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Kumar Vishwas Snan in Mahakumbh: महाकुंभ पहुंचे कुमार विश्वास, त्रिवेणी में किया स्नान, बोले- मां गंगा ने मेरा प्रणाम स्वीकार किया

Kumar Vishwas Snan in Mahakumbh: महाकुंभ पहुंचे कुमार विश्वास, त्रिवेणी में किया स्नान, बोले- मां गंगा ने मेरा प्रणाम स्वीकार किया

Mahakumbh Mela 2025: प्रयागराज में इस समय महाकुंभ का भव्य आयोजन चल रहा है। देश-विदेश से करोड़ों श्रद्धालु संगम पहुंचकर इस ऐतिहासिक आयोजन का हिस्सा बन रहे हैं। नेता, अभिनेता और प्रसिद्ध हस्तियां भी इस अवसर पर अपनी उपस्थिति दर्ज करा रही हैं। मां गंगा के प्रति श्रद्धा व्यक्त करते हुए लोग स्नान और पूजा-पाठ में व्यस्त हैं।

महाकुंभ के दौरान मशहूर कवि कुमार विश्वास भी प्रयागराज पहुंचे। उन्होंने संगम में स्नान कर मां गंगा का आशीर्वाद लिया। इस अवसर पर उन्होंने कहा "मां ने मेरा प्रणाम स्वीकार किया, यही मेरे लिए बड़ा सौभाग्य है। 144 सालों में ऐसा सुयोग जुड़ा है जो इस गंगा के किनारे आकर तपस्वी राम के चरणों की स्मृति को साकार करता है।" उनका ये बयान उनकी गहरी आस्था और भारतीय संस्कृति के प्रति उनके प्रेम को दर्शाता है।

विवादों के बीच कवि कुमार विश्वास पहुंचे प्रयागराज

हाल ही में कुमार विश्वास विवादित बयानों को लेकर सुर्खियों में रहे थे। उन्होंने एक बयान में बिना नाम लिए बॉलीवुड अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा के परिवार पर कटाक्ष किया था। इस बयान में उन्होंने रामायण के अध्ययन की अहमियत बताते हुए तंज कसा जिससे विवाद काफी बढ़ गया था। हालांकि महाकुंभ में उनकी उपस्थिति ने उनके साहित्य और आध्यात्मिकता के पक्ष को फिर से उजागर किया।

श्रद्धालुओं के लिए सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन

प्रदेश सरकार ने महाकुंभ में आए श्रद्धालुओं के मनोरंजन का भी विशेष ध्यान रखा है। सेक्टर एक के गंगा पंडाल और बाकी पंडालों में सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। कुमार विश्वास अपने प्रसिद्ध कार्यक्रम "अपने-अपने राम" के जरिए श्रद्धालुओं को मनोरंजन और आध्यात्मिक अनुभव प्रदान करेंगे। जानकारी के अनुसार ये कार्यक्रम प्रतिदिन शाम 5 बजे से रात 8 बजे तक आयोजित होगा।

क्या है "अपने-अपने राम" की खासियत?

कुमार विश्वास का कार्यक्रम "अपने-अपने राम" भगवान राम के काल और उनके जीवन की कहानियों को अनूठे अंदाज में प्रस्तुत करता है। ये कार्यक्रम न केवल श्रद्धालुओं को आध्यात्मिकता से जोड़ता है बल्कि देश-दुनिया में भारतीय संस्कृति के प्रसार का भी माध्यम बन रहा है। उनके कथा-वाचन ने बड़ी संख्या में लोगों को आकर्षित किया है जो महाकुंभ की पवित्रता और भव्यता को और भी बढ़ा रहा है।