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अतीक की रिश्तेदार हिंदू ड्राइवर के साथ भागी, अतीक के गुर्गों ने ट्रक से कुचलवा दिया, पता नहीं चला कि इंसान की लाश है या किसी कुत्ते की...

अतीक की रिश्तेदार हिंदू ड्राइवर के साथ भागी, अतीक के गुर्गों ने ट्रक से कुचलवा दिया, पता नहीं चला कि इंसान की लाश है या किसी कुत्ते की...

लखनऊ राज्य ब्यूरो। जब भी अतीक अहमद का नाम आता है, तो हमारे दिमाग में एक कुख्यात अपराधी की छवि उभर आती है। एक ऐसा व्यक्ति जिसने हत्या, लूट, ज़मीन पर अवैध कब्ज़ा और अनगिनत अपराधों को अंजाम दिया। 

गौरतलब है कि 15 अप्रैल 2023 को पुलिस कस्टडी में अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इससे पहले, उसके बेटे असद को भी एनकाउंटर में मार दिया गया था। इसी के साथ, यह कहा जा सकता है कि अतीक अहमद के आपराधिक साम्राज्य का अंत हो गया। 

अतीक अहमद की क्रूरता और दरिंदगी के कई किस्से आपने सुने होंगे। लेकिन एक ऐसी घटना भी है जिसे जानकर आप दंग रह जाएंगे। हाली में हुए एक पॉडकास्ट में वरिष्ठ पत्रकार और लेखक मनोज त्रिपाठी ने एक सनसनीखेज खुलासा किया। 

उन्होंने बताया कि अतीक अहमद के एक रिश्तेदार की एक लड़की, जिसका नाम अलका था। एक हिंदू ड्राइवर के साथ भाग गई थी। यह जानकर अतीक ने अपने गुर्गों को पहले दोनों का पता लगाने का आदेश दिया और फिर बेरहमी से दोनों को ट्रक के नीचे कुचलवा दिया. इतना ही नहीं। जब तक यह पुष्टि नहीं हो गई कि वह किसी इंसान की लाश है या किसी कुत्ते की, तब तक उनका कुचला जाना जारी रहा।

तुम्हारी बेटी से कोई शादी नहीं करेगा

अतीक अहमद के एक रिश्तेदार, जिनकी बेटी घर से भाग गई थी, उन्होंने उससे गुहार लगाई थी, "मेरी बच्ची को मारना मत, बस उसे हमारे पास लौटा देना। हम उसकी शादी कहीं और करवा देंगे।" इस पर अतीक अहमद ने अवधी में तंज कसते हुए कहा, "अरे, अपन बिटिया के झूठा केक खइबू!" (अर्थात्, अब तुम्हारी बेटी से कोई शादी नहीं करेगा)। यह एक क्रूर अपराधी की मानसिकता को दर्शाता है, जो अपने को कानून से ऊपर समझता था और समाज में खौफ फैलाकर अपने आपराधिक साम्राज्य को बनाए रखना चाहता था।

चार बार विधायक और एक बार सांसद

सोचिए, एक आदमी जो सार्वजनिक रूप से इस तरह की बातें कर रहा था, उसने अपनी क्रूरता की कितनी हदें पार की होंगी! इतना खूँखार अपराधी वर्षों तक अपराध की दुनिया में सक्रिय रहा, और हैरानी की बात यह है कि वही व्यक्ति चार बार विधायक और एक बार सांसद भी बना। इतना ही नहीं, उसने भारत के परमाणु समझौते (न्यूक्लियर डील) पर संसद में वोट भी दिया था। यह हमारे सिस्टम की विडंबना ही है कि एक दुर्दांत अपराधी को सत्ता के गलियारों में जगह मिलती रही और वह राजनीति की आड़ में अपने अपराधों को अंजाम देता रहा।