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वाराणसी में प्रधानमंत्री मोदी के दौरे के दौरान 26/11 हमले की गूंज: तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण पर पोस्टरों से गरजा काशी ...

वाराणसी में प्रधानमंत्री मोदी के दौरे के दौरान 26/11 हमले की गूंज: तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण पर पोस्टरों से गरजा काशी ...


वाराणसी, 11 अप्रैल 2025
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 50वें वाराणसी दौरे के दौरान जहां विकास की योजनाओं और काशी की आध्यात्मिक-तकनीकी उन्नति की बात हुई, वहीं एक अन्य भावनात्मक और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा मुद्दा भी जनभावना के रूप में सामने आया — 26/11 मुंबई आतंकी हमले का दर्द और उसके सूत्रधारों को न्याय के कठघरे में लाने की मांग।

काशी की गलियों में गरजा न्याय का स्वर

प्रधानमंत्री के दौरे के साथ-साथ शहर के प्रमुख चौराहों, घाटों और रैली स्थल के आस-पास "अब 26/11 का होगा हिसाब", "भारत मां के शत्रु बेनकाब होंगे", जैसे नारों से सजे पोस्टर देखे गए। ये पोस्टर भारतीय जनता पार्टी के स्थानीय कार्यकर्ताओं और काशीवासियों की ओर से लगाए गए थे, जो तहव्वुर राणा के भारत प्रत्यर्पण को लेकर नई उम्मीद और सख्त रुख को दर्शाते हैं।


तहव्वुर हुसैन राणा, पाकिस्तान मूल का एक अमेरिकी नागरिक है, जो 26 नवंबर 2008 को मुंबई में हुए भीषण आतंकी हमले में शामिल मुख्य साजिशकर्ताओं में से एक माना जाता है। अमेरिका में उसे हिरासत में लिए जाने और लंबी कानूनी प्रक्रिया के बाद हाल ही में भारत को प्रत्यर्पित किया गया है, जिससे भारत की एजेंसियों को बड़ी जानकारी मिलने की संभावना है।

तहव्वुर राणा का नाम लश्कर-ए-तैयबा के ऑपरेटिव डेविड हेडली के साथ भी जुड़ा हुआ है। राणा ने कथित तौर पर भारत में कई फर्जी व्यावसायिक गतिविधियों के ज़रिए आतंकी नेटवर्क को लॉजिस्टिक सहायता प्रदान की थी।


काशी में लगे पोस्टरों में प्रधानमंत्री मोदी की कड़ी राष्ट्रीय सुरक्षा नीति को समर्थन देते हुए लिखा गया था:
> “26/11 का एक-एक गुनहगार अब बच नहीं पाएगा। बेनकाब चेहरों से अब भारत नहीं डरेगा।”


> “तहव्वुर आया है, अब गद्दारों का पर्दाफाश तय है। काशी बोले - आतंक के आकाओं को मिले सजा।”


हालांकि प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण में तहव्वुर राणा या 26/11 हमले का प्रत्यक्ष उल्लेख नहीं किया, परंतु उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा और आतंकवाद के खिलाफ सरकार की ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति को दोहराते हुए कहा:

> “भारत अब आतंक के खिलाफ सिर्फ़ सहन नहीं करता, जवाब देता है — और ऐसा जवाब कि पूरी दुनिया देखती है।”


बीजेपी वाराणसी महानगर अध्यक्ष ने ए. के. केसरी वरिष्ठ पत्रकार से बातचीत में कहा:

> “तहव्वुर राणा का प्रत्यर्पण मोदी सरकार की वैश्विक कूटनीति और आतंक के खिलाफ अडिग संकल्प का परिणाम है। काशी के लोग इस ऐतिहासिक क्षण को कभी नहीं भूलेंगे। अब हर दोषी को न्याय के कटघरे में खड़ा किया जाएगा।”


वाराणसी का यह दृश्य केवल एक राजनीतिक बयान नहीं, बल्कि देश की भावनाओं और न्याय की मांग का प्रतीक है। तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण के बाद आम जनता में यह भरोसा और भी प्रबल हो गया है कि 26/11 की पीड़ा को अब न्याय में बदला जाएगा।

काशी ने इस बार सिर्फ़ प्रधानमंत्री का स्वागत नहीं किया, बल्कि आतंकवाद के विरुद्ध भारत की सामूहिक चेतना को स्वर और पोस्टरों के माध्यम से मुखर किया।