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वाराणसी में ठेले पर डिजिटल इंडिया, परिवार की आजीविका का साधन बना माध्यम, युवाओं में है उत्साह...

वाराणसी में ठेले पर डिजिटल इंडिया, परिवार की आजीविका का साधन बना माध्यम, युवाओं में है उत्साह...

वाराणसी ब्यूरो। 21वीं सदी में जब हम डिजिटल इंडिया की बात करते हैं तो मन में बड़ी बिल्डिंग ,अच्छी दुकानें और कारपोरेट आफिस का नजारा सामने आता है। लेकिन क्या आपने कभी ठेले पर डिजिटल इंडिया को देखा है। मऊ जिले के कलेक्ट्रेट-तहसील और अन्य स्थानों पर युवा ठेले पर डिजिटल इंडिया से कमा कर परिवार की आजीविका चला रहे हैं। यहां पर ठेले पर कई दुकानें लगती हैं, जहां कम्प्यूटर पर आनलाइन कार्य होता है।

कलेक्ट्रेट-तहसील सहित अन्य स्थानों पर पूर्व के दिनों में जीविकोपार्जन के लिए कई युवा गुमटी में कम्प्यूटर पर आनलाइन फार्म,खतौनी,रजिस्ट्री संबध कार्य,जनसेवा केंद्र और अन्य कार्यों को करते थे। लेकिन अतिक्रमण हटाओ अभियान के दौरान उनकी गुमटी को हटा दिया गया। जिसके बाद उनपर रोजगार का संकट आ गया। लेकिन इन लोगों ने हार नहीं मानी। ठेले को ही अपनी दुकान बना लिया।

आज सभी अपने कार्य की बदौलत अपने परिवार का अच्छा पालन पोषण कर रहे हैं। ठेले पर दुकान लगाने वाले बबलू कुमार राजभर और धीरज कौशितक ने बताया कि गुमटी हटने के बाद परिवार पर संकट आ गया। पहले तो ठेले पर कम्प्यूटर रखकर काम करने की बात पर कई बार सोच विचार किया गया। लेकिन फिर मन बनाकर कार्य करना शुरु किया गया।

आज देखते देखते 40 से अधिक लोग ठेले पर ही कम्प्यूटर से संबधित आनलाइन कार्य करना शुरु किया। वहीं दुकान लगाने वाले टुनटुन राम और विरजू राम ने कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी के स्वरोजगार वाली बात से काफी साहस मिला। हमारे परिवार से साहस और समर्थन दिया। जिसके बाद हम ठेले पर ही पीएम के डिजिटल इंडिया के बयान को साकार करने के लिए कार्य करने लगे।

आज हम 400 रुपये से 600 रुपया रोज कमा लेते हैं। कभी कभी ये बढ़ भी जाता है।