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काशी के 13 घाटों से गंगा में जा रहा है मठ-मंदिर, आश्रम, होटलों का सीवेज, कई जगह से चेंबर टूटे, नगर निगम कर रहा है अनदेखा...

काशी के 13 घाटों से गंगा में जा रहा है मठ-मंदिर, आश्रम, होटलों का सीवेज, कई जगह से चेंबर टूटे, नगर निगम कर रहा है अनदेखा...

वाराणसी ब्यूरो, प्रमुख। भगवान सूर्य की उपासना काशी में आदि काल से चली आ रही है। यहां लोग गंगा में स्नान के बाद भगवान सूर्य को अर्घ्य देकर डाला छठ का व्रत पूर्ण करते हैं। इस समय स्नान का माह कार्तिक भी चल रहा है। 

लेकिन गंगा घाटों पर भक्तों के पांव गंगा में नहाने के बाद ऊपर की सीढ़ियों से गंदे नालों से बहता हुआ सीवेज लोगों के पांव पखार रहे हैं। इन दिनों गंगा में घाट से होकर आश्रमों, होटलों, रेस्टोरेंट का सीवेज बह रहा है। इसे अब तक रोका नहीं गया है। इस दुर्गति और दुर्दशा के जिम्मेदारों की नींद अब जाकर टूटी है। अब देखना है समस्या का समाधान देव दीपावली के पहले-पहले हो पाएगा या नहीं।

जानकारों के अनुसार, गंगा घाटों पर कई जगहों पर चेंबर और पाइप लाइनें टूट चुकी हैं। इसकी वजह से सीवर ओवरफ्लो होकर गंगा में जा रहा है। विश्वनाथ मंदिर के गंगा द्वार के समीप मणिकर्णिका समेत 13 घाटों से गंगा में सीवर जा रहा है। गंगा में सीवेज रोकने के लिए घाटों पर सीवर लाइन बिछाई गई है। जो जगह-जगह से लीक और ओवरफ्लो होकर गंगा में जा रहा है। 13 घाटों पर सीवर खुला हुआ है। मानमंदिर घाट पर सीवेज बह रहा है। ललिता घाट पर बहते सीवेज से होकर भक्त गुजर रहे हैं। संकठा घाट पर सीवेज बह रहा है।

इन घाटों पर हैं ज्यादा दिक्कत

त्रिपुरा भैरवी, ललिता घाट, चेतसिंह, निषादराज, नगवां, सिंधिया घाट, संकठा घाट, रामघाट पर चैंबर से ओवरफ्लो होकर सीवेज बह रहा है। इन 84 घाटों पर कई आश्रम हैं।

इनमें प्रमुख रूप से देवरहा बाबा आश्रम, रामजानकी मठ, श्री विद्यामठ, स्यादवाद महाविद्यालय, पंचदशनाम जूना अखाड़ा, तुलसीघाट, लाली बाबा आश्रम, सतुआ बाबा आश्रम, श्रीमठ, बालाजी मंदिर हैं। इनके अलावा करीब 35 से अधिक होटल, गेस्ट हाउस, स्टे होम, रेस्टोरेंट घाट किनारे हैं। जिनका सीवर घाट पर बिछाई गई सीवर लाइन से कनेक्ट है। ये लाइनें क्षतिग्रस्त होने से इनका सीवर पाइप लाइन से बहकर घाटों से होकर गंगा में जा रहा है।

गंगा सफाई अभियान के बाद भी नहीं सुधरे हालात  

गंगा सफाई के लिए चलाए जा रहे अभियान के बाद भी हालात नहीं सुधरे हैं। 8 एसटीपी भी गंगा में गिर रहे सीवर को पूरी तरह से रोकने में नाकाम है। हालात ये हैं कि वाराणसी में 432 एमएलडी सीवरेज को भले ही शोधित करके गंगा में भेजा जा रहा है। जबकि 532 एमएलडी सीवर निकल रहा है। अब भी 100 एमएलडी सीवर सीधे गंगा में जा रहा है।
 

अस्सी और वरुणा से भी जा रहा गंगा में सीवर

अस्सी और वरुणा से भी सीवर जा रहा है। जल निगम के अनुसार गंगा में नालों के जरिये जो सीवर जा रहा है वह टेंपरेरी ट्रीटमेंट सिस्टम के जरिये जा रहा है। इसके अलावा पंपिंग स्टेशनों पर बाईपास के लिए बनी पाइपों से जो पानी गिर रहा है वह बारिश के समय गिरता है। जल निगम उसे नाले का सीवर नहीं बल्कि बारिश का पानी मानता है।

क्या बोले अधिकारी, जानें 

बाढ़ के दौरान पांच पंपिंग स्टेशन बंद थे। बाढ़ का पानी उतरने के बाद पाइप लाइन और पंपिंग स्टेशन में सिल्ट जमा है। जिसे हटाने का काम जारी है। आज रात तक सभी पंप चालू हो जाएंगे। इससे गंगा में सीवर नहीं जाएगा। इसके लिए नौ टीमें लगाकर गंगा घाटों पर सीवर की समस्या दूर कराई जा रही है। छठ पूजा वाले दिन किसी प्रकार की समस्या नहीं आएगी। 

-कमल कुमार सिंह, अधिशासी अभियंता जल निगम, वाराणसी।

इसे भी देखें
एसटीपी शोधन क्षमता
दीनापुर 140 एमएलडी
गोइठहां 120 एमएलडी
दीनापुर 80 एमएलडी
रमना 50 एमएलडी
बीएलडब्ल्यू 12 एमएलडी
रामनगर 10 एमएलडी
भगवानपुर 10 एमएलडी
बीएचयू 10 एमएलडी