हमीरपुर रोड एक्सीडेंट :: एक झटके में खत्म हो गया परिवार, पत्नी के नहीं रुक रहे आंसू, बोली- अब मैं किसके लिए जिऊंगी...
लखनऊ, राज्य ब्यूरो। हमीरपुर जिले में हमीरपुर-कालपी मार्ग पर रात नौ बजे नो इंट्री खुलने पर तेज रफ्तार डंपर ने बाइक सवार पिता-पुत्रों को रौंद दिया। हादसे में दो बच्चों की मौके पर ही मौत हो गई। शव करीब 15 मीटर तक घिसट गए। पिता को घायल अवस्था में कानपुर रेफर किया गया। रास्ते में उसने भी दम तोड़ दिया।
और डंपर चालक घटना के बाद फरार हो गया है। जिला अस्पताल पहुंचे एडीएम विजय शंकर तिवारी, एएसपी मनोज कुमार गुप्ता और सीओ राजेश कमल ने घटना की जानकारी ली। बाइक सवार हेलमेट नहीं पहने थे। शहर में रात करीब नौ बजे नो इंट्री खुल जाती है, इससे भारी वाहन तेज रफ्तार से दौड़ने लगते हैं।
मंगलवार को धनतेरस पर शहर के रमेड़ी तरौस निवासी पीडब्ल्यूडी के सीडी-टू के लिपिक जय प्रकाश सविता (52) अपने दोनों पुत्रों आयुष (13) व अथर्व (12) के साथ बाजार में खरीदारी करने के लिए बाइक से निकले थे। करीब 9.10 बजे जैसे ही वह शहर के अमन शहीद तिराहे पर पीडब्ल्यूडी के पास पहुंचे, तभी कुरारा की ओर जा रहे तेज रफ्तार खाली डंपर ने पिता-पुत्रों को रौंद दिया।
रास्ते में ही तोड़ दिया दम
इससे घटना स्थल पर ही आयुष और अथर्व की दर्दनाक मौत हो गई। दोनों के शव 15 मीटर तक घिसट गए। घायल पिता को तुरंत जिला अस्पताल पहुंचाया गया। जहां एएसपी मनोज कुमार गुप्ता ने बताया कि दोनों बच्चों की मौत हो गई। घायल पिता को गंभीर हालत में कानपुर रेफर किया गया, लेकिन रास्ते में ही उसने दम तोड़ दिया।
मोहल्ले वासियों में आक्रोश
घटना को लेकर मोहल्ले वासियों में आक्रोश है। मोहल्ले वासियों का कहना है कि नो इंट्री के बाद वाहन बेलगाम होकर तेजी से दौड़ते हैं। इन पर लगाम लगाने की मांग की है। जाम लगाने की आशंका को लेकर पुलिस प्रशासन सतर्कता बरत रहा है।
सड़क किनारे लगीं दुकानें, बुझ गए घर के चिराग
धनतेरस के त्योहार के चलते सड़के किनारे दुकानें भी लगाई गई हैं। अतिक्रमण भी दुर्घटना का कारण बनता है। जिला अस्पताल में पहुंचे परिजन दहाड़े मारकर रो रहे थे। दीपावली पर दोनों बच्चों की मौत पर घर के दोनों चिराग बुझ गए।
एक झटके में खत्म हो गया परिवार
धनतेरस की खरीदारी करने निकले पिता-पुत्रों को बाजार में तेज रफ्तार डंपर ने रौंद दिया। इससे तीनों की मौत हो गई। इस घटना की जानकारी मिलते ही उनके परिवारीजन जिला अस्पताल पहुंच गए। धनतेरस पूजा की तैयारी कर रही पत्नी बदहदास होकर चीखने लगी। रोते-रोते बोलती रही, एक झटके में मेरा पूरा परिवार खत्म हो गया।
पत्नी के नहीं रुक रहे आंसू, बोली- किसके लिए जिऊंगी
अब मैं कैसे जी पाऊंगी। उधर, घर में दिवाली के त्योहार पर खुशियों की जगह मातम छा गया। जिसने भी घटना को सुना वह गमगीन हो गया। पत्नी बाला देवी रो-रोकर कह रही थीं कि सामान खरीदने की वजह से उनके पति बच्चों को लेकर बाजार गए थे। उन्हें नहीं पता था कि वह उन्हें आखिरी बार देख रही है।
जिलाधिकारी ने मदद के लिए किया निर्देशित
उधर पत्नी ने मीडिया से कहा कि मेरे कलेजे के टुकड़े नहीं रहे मैं किसके लिए जिऊंगी। उधर, जिलाधिकारी घनश्याम मीना का कहना है कि पिता और दो बच्चों की मौत दुखद है। उन्होंने परिवारीजनों की मदद के लिए पीडब्लूडी और अन्य अधिकारियों को निर्देशित किया है।
एम्बुलेंस में नहीं मिला ऑक्सीजन
भतीजे धर्मेंद्र का आरोप है कि जिस एम्बुलेंस से उनके घायल चाचा रामप्रकाश को भेजा गया था। उसमेंऑक्सीजन की सुविधा नहीं मिली, जिससे उनकी रास्ते में ही मौत हो गई। हालांकि जिलाधिकारी घनश्याम मीना ने आरोपों को नकार दिया है।