आज से 17 साल पहले जब एक लड़की ने हिला दिया था पूरा यूपी, CM समेत कुर्सी छोड़कर भाग आए थे अफसर, जानें पूरा मामला...
एजेंसी न्यूज डेस्क :: वह दिन था 14 अप्रैल 2008, जब एक पूरा हंसता-खेलता परिवार कत्ल कर दिया गया। मामला उत्तर प्रदेश के अमरोहा जिले के बावनखेड़ी का था, जहां 14/15 अप्रैल की रात शौकत के परिवार के शवों को फेंक दिया गया था। इस दौरान परिवार के 7 सदस्यों की बेरहमी से हत्या कर दी गई। रिपोर्ट के अनुसार, सभी की हत्या कुल्हाड़ी से गला काटकर की गई। इस घटना से यूपी समेत पूरे देश में हड़कंप मच गया था।
उस दौरान यूपी की मुख्यमंत्री मायावती थीं, जो इस परिवार की जीवित बची लड़की से मिलने उसके घर पहुंची थीं। आज इस घटना को 17 साल हो गए हैं, इस दौरान हम आपको बताएंगे कि एक झटके में पूरे परिवार को खत्म करने के पीछे दो लोगों का हाथ था।
अमरोहा में 7 लोगों की मौत
उस समय बावनखेड़ी कांड की चर्चा पूरे देश में हुई थी, जब लोगों ने सुना कि किसी ने रात में 7 लोगों की हत्या कर दी है, तो हर जगह हड़कंप मच गया। दरअसल शौकत एक कॉलेज में लेक्चरर थे, उनका भरा-पूरा परिवार था, जो आराम की जिंदगी जी रहा था। अचानक, 14/15 अप्रैल की रात को पूरा परिवार नष्ट हो जाता है, और यह पता नहीं चल पाता कि यह किसने किया। इस दौरान परिवार की सिर्फ एक लड़की बच जाती है, जिससे मिलने तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती भी पहुंचती हैं।
मृतकों में कौन?
जब हत्या की गई, शौकत का परिवार खाना खाकर सो गया था और फिर कभी नहीं उठा। उस दौरान परिवार में कुल 8 लोग थे, जिसमें सिर्फ एक बेटी ही जीवित बची। मृतकों में शौकत, उनकी पत्नी, उनके दो बेटे, एक पुत्रवधू, एक भतीजी और एक बच्चा शामिल हैं। परिवार में एकमात्र जीवित व्यक्ति उनकी बेटी शबनम थी। जानकारी के अनुसार, उसकी चीखें सुनकर आस-पास के लोग उसके घर पहुंचे।
उस समय क्षेत्र का माहौल कैसा था?
15 अप्रैल एक सामान्य दिन था, हर कोई अपने काम पर लगा हुआ था। बच्चे स्कूल गए थे, तभी खबर आती है कि बावनखेड़ी में कुछ लोगों ने एक ही परिवार के 7 लोगों की हत्या कर दी है। अमरोहा निवासी अंशु सिंह (जो एक शिक्षिका हैं) कहती हैं कि जब उनके स्कूल को यह खबर मिली तो सभी बच्चों को घर भेज दिया गया। इन हत्याओं का सभी पर गहरा प्रभाव पड़ा। इस एपिसोड में उस समय छात्रा रही शरिया बताती हैं कि वह उस समय 10वीं कक्षा में पढ़ती थीं। वह उस समय स्कूल में थी जब उसे बताया गया कि आज पढ़ाई नहीं होगी क्योंकि कुछ लुटेरों ने बड़ा अपराध किया है।
दरअसल, जब तक हत्या के कारणों का पता नहीं चला था, तब तक पूरे इलाके में तरह-तरह की अफवाहें फैल रही थीं। कुछ लोग कह रहे थे कि चोर आये और सबको मार डाला। बताया जाता है कि बची हुई शबनम भी एक बच्ची थी जो चोरों से बचने के लिए एक ड्रम में छिप गई थी। हालाँकि, ये सारी बातें सिर्फ अनुमान थीं, क्योंकि सच्चाई इतनी भयानक थी कि कोई अंदाजा भी नहीं लगा सकता था।
हत्या किसने की?
तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती भी जिंदा बच्ची शबनम से मिलने पहुंचीं। शबनम ने सबको बताया कि वह उस रात छत पर सो रही थी, चोर आए और पूरे परिवार को मारकर चले गए। इस बात पर सभी ने यकीन कर लिया, लेकिन जैसे ही शवों की पोस्टमार्टम रिपोर्ट आई, पूरा मामला भी सामने आ गया। रिपोर्ट से पता चला कि मरने से पहले उन सभी को नशीला पदार्थ दिया गया था। तब सबको शक हुआ कि अकेले शबनम को ड्रग क्यों नहीं दी गई? पुलिस इसकी जांच करती है, जिसमें शक की सुई सलीम नाम के शख्स पर घूमती है।
दूसरा नाम जो सामने आया
जांच में पता चला कि शौकत का परिवार सलीम नाम के एक व्यक्ति से भी जुड़ा था। इस पर संदेह होने पर पुलिस उसे पूछताछ के लिए उठा लेती है। पहले तो वह कुछ नहीं बोलता, लेकिन बाद में सब कुछ उगल देता है। सलीम ने बताया कि हत्या की योजना किसी और की नहीं बल्कि शबनम की थी। दरअसल, ये दोनों एक दूसरे से प्यार करते थे, जिसके चलते दोनों ने मिलकर परिवार को रास्ते से हटाने की योजना बनाई थी। जानकारी के अनुसार, शौकत अपनी बेटी शबनम से अपने रिश्ते के कारण बात नहीं करता था।
सलीम मजदूर, शिक्षामित्र शबनम
शबनम का परिवार आर्थिक रूप से संपन्न था। शबनम खुद भी गांव के स्कूल में शिक्षिका थीं। इन दोनों में बनती नहीं थी, जिसके कारण परिवार को इनका रिश्ता मंजूर नहीं था। सलीम बताता है कि वह किसी को मारना नहीं चाहता था, लेकिन उसने शबनम के साथ मिलकर यह सब किया। हत्या से पहले शबनम ने परिवार के सदस्यों को दूध में नशीला पदार्थ पिला दिया था, जिसके बाद उसने सलीम को घर आने को कहा। सलीम ने बताया था कि इस दौरान शबनम का सिर पूरी तरह खून से लथपथ हो गया था।
सबकी गर्दन काट दो
जब सभी लोग नशे में धुत्त होकर सो गए तो शबनम ने सलीम की मदद से सभी की गर्दनें काट दीं। इस दौरान उसने सभी के बाल पकड़ रखे थे ताकि सलीम आसानी से कुल्हाड़ी से उनकी गर्दनें काट सके। 6 लोगों की हत्या के बाद शबनम का भतीजा (जो केवल 11 महीने का था) बच जाता है, जिसे सलीम छोड़ देता है। सलीम ने कहा कि वह उस बच्चे को नहीं मार सकता। उस बच्चे की हत्या शबनम ने ही गला घोंटकर की थी।
जेल में पैदा हुआ बच्चापूरी सच्चाई सामने आने के बाद दोनों को जेल भेज दिया गया। अदालत ने दोनों को मौत की सजा सुनाई, लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं होती, बल्कि यहां एक नया अध्याय शुरू होता है। दरअसल, फांसी से पहले शबनम का मेडिकल कराया गया, जिसमें पता चला कि वह गर्भवती है। अब, जब तक शबनम बच्चे को जन्म नहीं दे देती और उसका बच्चा 5 साल का नहीं हो जाता, तब तक उसकी फांसी पर रोक रहेगी। जेल में कुछ महीने रहने के बाद शबनम ने सलीम के बच्चे को जन्म दिया, जिसका नाम ताज मोहम्मद रखा गया। हालाँकि, कुछ साल बाद ताज को एक परिवार ने गोद ले लिया। शबनम अभी भी बरेली जेल में है।
शबनम के बारे में कोई बात नहीं करता था
इस पूरी घटना पर कितना आबे का भी प्रकाशन किया गया, जिसे पूरे क्षेत्र में खूब खरीदा गया। इसे याद करते हुए अमरोहा की रहने वाली रेहाना कहती हैं कि 'मुझे आज भी याद है कि मेरे परिवार में कोई भी इस बारे में बात नहीं करता था। जब भी शबनम का जिक्र होता तो मां उसे डांटकर चुप करा देती। वह आगे कहती हैं कि 'उस दौरान सभी परिवारों को डर था कि कहीं इसका उनकी बेटियों पर किसी तरह का बुरा असर न पड़ जाए।'