'सबके साथ तुम्हें सोना पड़ेगा', कार में भी संबंध बनाता था प्रिंसिपल, छात्राओं का भी गुस्सा फूटा, सड़कों पर उतरीं यौन-शोषण के खिलाफ...
प्रदेश, ब्यूरो। राजस्थान की राजधानी जयपुर में एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसने पूरे शहर में हंगामा मचा दिया। प्रतापनगर में स्थित महिला पॉलिटेक्निक कॉलेज की छात्राओं ने अपने पूर्व प्रिंसिपल सैयद मश्कूर अली पर बेहद गंभीर इल्ज़ाम लगाए हैं। इन छात्राओं का कहना है कि प्रिंसिपल ने उनका यौन शोषण किया और उनकी जिंदगी को मुश्किल में डाल दिया।
इस खबर ने न सिर्फ कॉलेज के माहौल को हिलाकर रख दिया, बल्कि पूरे समाज में एक बड़ी बहस छेड़ दी है। छात्राएँ अब सड़कों पर उतर आई हैं और अपने हक के लिए आवाज़ उठा रही हैं। यह घटना हर किसी को सोचने पर मजबूर कर रही है कि आखिर ऐसी जगह, जहाँ बेटियों को पढ़ाई और सम्मान मिलना चाहिए, वहाँ ऐसा कैसे हो सकता है।
छात्राओं का गुस्सा उस वक्त फूट पड़ा, जब उन्होंने प्रिंसिपल के खिलाफ खुलकर बोलने का फैसला किया। उनके इल्ज़ामों ने सबको चौंका दिया है। यह मामला अब सिर्फ कॉलेज की चारदीवारी तक सीमित नहीं रहा, बल्कि सड़कों पर प्रदर्शन और हंगामे का रूप ले चुका है। छात्राओं का कहना है कि वे अब चुप नहीं रहेंगी और अपने साथ हुए गलत व्यवहार का जवाब माँगेंगी। इस घटना ने जयपुर में एक नई बहस को जन्म दे दिया है, जहाँ लोग यह समझने की कोशिश कर रहे हैं कि यह सब कैसे और क्यों हुआ।
प्रिंसिपल पर गंभीर इल्ज़ाम
छात्राओं ने सैयद मश्कूर अली पर जो इल्ज़ाम लगाए हैं, वे सुनकर रोंगटे खड़े हो जाते हैं। उनका कहना है कि प्रिंसिपल ने न सिर्फ उनका यौन शोषण किया, बल्कि उन्हें डराने-धमकाने की कोशिश भी की। छात्राओं का आरोप है कि वह उन्हें अकेले में बुलाता था और गलत हरकतें करता था। इतना ही नहीं, उन्होंने यह भी कहा कि प्रिंसिपल ने उन्हें ऐसी बातें कहीं, जो किसी भी इंसान के लिए शर्मिंदगी का कारण बन सकती हैं। एक छात्रा ने बताया कि उसने कहा था, "तुम्हें सबके साथ सोना पड़ेगा," जो उनकी मानसिक हालत को तोड़ने वाला था।
इसके अलावा, छात्राओं ने यह भी इल्ज़ाम लगाया कि प्रिंसिपल उन्हें कार में बैठाकर उनके सिनो को दबाता था और गलत जगहों पर ले जाता था और वहाँ उनके साथ संबंध बनाने की कोशिश करता था। सात छात्राओं ने हिम्मत दिखाते हुए पुलिस में इसके खिलाफ बयान दर्ज करवाए हैं। इन बयानों ने इस मामले को और गंभीर बना दिया है। छात्राओं का कहना है कि प्रिंसिपल न सिर्फ उनके साथ गलत व्यवहार करता था, बल्कि दूसरों को भी उनकी "सप्लाई" करने की कोशिश करता था। यह इल्ज़ाम सुनकर हर कोई हैरान है कि एक शिक्षक, जिसे सम्मान की नज़र से देखा जाता है, ऐसा कैसे कर सकता है।
सड़कों पर उतरी बेटियाँ
