ऑटो चालक ने लूट के बाद की महिला की हत्या, दुष्कर्म की आशंका, वाराणसी में इंटरव्यू देकर पहुंची थी लखनऊ...
राज्य ब्यूरो, लखनऊ। राजधानी लखनऊ में अपराध थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। ताजा मामला मलिहाबाद के मोहम्मद नगर का है जहां आलमबाग से आटो में सवार हुई महिला की चालक ने लूट के बाद हत्या कर दी। परिस्थितिजन्य साक्ष्य दुष्कर्म की तरफ भी इशारा कर रहे हैं। सूचना पर पहुंची पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम को भेजा है। साथ ही मामले की जांच शुरू की है।
मूलरूप से अयोध्या निवासी महिला रविवार को वाराणसी में निजी कंपनी में अपने इंटरव्यू के लिए गई थी। मंगलवार की देर रात वहां से रोडवेज बस से लौटी और चिनहट स्थित अपने भाई के घर जाने के लिए आटो पर बैठ गई। फोन कर उसने आधे घंटे में घर पहुंचने की बात कही।
आधा घंटा हो जाने पर भाई ने दोबारा फोन किया तो पीड़िता ने कहा कि अभी समय लगेगा। भाई ने आटो चालक से बात की तो उसने रूट डायवर्जन का हवाला दिया। इस पर भाई ने लोकेशन मांगी जो मलिहाबाद की निकली। भाई ने तत्काल बहन को सूचना दी। इसके तुरंत बाद उसका फोन स्विच आफ हो गया।
भाई ने 112 डायल कर पुलिस को किया सूचित
भाई ने 112 डायल कर पुलिस को सूचित किया। आलमबाग और मलिहाबाद पुलिस ने तत्काल लोकेशन के आधार पर छानबीन शुरू की। इस दौरान महिला मलिहाबाद मोहम्मद नगर स्थित एक आम के बाग में अचेत अवस्था में पड़ी मिली। पुलिस ने तत्काल उसे ट्रामा सेंटर भेज दिया जहां चिकित्सकों ने मृत घोषित कर दिया। भाई की तहरीर पर मुकदमा दर्ज कर पुलिस ने मामले की तफ्तीश शुरू की है।
दुष्कर्म पीड़िताओं के परिवारीजन को डीएनए किट के देने पड़ रहे 500 रुपये
वहीं, हरदोई में महिला सशक्तिकरण को लेकर सरकार भले ही तमाम योजनाएं चल रही हो,लेकिन सिस्टम लापरवाही से योजनाएं धरातल दम तोड़ रहीं हैं। दुष्कर्म पीड़िताओं के लिए निर्भया फंड योजना मददगार साबित नहीं हो रही है। ऐसे में दुष्कर्म पीड़िताओं से डीएनए किट के 500 से 600 रुपये देने पड़ रहे हैं।
हर महीने में दुष्कर्म के 40 से 50 मामले आते हैं। मामलों में पुलिस एफआइआर दर्ज कर पीड़िताओं का चिकित्सीय परीक्षण करती है। परीक्षण के दौरान दुष्कर्म पीड़िता हो या आरोपित पुलिस को दोनों की डीएनए जांच करानी होती है। डीएनए सामग्री (किट) पुलिस या स्वास्थ्य विभाग को उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी है।
इसके लिए पुलिस विभाग के पास निर्भय फंद भी है, लेकिन दुष्कर्म पीड़िताओं की डीएनए कराने के लिए उनके परिवारीजन को 500 से 600 रुपये देने पड़ते हैं। जबकि आरोपित के डीएनए का खर्च संबंधित पुलिसकर्मी को अपनी जेब से देना पड़ रहा है। डीएनए सामग्री कोई बाहरी नहीं, 100 पलंग चिकित्सालय के कर्मचारी रुपये लेकर उपलब्ध कराते हैं। जिम्मेदार ध्यान नहीं दे रहे,इसके चलते पीड़ताओं के परिवारीजन की जेब ढीली हो रही है।