1600 किलोमीटर दूर से महाकुंभ आए कर्नाटक के एक ही परिवार के चार लोगों की भगदड़ में गई जान, पोस्टमार्टम हाउस के बाहर लगी भीड़...
ब्यूरो, प्रयागराज। महाकुंभ भगदड़ में एक साथ एक ही परिवार के चार लोगों की भी मौत हुई है। 1600 किलोमीटर दूर कर्नाटक से यह परिवार आया था। उसके परिवार की बची महिला पोस्टमार्टम हाउस पर अपनों के चार शवों को देखकर बार-बार एक ही वाक्य दोहराती रही। बार-बार चीख चीखकर कहती रही कि मेरे परिवार के चार लोगों को छीन लिया। इसी तरह जौनपुर से आई एक महिला के परिवार में दो लोगों की मौत हो गई और एक घायल हैं। इस महिला की मां और भाभी की जान चली गई है। पोस्टमार्टम हाउस का नजारा बुधवार को एक साथ दो दर्जन से ज्यादा शवों को देखकर डराने वाला नजर आ रहा था। हर तरफ से चीखें सुनाई दे रही थीं।
हादसे के बाद मेडिकल कॉलेज के एनाटमी विभाग के सामने कई लोग अपनों के शव लेने के इंतजार में बैठे थे। बाहर बैठे पीड़ित परिजन का रोक-रोकर बुरा हाल था। रोते-बिलखते मृतकों के परिजनों के अलावा एनाटमी विभाग के अंदर से एक महिला की चींख सुनाई पड़ रही थी। कुछ देर बाद दो महिलाओं को परिसर में ही बाहर लाया गया। बाहर आने के बाद कर्नाटक के बेलगाम की सरोजा ने कहा कि उनके परिवार के चार लोगों को छीन लिया। यही एक वाक्य वो लगातर कहते हुए रो रही थीं। सरोजा के साथ आई बेलगाम की कंचन के पति की हादसे में मौत हो गई। दोनों की हालत देखने के बाद स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी और कर्मचारियों ने परिसर के अंदर रखा। मृतकों के परिजन मीडिया से बात कर रहे थे, लेकिन सरोजा और कंचन को किसी से बात नहीं करने दिया गया।
भगदड़ में बचपन के साथी का छूटा साथ
प्रयागराज। मौनी अमावस्या स्नान के दौरान मची भगदड़ में दो बचपन के दोस्तों का साथ छूट गया। ओडिशा के बारीपद के शुभेंदु अपने बचपन के मित्र झारखंड के शिवप्रसाद के साथ संगम स्नान करने आए थे। देर रात मची भगदड़ में शिवप्रसाद दब गए। लोगों की भीड़ हटी और शुभेंदु ने देखा कि उनका दोस्त अचेत पड़ा है। शिवप्रसाद को केंद्रीय अस्पताल ले गए, जहां डॉक्टरों ने उनको मृत घोषित कर दिया।
अपने बचपन के साथी का शव लेने के लिए मेडिकल कॉलेज पहुंचे शुभेंदु के आंसू नहीं रुक रहे थे। शुभेंदु ने बताया कि बचपन से साथ पढ़ाई की। नौकरी मिलने के बाद झारखंड छोड़कर ओडिशा आ गया। चार साल पहले दोनों सेवानिवृत्त हुए। दोनों महाकुम्भ को यादगार बनाने के लिए साथ संगम स्नान करने आए। हादसे ने ऐसी यादें दीं कि अब दोस्त खोने के गम में आंसू बहाने के अलावा कुछ नहीं बचा।