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सीतापुर पत्रकार हत्याकांड में पुलिस अलर्ट, 3 लेखपाल सहित 4 हिरासत में, अन्य की तलाश जारी, एडीजी परिवार से मिले,जानें पूरा मामला...

सीतापुर पत्रकार हत्याकांड में पुलिस अलर्ट, 3 लेखपाल सहित 4 हिरासत में, अन्य की तलाश जारी, एडीजी परिवार से मिले,जानें पूरा मामला...

लखनऊ राज्य ब्यूरो। उत्तर प्रदेश के सीतापुर में कल उस समय सनसनी फैल गई, जब दिल्ली-लखनऊ नेशनल हाईवे पर दिनदहाड़े पत्रकार राघवेंद्र बाजपेई की गोलियों से भून कर हत्या कर दी गई है। सीतापुर में पहली बार किसी पत्रकार की गोली मारकर हत्या होने की घटना से पत्रकार गम और गुस्से में हैं। वहीं, पत्रकार हत्याकांड को लेकर पुलिस प्रशासन सख्ते में आ गया है। पुलिस ने तीन लेखपाल सहित 4 लोगों को हिरासत में लिया है, इन लोगों से पूछताछ जारी है।

एडीजी ने परिजनों से की मुलाकात

इसके अलावा, आईजी और एडीजी जोन प्रशांत कुमार ने घटना स्थल का निरीक्षण किया। साथ ही देर रात परिवार से मुलाकात की। पुलिस हिरासत में लिए गए लोगों से लगातार पूछताछ कर रही है, जिससे कुछ सबूत हाथ लगे सके। बता दें, यह पूरी घटना थाना इमलिया सुल्तानपुर इलाके के हेमपुर रेलवे क्रासिंग के पास बने ओवर ब्रिज के पास हुई है।

किसी ने फोन करके बुलाया

मृतक पत्रकार एक अखबार के तहसील महोली संवाददाता थे। परिजनों की माने तो दोपहर करीब 2 बजे के आसपास एक फोन आया था। पत्रकार राघवेंद्र बाजपेई ने घर में बताया कि तहसीलदार ने बुलाया है और वह बाइक पर सवार होकर महोली अपने घर से सीतापुर के लिए चल दिए।

फिर गोलियों से भून दिया

9 किलोमीटर दूर थाना इमलिया सुल्तानपुर इलाके में हेमपुर रेलवे ओवरब्रिज के ऊपर अज्ञात हमलावरों ने गोलियों से भूनकर हत्या कर दी और शव को छोड़कर फरार हो गए। यह वारदात दोपहर 3 बजे के आसपास हुई। काफी देर तक लोगों को लगा कि यह हादसा तो नहीं हैं, चूंकि हत्या लखनऊ-दिल्ली राष्ट्रीय राजमार्ग पर हुई जिस पर हजारों की संख्या में वाहनों का आना-जाना रहता है। 

पत्रकार राघवेंद्र बाजपेई को पहले जिला अस्पताल लाया गया, जहां पर शव का पहले एक्स-रे हुआ, जिसमें तीन गोलियां लगी पायी गयी। मृतक के चाचा ने बताया कि राघवेन्द्र की किसी से कोई दुश्मनी नहीं थी। आशंका जतायी जा रही है कि जमीन के विवाद और धान की खरीद को लेकर कुछ खबरें प्रकाशित की थीं।

बड़े भाई की भी हो चुकी है मौत

सीतापुर के महोली कस्बे के रहने वाले पत्रकार राघवेन्द्र बाजपेई के बड़े भाई की कई साल पहले रेल हादसे में मौत हो गयी थी। जिसके बाद उनके पिता हनुमान मंदिर के पुजारी महेन्द्र बाजपेई की मानसिक स्थिति भी बिगड़ गयी थी। बूढ़े मां-बाप और पत्नी और दो मासूम बच्चों के भरण-पोषण की जिम्मेदारी उन्हीं पर थी।