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पीएम मोदी की लाल शॉल क्यों है बेहद खास, इसे कानी शॉल क्यों कहा जाता है, कई साल में यह बनकर होती है तैयार...

पीएम मोदी की लाल शॉल क्यों है बेहद खास, इसे कानी शॉल क्यों कहा जाता है, कई साल में यह बनकर होती है तैयार...

पीएम मोदी की लाल शॉल क्यों है बेहद खास, इसे कानी शॉल क्यों कहा जाता है, कई साल में बनकर होती है तैयार 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार को पेरिस पहुंचे जहां उसका भव्य स्वागत हुआ। उन्होंने AI Action Summit में हिस्सा लिया जहां वह फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों, अमेरिका के उपराष्ट्रपति जेडी वेंस समेत कई नेताओं से मिले.उन्होंने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की बढ़ती ताकत पर बात की. उन्होंने कहा कि एआई आज की जरूरत है. इससे कई लोगों की जिंदगी बदलेगी। इस कार्यक्रम में जहां आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की बात हो रही थी, वहीं प्रधानमंत्री की लाल शॉल सबका ध्यान अपनी तरफ खींच रही थी। इस शॉल को कानी शॉल कहते हैं।

क्या है इस शॉल की खासियत

फैशन डिजाइनर श्रुति संचेति कहती हैं कि प्रधानमंत्री हमेशा इंटरनेशनल प्लैटफॉर्म पर इंडियन क्राफ्ट को बढ़ावा देते हैं. वह कई मौकों पर शॉल पहने नजर आए हैं. पेरिस में जो उन्होंने लाल रंग की शॉल पहनी है, वह कश्मीर की कानी पश्मीना शॉल है. यह बेहद हल्की और गर्म होती है. इस पर मुगल काल से प्रेरित हुए डिजाइनों को उकेरा जाता है।

लकड़ी की सुई से बनती है

ट्रेडिशनल हैंडलूम शॉल है जिसे वुडन नीडल से बनाया जाता है. कश्मीरी में लकड़ी की सुई को कानिस कहा जाता है. इस शॉल को बनाने के लिए 30 से 40 रंग-बिरंगे धागों इस्तेमाल होते हैं। इस शॉल का इतिहास मुगलों से भी पुराना है। इतिहासकार मानते हैं कि 15वीं शताब्दी में फारसी और तुकी बुनकर इस कला को भारत लाए थे।

कई साल में बनकर तैयार होती है शॉल

कानी शॉल में हाथों से बहुत महीन काम होता है. इसका पैटर्न जितना बरीक होगा, उसे बनाने में उतना ही ज्यादा समय लगता है. मुगल जाल का डिजाइन बुनने में 2 से 5 महीने का वक्त लगता है लेकिन पैटर्न ज्यादा मुश्किल है तो कई साल लग सकते हैं. कारीगरों को इसे बनाने के लिए एक दिन में 8 से 10 घंटे तक काम करना होता है, तब जाकर वह 2 सेंटीमीटर तक तैयार हो पाती है।

 
पीएम ने कश्मीर की मशहूर कानी शॉल पहनी है (Image-X)

बाहर के तापमान के हिसाब से रहती गर्म
कानी शॉल की खासियत है कि यह बाहर के तापमान के हिसाब से गर्म रहती है। इसे पहनने के बाद स्वेटर पहनने की जरूरत नहीं है। इसे बनाने का तरीका और इसकी गर्माहट ही इसे बाकी शॉलों से हटकर बनाती है. इसकी कीमत लाखों रुपए से शुरू होती है।

लाल रंग का मतलब

पीएम के लाल रंग के शॉल को पहनने के पीछे एक और कारण हो सकता है। दरअसल आजकल यह रंग ट्रेंड में है और प्रधानमंत्री मोदी हमेशा ट्रेंडी फैशन को अपनाते हैं। यह भारत में शुभ रंग भी माना जाता है। वहीं लाल रंग कॉन्फिडेंस को भी दिखाता है। इस रंग को पहनने के बाद पर्सनैलिटी में अलग ही निखार आता है और इंसान अट्रैक्टिव भी लगता है।

पीएम को पसंद है शॉल

प्रधानमंत्री कई मौकों पर हैंडलूम शॉल पहने नजर आ चुके हैं. पीएम ने योग दिवस के मौके पर नारंगी रंग की कानी शॉल पहनी थी. इससे पहले वह हिमाचल प्रदेश के कुल्लू में बनने वाली शॉल में भी नजर आए. 2022 के बजट सेशन के भाषण में उन्होंने बादामी रंग की पश्मीना शॉल पहनी थी. वह नेशनल यूथ पार्लियामेंट फेस्टिवल के मौके पर भी शॉल में ही दिखे।