वाराणसी :: आज जरुरत है सियासत को सिर्फ सत्ता पाने का जरिया बनने से होगा रोकना...
वाराणसी, ब्यूरो। स्वतंत्रता सेनानी और प्रखर समाजवादी प्रभुनारायण सिंह की 105वीं जयंती की पूर्व संध्या पर पराड़कर स्मृति भवन में आयोजित समारोह में श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए वक्ताओं ने राजनीति को सामाजिक और आर्थिक समानता का औजार बनाने आह्वान किया, जिससे एक ऐसी व्यवस्था का निर्माण हो, जिसमें दबे-कुचले, वंचित और पिछड़े वर्ग को सम्मानपूर्वक जीने का सही मायने में अवसर और अधिकार मिल सके।
वक्ताओं ने प्रभुनारायण सिंह को याद करते हुए कहा कि महात्मा गांधी के 'नमक सत्याग्रह के दौरान 11 वर्ष की अवस्था में उन्हें गिरफ्तार किया गया। इसके बाद तो उन्होंने कई मौकों पर अंग्रेजी हुकूमत के दांत खट्टे किए, अनेक बार जेल की यातनाएं सहीं। उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री रहते हुए भी उन्होंने 1967 में अंग्रेजी हटाओ आंदोलन में दिल्ली में सत्याग्रह कर अपनी गिरफ्तारी दी।
आगे वक्ताओं ने कहा कि, प्रभुनारायण सिंह सृजन और संघर्ष के योद्धा थे। आज जब देश की राजनीति नैतिक मूल्यों से भटककर विचारहीनता का शिकार हो गई है, तब प्रभु बाबू सरीखे राजनेताओं के व्यक्तित्व और कृतित्व से प्रेरणा लेते हुए मौजूदा राजनीति को मात्र सत्ता प्राप्ति का जरिया बनने से रोकने के लिए व्यापक जन मुहिम की आवश्यकता है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रो. सुरेंद्र प्रताप ने की और शुभारंभ कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अनिल श्रीवास्तव ने किया। संचालन करते हुई पूर्व एमएलसी अरविंद सिंह ने 'वैचारिक राजनीति की दशा और दिशा विषयक संगोष्ठी की विषय प्रस्तावना की।
इस मौके पर विजयनारायण, प्रो. अनिल उपाध्याय, प्रो. ओमप्रकाश सिंह, डॉ. उदयी चौबे, रामगोपाल मोहले, मोहम्मद आरिफ, पूर्व सांसद डॉ. राजेश मिश्रा, सीपीएम नेता शिवनाथ यादव, शिवकुमार सिंह, कुंवर सुरेश सिंह, उमाशंकर यादव, गोपालजी यादव, डॉ. ओपी सिंह आदि ने भी विचार व्यक्त किए।
समारोह में समाजवादी आंदोलनों से जुड़े चंदौली और वाराणसी के सामाजिक, राजनीतिक कार्यकर्ताओं को प्रभुनारायण स्मृति न्यास की ओर से अंगवस्त्रम भेंट किया गया।