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करवा चौथ::अखंड सौभाग्य के लिए सुहागिनो ने -सोलह शृंगार कर प्रदोष काल में पूजा के बाद चंद्रमा को अर्घ्य देकर किया व्रत का समापन...

करवा चौथ::अखंड सौभाग्य के लिए सुहागिनो ने -सोलह शृंगार कर प्रदोष काल में पूजा के बाद चंद्रमा को अर्घ्य देकर किया व्रत का समापन...

वाराणसी, ब्यूरो 20 अक्टूबर। कार्तिक माह के कृष्ण चतुर्थी तिथि करवा चौथ पर रविवार को सुहागिन महिलाओं ने अखंड सौभाग्य के लिए पूरे दिन निर्जला व्रत रखा। सायंकाल मां गौरी के साथ भगवान गणेशजी की विधि विधान से पूजा अर्चना किया। इसके बाद चंद्रदेव को अर्घ्य देने के बाद चलनी से पतिदेव का दर्शन किया और पति के हाथों पानी पीकर व्रत तोड़ा और बच्चों व परिवार के सदस्यों ने इस दौरान आतिशबाजी भी की। 

शहर में कई स्थानों पर सामूहिक करवाचौथ का भी आयोजन किया गया। करवा चौथ के पूजन के लिए जुटी महिलाओं में सेल्फी लेने की होड़ सी मची रही। महिलाएं परिजनों के साथ सेल्फी लेते हुए प्रसन्नचित नजर आ रही थीं। पूजन से पहले और बाद में महिलाओं ने सेल्फी ली। 

इसके पहले भोर में सरगी निगल व्रत की शुरुआत की। घरों में एक दिन पहले ही साफ-सफाई के साथ पूजन सामग्री, फल, नये वस्त्र रंग बिरंगी चटक सूर्ख रंग की डिजाइनदार साड़ियां व सलवार सूट की खरीददारी की गई। इसके बाद पर्व पर व्रती महिलाओं ने घर में महावर रचाया तो कुछ ने ब्यूटी पार्लरों का भी सहारा लिया। पर्व पर पूर्वांह से ही शहर के ब्यूटी पार्लरों में चहल-पहल रही।

नई बस्ती की नवविवाहिता कंचन श्रीवास्तव, संगीता चौबे, निर्मला गुप्ता, अजिता जायसवाल ने बताया कि सासू मां की देखरेख में त्यौहार पर व्रत रखा। उनके देखरेख में पूजा अर्चना और अन्य रस्मों को पूरा किया। व्रत रखने पर असीम शांति की अनुभूति हुई। व्रत में पति और अन्य परिजनों ने भी सहयोग किया। 

जगतगंज की मीना पांडेय, अंजू राय, निकिता ने बताया कि अखंड सुहाग की कामना को लेकर व्रत का संकल्प लिया था। पूरे दिन निर्जला व्रत रहने के बाद शाम को चन्द्रदेव को अध्र्य देकर पति को चलनी से देखने के बाद व्रत का पारण किया। पिछले 10-12 सालों से करवा चौथ का व्रत रख रही है।

गौरतलब हो हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष में चतुर्थी तिथि को करवा चौथ मनाया जाता है। इस दिन सुहागन स्त्रियां अपनी पति की लंबी आयु के लिए पूरे दिन निर्जला व्रत रखती हैं। निर्जला उपवास कर अपने पति की लंबी उम्र के लिए कामना करती है। शाम को 16 श्रृंगार रचाकर व्रती महिलाएं मां गौरी पार्वती, भगवान शंकर, गणेश व कार्तिकेय को पुष्प, अक्षत, दीप आदि अर्पित करके करवा चौथ कथा का पाठ करती है।