम हो गई है और ऐसे में लोग कई तरह की अंग्रेजी दवाईयों यानि की पेनकीलर का सेवन करते हैं जो की कहीं न कहीं साइड इफेक्ट करता है।
आज हम आपको एक ऐसा नुस्खा बताने जा रहे हैं जिसे अपनाने के बाद आपके शरीर के किसी भी अंग में दर्द होगा तो ये तुरंत सही कर देगा। जी हां हम बात कर रहे हैं निर्गुन्डी की जो की शरीर की रक्षा रोगों से करता है। इतना ही नहीं इसमें कई ऐसे गुण पाएं जाते हैं जिसकी वजह से इसे बीमारियों में रामबाण औषधी माना जाता है। छह से बारह फुट उंचा इसका पौधा, झाड़ीनुमा सूक्ष्म रोमों से ढका रहता है। पत्तियों की पहचान किनारों से की जा सकती है। इसके फल छोटे, गोल एवं सफेद होते हैं।
आपको बता दें की ये शरीर के अंदर मौजूद कफ वातशामक औषधि के रूप में जानी जाती है जिसकी वजह से ये शरीर के अंदर होने वाले किसी भी दर्द को कम करने की क्षमता रखता है। निर्गुण्डी के पौधे पूरे भारत में अपने आप उग आते हैं। इसके पौधे उष्ण (गर्म) प्रदेशों में बहुत ज्यादा मात्रा में पाये जाते हैं। इसे खेतों की मेंड़ों पर, बाग-बगीचों में तथा घरों में भी इसे लगाया जाता है। तो आइए अब जानते हैं की इसके औषधीय प्रयोग के बारे में जो की बेहद ही आवश्यक है।इसके लिए आपको इसके पत्तों को कूट कूटकर टिकिया बनाकर अगर दर्द वाले जगह पर बांध दिया जाए तो यह दर्द को तुरंत कम कर देता है। इसकी पत्तियों का काढ़ा बनाकर कुल्ला करने मात्र से गले का दर्द दूर हो जाता है।
दर्द के अलावा निर्गुण्डी को पाचनशक्तिवर्द्धक, आम पाचन, यकृतउत्तेजक, कफ-खांसीनाशक, मूत्रवर्द्धक और गर्म होने के कारण माहवारी साफ लाती है। इसका उपयोग कोढ़, खुजली, बुखार, कान से मवाद आना, सिर में दर्द, लिंग की कमजोरी, साइटिका, अजीर्ण, मूत्राघात , कमजोरी, आंखों की बीमारी तथा स्त्री के स्तनों में दूध की वृद्धि के लिए किया जाता है।
इतना ही नहीं इसके अलावा ये मुंह में छाले या फिर गले में किसी प्रकार की सूजन हो, तो हल्के से गुनगुने पानी में निर्गुन्डी तेल एवं थोड़ा सा नमक मिलाकर गरारे कराने से लाभ मिलता है। इसके साथ ही अगर आपके होंठ कटे हों तो भी केवल इसके तेल को लगाने से लाभ मिल जाता है। किसी भी प्रकार का कान दर्द हो तो निर्गुन्डी की पत्तियों के तेल को शहद के साथ मिलाकर एक से दो बूंद की मात्रा में कानों में डाल दें, निश्चित लाभ मिलेगा।
अगर आप निर्गुन्डी के चूर्ण से किसी भी प्रकार का सरदर्द हो या जोड़ों की हो सूजन, इसके पत्तों को गरम कर बांध कर उपनाह देने से सूजन और दर्द में कमी आती है। हालांकि आयुर्वेद विषेशज्ञों का कहना है कि इस पौधे की पत्तियों को खाने से कैंसर जैसी बीमारी भी दूर होती है।