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वाराणसी : गंगा की लहरों पर 'सी प्लेन' उड़ान को अब तक नहीं मिला पंख, अधिकारियों ने साधा चुप्पी, कोई जवाब देने को तैयार नहीं...

वाराणसी : गंगा की लहरों पर 'सी प्लेन' उड़ान को अब तक नहीं मिला पंख, अधिकारियों ने साधा चुप्पी, कोई जवाब देने को तैयार नहीं...

ब्यूरो, वाराणसी। बदलते काशी में गंगा की लहरों पर सी प्लेन उड़ाने की योजना को अब तक पंख नहीं मिल पाया। दो साल पूर्व बनी योजना अब चर्चा से भी गुम है। उड्डन मंत्रालय के पाले में गेंद डाल अधिकारी मौन साध लिए हैं। नमामि गंगे से अर्थ गंगा की राह ले जाने की प्रधानमंत्री की महत्वाकांक्षी परियोजनाओं के तहत गंगा में मालवाहक, जलयान, रो-पैक्स पहले संचालित हैं। नावें भी सीएनजी से संचालित हो रही हैं। इसी क्रम में सी प्लेन उड़ाने की योजना बनी। मुख्यमंत्री ने भी कई बार घोषणा की।

इसी क्रम में दो साल पहले शासन के आदेश के क्रम में सी प्लेन उड़ाने के लिए जिलाधिकारी की ओर से सात सदस्यीय टीम काशी में गठित की गई। इसमें गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई, पीडब्ल्यूडी, प्रभागीय वनाधिकारी, बंधी प्रखंड, संभागीय परिवहन अधिकारी, पर्यटन व वीडीए टीम के अधिकारी शामिल रहे।

इस टीम ने डेढ़ साल पहले फिजिबिलिटी रिपोर्ट डीएम को सौंपी। डीएम की ओर से इसे शासन को भेजा गया लेकिन अब तक इस दिशा में कोई कार्य नहीं हुआ। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि बनारस से सी प्लेन संचालन को लेकर कोई तकनीकी बाधा नहीं है। काशी में गंगा की लहरें से सी प्लेन अयोध्या, मथुरा व प्रयागराज तक ले जाने की तैयारी थी।

        खिली धूप में पर्यटक आनंद लेते हुए 

400 किलोमीटर की दूरी एक घंटे में

सी प्लेन पानी और जमीन दोनों जगह से उड़ान भर सकता और लैंड कर सकता है। यह 400 किलोमीटर की दूरी एक घंटे में तय करता है। इसमें 10 से 15 लोग बैठ सकते हैं। इसे उड़ाने के लिए एक किमी जगह बिना बाधा की होनी चाहिए। बनारस में खिड़किया घाट, राजघाट और सामने घाट के बीच और सामने घाट से विश्वसुंदरी पुल के बीच इसके लिए स्थान उपलब्ध होने की बात कही गई। पानी से उड़ान भरने के लिए फ्लोटिंग जेट्टी की जरूरत होती है। यह काफी हल्का होता है और इस कारण कम ईंधन खर्च होता है। यात्रियों को किनारे आने के लिए फ्लोटिंग जेट्टी की जरूरत होती है।

गुजरात मॉडल पर संचालन की तैयारी

देश में पहली सी प्लेन सेवा गुजरात में अक्टूबर 2020 में अहमदाबाद के साबरमती रिवर फ्रंट से केवडिया के बीच शुरू हुई थी और उसका उद्घाटन पीएम नरेन्द्र मोदी ने किया था। केवडिया में सरदार बल्लभ भाई पटेल की सबसे ऊंची प्रतिमा स्टेच्यू आफ यूनिटी है। 200 किलोमीटर की इस दूरी को सी प्लेन 30 मिनट में तय करता है। पहले इसमें चार से पांच घंटे लग जाते थे। एक व्यक्ति का एक तरफ का किराया 1500 रुपये है। बनारस में भी यही किराया संभावित थी।