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Ragini Sonkar: कौन हैं सपा विधायक रागिनी सोनकर, जिनके अलग अंदाज ने विधानसभा में खींचा सब का ध्यान...

Ragini Sonkar: कौन हैं सपा विधायक रागिनी सोनकर, जिनके अलग अंदाज ने विधानसभा में खींचा सब का ध्यान...

Ragini Sonkar: उत्तर प्रदेश की राजनीति में समय समय पर नए चेहरे जनता की पसंद बनते जाते हैं। ऐसा इसीलिए क्योंकि वर्तमान में सपा विधायक रागिनी सोनकर विधानसभा में छाई हुई हैं। इस समय यूपी का विधानसभा बजट सेशन चल रहा है। जहाँ समाजवादी पार्टी की तरफ से विधायक रागिनी सोनकर अपने बेबाक अंदाज के लिए सुर्ख़ियों में बनी हुई है। बजट पर चर्चा के दौरान भी रागिनी सोनकर ने सीएम योगी ने जिस अंदाज में सवाल पूछे उसकी वजह से वो युवाओं में काफी ज्यादा पसंद की जा रही है। हर कोई उनके बारे में जानने के लिए बेताब है। रागिनी सोनकर की बात करें तो वो वर्त्तमाना में मछलीशहर सीट से सपा की विधायक हैं। इस सीट से इन्होंने 2022 में जीत दर्ज की थी। जहाँ पर इन्होने बीजेपी के उम्मीदवार मेहीलाल गौतम को 8,484 वोटों से हराया था।

राजनैतिक परिवार से है नाता

डॉ. रागिनी सोनकर का जन्म 11 दिसंबर 1990 को उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले में हुआ था। उनके पिता कैलाश नाथ सोनकर पूर्वांचल की राजनीति का एक जानापहचाना नाम रहे हैं। वह अजगरा विधानसभा सीट से करीब 15 वर्षों तक विधायक रहे और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) का प्रतिनिधित्व किया। हालांकि, रागिनी ने राजनीति में कदम रखने के बाद अपने पिता की पार्टी को छोड़कर समाजवादी पार्टी को चुना और अखिलेश यादव के नेतृत्व में काम करना पसंद किया। राजनीति उन्हें भले ही विरासत में मिली है लेकिन लेकिन उन्होंने अपनी राह खुद चुनी है। समाजवादी पार्टी जॉइन करने के बाद उन्होंने पूर्वांचल की राजनीति में मजबूती से कदम रखा और महिला सशक्तिकरण, दलित अधिकारों, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे मुद्दों पर खुलकर अपनी राय रखनी शुरू की।
 

डॉक्टर से राजनेता तक का सफर

राजनीति में कदम रखने से पहले डॉ. रागिनी सोनकर एक सफल नेत्र रोग विशेषज्ञ थीं। उन्होंने अपनी डॉक्टर की पढ़ाई पश्चिम बंगाल के आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज और हॉस्पिटल, कोलकाता से पूरी की। इसके बाद रागिनी सोनकर ने कुछ समय तक वहीं पर बतौर डॉक्टर के रूप में काम भी किया है। चिकित्सा के प्रति उनका समर्पण यहीं नहीं रुका, बल्कि उन्होंने भारत के सबसे प्रतिष्ठित मेडिकल संस्थान, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, नई दिल्ली से नेत्र विज्ञान में विशेषज्ञता हासिल की। चिकित्सा के क्षेत्र में उनके योगदान को देखते हुए उन्हें कई सम्मान भी मिल चुके हैं। लेकिन बाद में इन्हे जैसे जिअसे राजनीति में रूचि आई इन्होने डॉक्टर की राह छोड़कर राजनीति में अपना कदम रख लिया। और जनता की सेना करना ही अपना लक्ष्य रखा।
 

पहली बार में ही बनी विधायक

राजनीति में कदम रखने के बाद इन्हे समाजवादी पार्टी की तरफ से साल 2022 में मछलीशहर सीट से टिकट दिया गया था। जहाँ से इन्होने अपना पहला चुनाव लड़ा था। और पहले ही चुनाव में इन्हे जीत भी हासिल हो गई। इस सीट से इन्होने बीजेपी के मेहीलाल गौतम को हराया था। जानकारी के लिए बता दें कि यह सीट मूल रूप से दलित और पिछड़े वर्ग के मतदाताओं का गढ़ मानी जाती रही है। इसीलिए समाजवादी पार्टी ने बहुत सोच समझकर इस सीट से रागिनी सोनकर को टिकट दिया था। रागिनी सोनकर के इस चुनाव के दौरान सपा मुखिया अखिलेश यादव और डिम्पल यादव ने खुद प्रचार किया था। जिनकी मेहनत का नतीजा ही रहा जिसके चलते इन्हे जीत भी मिली। इस जीत ने न सिर्फ उनकी लोकप्रियता को साबित किया, बल्कि उन्हें समाजवादी पार्टी के भीतर भी एक नई पहचान दिलाई।


सदन में खुलकर रखती है अपनी बात

विधानसभा में अपनी मौजूदगी दर्ज कराने के बाद डॉ. रागिनी सोनकर ने विपक्ष की एक सशक्त नेता के रूप में पहचान बनाई। वह महिला अधिकारों, दलित समाज के हक, स्वास्थ्य सेवाओं और शिक्षा जैसे मुद्दों पर खुलकर अपनी बात रखती हैं। सदन में कई बार इन्होने महिलाओं के खिलाफ अपराध और रोजगार के अवसरों की कमी जैसे गंभीर मुद्दों पर सरकार को कटघरे में खड़ा किया है।

महिलाओं के लिए बनी प्रेरणा

डॉ. रागिनी सोनकर सिर्फ एक सशक्त नेता ही नहीं, बल्कि एक मजबूत महिला के रूप में भी अपनी पहचान बना रही हैं। उन्होंने फरवरी 2020 में डॉक्टर संबित मलिक से विवाह किया। राजनीति और पारिवारिक जीवन में संतुलन बनाकर आगे बढ़ना उनके लिए चुनौती था, लेकिन उन्होंने इसे बखूबी निभाया। रागिनी सोनकर का मानना है कि महिलाओं को राजनीति में बढ़-चढ़कर भाग लेना चाहिए। वह कहती हैं, "अगर महिलाएं डॉक्टर, इंजीनियर और साइंटिस्ट बन सकती हैं, तो वे राजनीति में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं। हमें सिर्फ हिम्मत दिखाने की जरूरत है।"
 

मछलीशहर में बदलाव की उम्मीद

मछलीशहर के मतदाता अब डॉ. रागिनी सोनकर से काफी उम्मीदें लगा रहे हैं। उन्होंने चुनाव के दौरान स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने, शिक्षा को बढ़ावा देने और दलित समाज को सशक्त बनाने का वादा किया था। अब लोग देखना चाहते हैं कि वह अपने वादों पर कितना अमल करती हैं। राजनीति में उनकी तेजतर्रार शैली और जनता से गहरी जुड़ाव को देखते हुए यह साफ है कि वह आने वाले समय में उत्तर प्रदेश की राजनीति का एक बड़ा चेहरा बन सकती हैं।