विश्वप्रसिद्ध नागनथैया की लीला देखने के लिए कभी अकबर भी आया था तुलसीघाट, यहां रखी है समकालीन तस्वीरे, जानें इनका इतिहास...
वाराणसी, ब्यूरो। दुनिया की प्राचीनतम नगरी काशी की परंपराएं कालखंड के साथ अब भी जीवंत हैं। गोस्वामी तुलसीदास की इस लीला को देखने के लिए अकबर भी काशी आया था। इसके प्रमाण उस काल खंड की दुर्लभ तस्वीर से मिलते हैं।इस नायाब कलाकृति को तुलसीघाट के संग्रहालय में भी रखा गया है।
उदयपुर के संग्रहालय में मौजूद ऐतिहासिक तस्वीर की मूल प्रति लंदन विश्वविद्यालय में हिंदी के प्रोफेसर और बुडापेस्ट में गठित तुलसी मंडली के डायरेक्टर डाॅ. इमरे बग्घा ने दी थी, जो अब सार्वजनिक हुई।
उन्होंने इसे पांडुलिपि विशेषज्ञ डॉ. उदय शंकर दुबे को भेंट किया था। डॉ. दुबे ने तुलसी भक्तों के अधिकार को मान देते हुए इस कृति को तुलसीघाट स्थित महंत परिवार को सौंप दिया। इस चित्र में चित्रकार ने गोस्वामी तुलसीदास और बादशाह अकबर की मुलाकात को उकेरा है।
तुलसीघाट पर गंगा की लहरों पर एक तरफ तुलसीदास की नौका और दूसरी तरफ विशाल डोंगा बादशाह अकबर का था। तस्वीर में हाथी-घोड़ों और भारी भीड़ और तुलसी घाट को देख कर अनुमान लगाया जा रहा है कि यह तस्वीर तुलसीघाट के नागनथैया की है। गोस्वामी तुलसीदास की नाव का कुछ हिस्सा आज भी तुलसीघाट पर सुरक्षित है। हर आयोजन पर उसकी पूजा की जाती है।
कपड़े और पुआल से तैयार हुआ कालिया नाग
काशी के लक्खा मेले में शुमार नागनथैया की तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। सोमवार को तुलसीघाट पर कालिया नाग का भी रंगरोगन किया गया। फन को रंगों से सजाया गया और उसमें एलईडी लाइट लगाई गई। कालिया नाग के धड़ को कपड़े और पुआल से तैयार करने में कारीगर जुटे रहे और देर शाम तक नाग बनकर तैयार हो गया था।
गोस्वामी तुलसीदास द्वारा शुरू की गई श्रीकृष्ण लीला के तहत कार्तिक शुक्ल पंचमी को होने वाली नागनथैया को देखने के लिए काशी की जनता उमड़ती है। आज मंगलवार को तुलसीघाट पर भोर से ही लीला की शुरुआत कदंब की डाल लगाने से हो गई थी। सूर्य की पहली किरण के साथ ही संकटमोचन मंदिर परिसर से कदंब की डाल काटकर लीला स्थल पर लाई गई है।
पूजा के बाद इसे गंगा के तट पर लगा दिया जाएगा। इसी डाल पर भगवान श्रीकृष्ण भक्तों को दर्शन देने के बाद शाम 4:40 बजे गंगा रूपी यमुना में छलांग लगाएंगे। फिर 4:45 बजे कालिया नाग पर सवार होकर भक्तों को दर्शन देंगे।
बोलो कालियानाग मर्दन करने वाले भगवान् श्री कृष्ण की जय ! जय !! जय !!!