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यूपी में 100 साल पुराना मंदिर हुआ कब्जा मुक्त, इस्लामिक झंडा उतारकर फहराया गया उस पर भगवा ध्वज...

यूपी में 100 साल पुराना मंदिर हुआ कब्जा मुक्त, इस्लामिक झंडा उतारकर फहराया गया उस पर भगवा ध्वज...

जिला बरेली ब्यूरो। सम्भल के बाद अब बरेली में 100 साल से ज्यादा पुराना मंदिर कब्जा मुक्त हो गया है। मंदिर कब्जा मुक्त होते ही हिंदू संगठनों ने वहां लगे इस्लामिक झंडे को उतारकर भगवा ध्वज फहरा दिया। इस मंदिर में वाजिद अली नाम का व्यक्ति कई वर्षों से कब्जा करके अपने परिवार के साथ रह रहा था, जिससे शुक्रवार को पुलिस प्रशासन की मौजूदगी में मंदिर को खाली करा लिया गया।जानकारी के अनुसार किला क्षेत्र के बाकरगंज स्थित श्रीगंगा महारानी मंदिर को कब्जामुक्त करवाया गया। सुबह प्रशासन की टीम पुलिस फोर्स के साथ पहुंची और मंदिर में नोटिस चस्पा कर कब्जाकर वहां रह रहे वाजिद को मंदिर खाली करने को कहा। इसी दौरान वहां पहुंचे हिंदू संगठनों ने मंदिर की बिल्डिंग पर लगे इस्लामिक झंडे को उतारकर वहां भगवा झंडा फहरा दिया।

प्रशासन की जांच में और राजस्व रिकॉर्ड में बिल्डिंग श्री गंगा महारानी मंदिर के नाम दर्ज पाई गई। मंदिर को बिल्डिंग में अवैध तरीके से रह रहे वाजिद से पुलिस प्रशासन की टीम ने खाली कराया। नोटिस चस्पा होते ही वाजिद ने श्री गंगा महारानी मंदिर के बिल्डिंग से अपना सामान समेटना शुरू कर दिया। हिंदू संगठनों का कहना है कि कल बिल्डिंग के शुद्धिकरण के बाद मंदिर में फिर से पूजा शुरू होगी। इस दौरान श्री गंगा महारानी मंदिर के आसपास पुलिस फोर्स और मजिस्ट्रेट को तैनात किया गया है।

1905 में स्थापित हुआ था मंदिर 

बाकरगंज पानी की टंकी के सामने ही दौली रघुवर दयाल साधन सहकारी समिति लिमिटेड, क्यारा ब्लॉक का पुराना ऑफिस था। परिसर में श्री गंगा महारानी मंदिर था, जो 1905 में स्थापित हुआ था। कई साल पहले यह ऑफिस स्थानांतरित हो गया है। मंदिर के दस्तावेज नगर निगम के रिकॉर्ड में पाए गए हैं। यहां चौकीदार वाहिद अली परिवार के साथ 40 साल से रह रहे हैं। मीडिया में समाचार प्रकाशित होने के बाद डीएम ने प्रकरण की जांच शुरू कराई। नायब तहसीलदार ब्रजेश कुमार के नेतृत्व में राजस्व टीम ने मौके पर जाकर जांच की और राजस्व रिकार्ड की जांच की गई। राजस्व रिकार्ड के मुताबिक 1905 में लक्ष्मन के नाम से रजिस्ट्री हुई है। खतौनी में जमीन श्रीगंगा महारानी सर्वाकार जगन्नाथ दास के नाम दर्ज है।

मंदिर के मैनेजर रहे परमेश्वरी दास के वंशज राकेश सिंह ने मीडिया को बताया कि मंदिर में पूजा होती थी। वाहिद अली के पिता यहां ऑफिस के चौकीदार थे। धीरे-धीरे वाहिद और उसके परिजनों ने मंदिर को अंदर ही अंदर तोड़कर गायब कर दिया और अब यहां मूर्ति भी नहीं है। उधर, अखिल भारत हिन्दू महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पंकज पाठक का कहना है, वाहिद ने मंदिर की जमीन पर कब्जा किया है। मूर्तियों को हटा दिया। प्रशासन से मांग की गई है। कब्जा मुक्त कराकर फिर से मंदिर का जीर्णोद्धार कराया जाए। प्राण प्रतिष्ठा कराई जाए।

कब्जेदार का पक्ष

मंदिर की बिल्डिंग में रह रहे वाहिद अली ने बताया कि उनके पिता सोसाइटी में चौकीदार थे। वह अपने परिवार के साथ 40 साल से यहां रह रहे हैं। यहां पर कोई मंदिर या मूर्तियां नहीं थी। प्रशासन व शिकायतकर्ता ने आठ दिन में ऑफिस परिसर को खाली करने को कहा है। मैंने आठ महीने का समय मांगा है।

जांच में चौकीदार नहीं निकला वाहिद

1956 में सहकारी समिति ने इकरारनामा किया था। बिल्डिंग का एक हिस्सा दौली रघुवर दयाल सहकारी समिति को दिया गया। सहकारी समिति का गोदाम संचालित हुआ। मकान में 40 साल से कब्जा कर रह रहा वाहिद जांच में सहकारी समिति का चौकीदार नहीं निकला। सहकारी समिति से कभी वाहिद को कोई वेतन नहीं दिया गया। चौकीदार होने का वाहिद का दावा खारिज कर दिया गया।