राष्ट्रपति की रेस में RSS प्रमुख, जेपी नड्डा के बाद भाजपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष बना दलित तो भागवत बनेंगे महामहिम...
ब्यूरो, नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव के बाद भाजपा एक बार फिर रणनीतिक मंथन में जुट गई है। आम चुनाव के बाद देश के अलग-अलग राज्यों में हुए चुनावों में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने भाजपा को जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाई है। ऐसा संघ को करीब से जानने वालों का कहना है। महाराष्ट्र और हरियाणा में सभी सियासी समीकरणों और एंटी इनकंबेसी को धता बताते हुए संघ ने भाजपा को सत्ता में पहुंचाया। दोनों राज्यों में चुनाव की घोषणा से पहले और लोकसभा चुनाव के बाद भाजपा का ग्राफ तेजी से गिर रहा था, लेकिन संघ ने अपने कंधों पर पूरी सियासत बदल दी। अब भाजपा की बारी है।
राजनीति के जानकारों का मानना है कि हिंदुत्व के एजेंडे पर बढ़ रही भाजपा के लिए RSS सबसे महत्वपूर्ण संगठन है। ऐसे में चुनावी सफलताओं को बरकरार रखने के लिए नए सियासी समीकरण बनाना सत्ताधारी के दल के लिए आवश्यक हो गया है। इसका प्रमुख कारण कांग्रेस का उभार बताया जा रहा है। नेता प्रतिपक्ष हिंदुत्व की काट के लिए संविधान, जातीय जनगणना और आरक्षण पर लगा 50 प्रतिशत बैरियर खत्म करने की वकालत कर रहे हैं, जिसके बल पर उन्हें राजनीतिक सफलता भी मिली है।
कांग्रेस की काट भाजपा अध्यक्ष और राष्ट्रपति में छिपी
इसके अलावा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे दलित समुदाय से संबंध रखते हैं। कांग्रेस द्वारा हिंदुत्व की काट के रूप में उठाए जा रहे मुद्दों के खिलाफ भाजपा भी नई रणनीति पर काम कर रही है। भाजपा के करीबी सूत्रों का कहना है कि भाजपा अध्यक्ष के रूप में जगत प्रकाश नड्डा के पहले कई अध्यक्ष सवर्ण जातियों से संबंध रखने वाले हैं। वहीं राष्ट्रपति की बात करें तो वर्तमान में द्रोपदी मुर्मू हैं, वह आदिवासी समुदाय से आती है। इससे पहले यूपी के कानपुर से संबंध रखने वाले रामनाथ कोविंद दलित समुदाय थे। ऐसे ज्यादा संभावना है कि राष्ट्रपति और भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष का जातीय समीकरण आपस में रिप्लेश कर दिए जाएं।
रेस में इतने नाम, लेकिन भाजपा की तलाश जारी
ऐसे में पार्टी नेतृत्व ऐसा दलित नेता ढूढ़ रही है जो भाजपा नेतृत्व के साथ मिलकर काम कर सके। अभी वरिष्ठ नेताओं में अध्यक्ष पद के लिए भूपेंद्र यादव, धर्मेंद्र प्रधान और के. लक्ष्मण का नाम सबसे आगे है। केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर और शिवराज सिंह चौहान के नाम भी चर्चा में हैं। हालांकि भाजपा को तलाश दलित महिला चेहरे की है।
भागवत के बयानों में बदलाव
वहीं ओबीसी प्रधानमंत्री, दलित भाजपा अध्यक्ष और ब्राह्मण राष्ट्रपति बनाकर भाजपा सभी जातियों को साधकर कांग्रेस और इंडिया गठबंधन की कोशिशों पर पानी फेरना चाहेगी। राष्ट्रपति पद के लिए भाजपा में कई नेता हैं, लेकिन सबसे उपयुक्त उम्मीदवार संघ प्रमुख मोहन भागवत को माना जा रहा है। इसके संकेत भी अभी से मिलने शुरू हो गए हैं। अब RSS प्रमुख एंटी मुस्लिम वाले बयानों में काफी कमी आई है, उनके बयानों में अब सॉफ्ट हिंदुत्व की छवि दिखती है।
पिछले बयानों के उलट दिया संघ प्रमुख के बयान
मंदिर और मस्जिद विवाद पर पिछले दिनों संघ प्रमुख ने एक बयान दिया, जो काफी ज्यादा सुर्खियों में रहा। उन्होंने कहा कि नेता बनने के लिए कुछ लोग मस्जिदों में मंदिर ढूढ़ रहे हैं। हर मस्जिद में मंदिर ढूढ़ने की जरूरत नहीं है। इससे पहले 2015 में संघ प्रमुख ने कहा कि आरक्षण की समीक्षा होनी चाहिए। इसके बाद नीतीश कुमार और लालू प्रसाद यादव ने आरक्षण खत्म करने की मंशा का आरोप लगाते हुए संघ और भाजपा को खूब घेरा।
वहीं अब 28 अप्रैल 2024 को संघ प्रमुख ने कहा- 'जब से आरक्षण आया है, तब से संविधान सम्मत सारे आरक्षण को संघ पूर्ण समर्थन देता है। संघ का मानना है कि आरक्षण जिसके लिए है, उन्हें जब तक जरूरी लगेगा या भेदभाव जब तक है, आरक्षण जारी रहना चाहिए।'
मिल रहे संकेत
इसी प्रकार के ऐसे कई बयान हैं जो विवादों में आए। इससे पहले कम होता था, लेकिन अब संघ प्रमुख उन बयानों के उलट बयान दे रहे हैं। जिससे स्पष्ट संकेत मिल रहे हैं। मोहन भागवत को भाजपा देश के सर्वोच्च पद पर बैठा सकती है।