इस घटना के बाद छात्राएँ चुप नहीं बैठीं। उन्होंने अपने गुस्से को सड़कों पर उतार दिया और प्रिंसिपल के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन शुरू कर दिया। जयपुर की सड़कों पर उनकी नारेबाज़ी और हंगामा देखने को मिला। ये बेटियाँ अपने हक के लिए लड़ रही हैं और चाहती हैं कि दोषी को सख्त सजा मिले। उनके इस कदम ने न सिर्फ कॉलेज प्रशासन को हिलाकर रख दिया, बल्कि सरकार और पुलिस पर भी दबाव बढ़ा दिया है कि इस मामले में जल्द से जल्द कार्रवाई हो।प्रदर्शन के दौरान छात्राओं ने साफ कहा कि वे अब डरने वाली नहीं हैं। उनका कहना है कि अगर इस मामले में सही कदम नहीं उठाया गया, तो वे और बड़ा आंदोलन करेंगी। सड़कों पर उनकी आवाज़ ने लोगों का ध्यान खींचा है और समाज के हर तबके से उन्हें समर्थन मिल रहा है। यह प्रदर्शन न सिर्फ उनकी हिम्मत दिखाता है, बल्कि यह भी बताता है कि आज की बेटियाँ अपने सम्मान के लिए कितनी जागरूक और मजबूत हैं।
पुलिस और प्रशासन पर दबाव
छात्राओं के इल्ज़ामों के बाद पुलिस ने इस मामले को गंभीरता से लिया है। सात छात्राओं के बयान दर्ज होने के बाद जाँच शुरू हो गई है। पुलिस यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि प्रिंसिपल ने कितनी लड़कियों के साथ गलत व्यवहार किया और क्या इसमें कोई और लोग भी शामिल थे। इस बीच, कॉलेज प्रशासन भी हरकत में आया है और उसने प्रिंसिपल को निलंबित कर दिया है। लेकिन छात्राएँ इससे संतुष्ट नहीं हैं। उनका कहना है कि सिर्फ निलंबन काफी नहीं, दोषी को जेल की सलाखों के पीछे देखना चाहती हैं।
इस घटना ने सरकार पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। लोग पूछ रहे हैं कि ऐसी जगहों पर निगरानी क्यों नहीं थी और छात्राओं की सुरक्षा कैसे सुनिश्चित होगी। पुलिस पर दबाव है कि वह इस मामले की गहराई तक जाए और सच को सामने लाए। यह घटना न सिर्फ जयपुर में हंगामा मचा रही है, बल्कि पूरे राजस्थान में इसकी गूँज सुनाई दे रही है। हर कोई चाहता है कि दोषी को सजा मिले और बेटियों के लिए सुरक्षित माहौल बने।
समाज में उठी बहस
यह घटना सिर्फ एक कॉलेज तक सीमित नहीं रही, बल्कि इसने पूरे समाज में एक बड़ी बहस छेड़ दी है। लोग यह सोच रहे हैं कि शिक्षण संस्थानों में बेटियाँ सुरक्षित क्यों नहीं हैं। यह मामला हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि जिस जगह पर पढ़ाई और सम्मान की बात होनी चाहिए, वहाँ ऐसा व्यवहार कैसे हो सकता है। छात्राओं की हिम्मत को हर कोई सराह रहा है, लेकिन साथ ही यह सवाल भी उठ रहा है कि ऐसी घटनाएँ दोबारा न हों, इसके लिए क्या कदम उठाए जाएँ।
इस घटना ने बेटियों की सुरक्षा और सम्मान पर एक नई रोशनी डाली है। लोग चाहते हैं कि इस मामले में सख्त कार्रवाई हो, ताकि भविष्य में कोई ऐसा करने की हिम्मत न करे। जयपुर की सड़कों पर गूँज रही ये आवाज़ें अब पूरे देश में फैल रही हैं और हर किसी को यह एहसास करा रही हैं कि बेटियों की हिफाज़त हम सबकी जिम्मेदारी है।