सोने के हार से लेकर महंगी कार तक... आशी राजा को थाना प्रभारी दे चुके थे लाखों के गिफ्ट, TI सुसाइड कांड में खुलीं नई परतें...
मध्य प्रदेश के सबसे चर्चित थाना प्रभारी (TI) सुसाइड कांड में छतरपुर पुलिस ने बड़ी कार्रवाई की है। कोतवाली थाने में पदस्थ रहे टीआई अरविंद कुजूर की आत्महत्या के मामले में आशी राजा परमार और उसके फ्रेंड सोनू सिंह परमार के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। दोनों आरोपियों को अदालत में पेश कर पुलिस ने रिमांड पर लिया है। यह घटना बीती 6 मार्च की शाम को हुई, जब टीआई कुजूर ने अपने निजी बंगले में सर्विस रिवॉल्वर से खुद को गोली मार ली थी।
एडिशनल एसपी विदिता डागर ने बताया कि कॉल रिकॉर्ड की जांच में सामने आया है कि आशी राजा परमार और सोनू सिंह परमार ने टीआई अरविंद कुजूर को रेप केस में फंसाने की धमकी देकर ब्लैकमेल किया। इस मानसिक प्रताड़ना से परेशान होकर कुजूर ने आत्महत्या कर ली।
आशी की मां का जवाब: मेरी बेटी को फंसाया गया
इस मामले में आशी की मां सविता परमार ने अपनी बेटी को निर्दोष बताया है। सविता ने कहा, "मेरी बेटी को झूठा फंसाया जा रहा है। टीआई अरविंद कुजूर पिछले एक साल से आशी को अपनी गोपनीय टीम में मुखबिर के रूप में इस्तेमाल कर रहे थे, उन्हें हर महीने 30 से 50 हजार रुपये दिए जाते थे।
मां ने स्वीकार किया कि टीआई कुजूर ने आशी के जन्मदिन और अन्य मौकों पर सोने का हार, अंगूठियां और कार के लिए पैसे भी दिए थे। मेरी बेटी ने कोई ब्लैकमेलिंग नहीं की।" सविता ने यह भी दावा किया कि उनकी बेटी को इस मामले में बलि का बकरा बनाया जा रहा है।
क्या है पूरा मामला?
6 मार्च की शाम छतरपुर के पेप्टेक टाउन इलाके में अपने निजी बंगले पर टीआई अरविंद कुजूर ने सर्विस रिवॉल्वर से खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली थी। पुलिस की प्रारंभिक जांच में ब्लैकमेलिंग को आत्महत्या का कारण माना गया। इस मामले में आशी और उसके दोस्त सोनू पर संदेह के बाद पुलिस ने दोनों को हिरासत में लिया। जांच में यह भी सामने आया कि आशी और सोनू ने मिलकर कुजूर को रेप केस में फंसाने की धमकी दी थी, जिसके चलते वे मानसिक तनाव में थे।
आगे की कार्रवाई
पुलिस ने दोनों आरोपियों को कोर्ट में पेश किया, जहां से रिमांड की मांग की गई है। एडिशनल एसपी विदिता डागर ने कहा कि इस मामले में सभी तकनीकी साक्ष्य जुटाए जा रहे हैं और जल्द ही पूरी सच्चाई सामने आएगी। उधर, इस घटना ने छतरपुर में हड़कंप मचा दिया है और लोग इस चर्चित मामले में निष्पक्ष जांच की मांग कर रहे हैं।
बहरहाल, यह कांड मध्य प्रदेश में पुलिस महकमे के लिए भी एक बड़ा सवाल खड़ा कर रहा है कि आखिर एक तेज-तर्रार पुलिस इंस्पेक्टर कैसे इस हद तक मानसिक दबाव में आ गया कि उसने अपनी जान ले ली। जांच के नतीजे इस रहस्य से पर्दा उठाने में अहम होंगे।