कल अयोध्या में जो बाबर ने किया, वहीं संभल में हुआ..बांग्लादेश में भी वही हो रहा, रामायण मेले के उद्घाटन में बोले सीएम योगी...
लखनऊ, राज्य ब्यूरो। सीएम योगी आदित्य नाथ ने गुरूवार को रामनगरी अयोध्या में आयोजित चार दिवसीय रामायण मेले का उद्घाटन किया। उन्होंने हनुमानगढ़ी और रामलला के दरबार में भी हाजिरी लगाई। राम कथा पार्क में रामायण मेले के उद्घाटन के मौके पर सीएम योगी ने कहा कि जो कोई भी भगवान राम और माता जानकी का सम्मान नहीं करता, उन्हें दुश्मन की तरह त्याग देना चाहिए।
सीएम योगी ने कहा कि जो राम का नहीं हमारे किसी काम का नहीं। मुख्यमंत्री ने कहा अयोध्या में जो बाबर ने किया, वही संभल में हुआ और बांग्लादेश में भी वही हो रहा है। अयोध्या में जो बाबर ने किया, वहीं संभल में हुआ- सीएम योगी राम कथा पार्क में रामायण मेले के उद्घाटन के मौके पर सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा, "याद कीजिए 500 साल पहले अयोध्या कुंभ में बाबर के आदमी ने क्या किया था। संभल में भी यही हुआ था, बांग्लादेश में भी यही हो रहा है। तीनों का स्वभाव और डीएनए एक ही है।
अगर कोई मानता है कि बांग्लादेश में ऐसा हो रहा है, तो वही तत्व यहां भी आपको सौंपने के लिए ताक में बैठे हैं। उन्होंने सामाजिक एकता को तोड़ने का पूरा इंतजाम कर रखा है। ये बातें करने वाले कुछ लोग ऐसे हैं, जिनकी विदेशों में संपत्ति है। अगर यहां कोई संकट आया, तो वे भाग जाएंगे और दूसरों को मरने के लिए यहीं छोड़ देंगे।"
जो राम का नहीं हमारे किसी काम का नहीं- योगी सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा, ''अयोध्या एक बार फिर आध्यात्मिक और सांस्कृतिक रूप से वैश्विक नगरी के रूप में नई पहचान के साथ आगे बढ़ रही है। याद कीजिए कैसे इसी साल जनवरी में पीएम नरेंद्र मोदी के प्रयासों से पांच सौ साल बाद भगवान राम फिर से मंदिर में विराजमान हुए हैं... जो कोई भी भगवान राम और माता जानकी का सम्मान नहीं करता, चाहे वे आपके कितने भी प्रिय क्यों न हों, उन्हें दुश्मन की तरह त्याग देना चाहिए। इसीलिए राम भक्तों ने 1990 में नारा दिया था जो राम का नहीं हमारे किसी काम का नहीं।''
आज के समाजवादी परिवारवादी हो गए हैं- सीएम योगी
सीएम योगी ने कहा कि डॉ. राम मनोहर लोहिया राजनीति में आदर्शों के प्रतीक माने जाते हैं। आज की राजनीति में सच्चा समाजवादी संपत्ति और संतान के मोह से मुक्त होता है। हालांकि, आज के समाजवादी परिवारवादी हो गए हैं। अपराधियों और गुंडों के संरक्षण के बिना उनकी हालत पानी के बिना तड़पती मछली जैसी हो जाती है। वे लोहिया के नाम पर राजनीति करते हैं लेकिन उनके एक आदर्श को भी अपना नहीं पाते हैं।