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वाराणसी जिले में सिस्टम के सितम से सर्दी में सिसक रहे बच्चे, कई स्कूलों में जमीन पर बैठने को हैं मजबूर..देखें, और पढ़ें...

वाराणसी जिले में सिस्टम के सितम से सर्दी में सिसक रहे बच्चे, कई स्कूलों में जमीन पर बैठने को हैं मजबूर..देखें, और पढ़ें...

वाराणसी जिला ब्यूरो। सर्दियों में जहां अबतक कुछ बच्चों को ड्रेस का पैसा नहीं मिला, तो वहीं कई स्कूलों के बच्चों को जमीन पर बैठकर पढ़ाई करनी पड़ रही है। यहां तक कि इन बच्चों को पढ़ाने के लिए शिक्षक भी नहीं है। सरकार सरकारी स्कूलों में बच्चों का दाखिला बढ़ाने पर जोर देर रही है लेकिन कई स्कूलों में उन्हें बैठाने और उनकी पढ़ाई की समुचित व्यवस्था भी नहीं है।

सरकार की ओर से शिक्षकों के मानदेय और वेतन पर करोड़ों रुपये खर्च करने के बावजूद भी बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नहीं मिल पा रही है। इसके लिए सरकार और प्रशासनिक तंत्र को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। जिले के प्राथमिक विद्यालय में छात्र-छात्राओं के बैठकर पढ़ने के लिए बेंच-डेस्क भी नहीं है।

बच्चे कर रहे ड्रेस के लिए सहायता राशि का इंतजार

वाराणसी। परिषदीय स्कूलों के 6000 बच्चों को ड्रेस के लिए मिलने वाली सहायता राशि का इंतजार है। हर साल अभिभावकों के खाते में 1200 रुपये भेजे जाते हैं। बच्चों का आधार कार्ड और खाते की केवाईसी न होने के कारण उन्हें इस साल राशि नहीं मिल पाई है। शिक्षकों ने बनवाने का प्रयास किया तो उनका जन्म प्रमाणपत्र नहीं था। 1143 परिषदीय विद्यालयों में 1.99 लाख छात्र-छात्राएं पढ़ रहे हैं।

केस 1 - भगवानपुर के गाड़ीवानपुर में प्राथमिक विद्यालय में जमीन पर बैठकर बच्चे पढ़ाई करते हैं। एक तरफ तो बच्चे स्वेटर पहनकर नहीं आ रहे है, वहीं दूसरी तरफ जमीन पर बैठने को मजबूर हैं। शिक्षकों से पूछताछ करने पर वह बिना कुछ चले गए।

केस 2 - प्रथामिक विद्यालय माधोपुर कोट(प्रथम) में भी बच्चों को जमीन पर बैठकर पढ़ाया जा रहा है। इस वजह से बच्चे स्कूल ही नहीं आना चाहते हैं। बच्चों ने बताया कि यहां रोजाना ऐसे ही पढ़ाई होती है। इसी कारण हम लोग जल्दी स्कूल नहीं आते है।

सफाई में क्या बोले? अधिकारी

कई प्राथमिक स्कूलों में बेंच नहीं है। उनका सर्वे करवा कर रिपोर्ट भेज दी गई है। जल्द ही सभी स्कूलों में बेंच उपलब्ध कराई जाएंगी। 
- डॉ. अरविंद पाठक, बेसिक शिक्षा अधिकारी, वाराणसी।