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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का वाराणसी में 50वां दौरा: ‘काशी का विकास ही राष्ट्र का विकास है’ — बोले - इलाज का चिंता मत करा तोहरे खातिर मोदी....
वाराणसी, 11 अप्रैल 2025 — प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी में 50वीं बार पहुंचकर एक ऐतिहासिक पड़ाव छू लिया। इस अवसर पर आयोजित विशाल जनसभा में उन्होंने जनता को संबोधित करते हुए काशी के विकास, देश की बदलती तस्वीर और आने वाले भविष्य की दिशा पर विस्तृत चर्चा की। उनके भाषण ने जन-जन को न केवल गौरवान्वित किया, बल्कि आत्मविश्वास और विकास के प्रति आश्वस्त भी किया।
1. काशी और प्रधानमंत्री का रिश्ता
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन की शुरुआत करते हुए कहा:
> “काशी मेरी कर्मभूमि है, यह मेरा सौभाग्य है कि मुझे इस धरती की सेवा का अवसर मिला।”
उन्होंने काशीवासियों को परिवार का हिस्सा बताया और कहा कि यह 50वां दौरा किसी ‘आंकड़े’ का नहीं, बल्कि ‘अपनेपन और सेवा’ का प्रतीक है।
2. 2014 से पहले की काशी बनाम वर्तमान काशी
प्रधानमंत्री ने पिछली सरकारों पर निशाना साधते हुए कहा कि 2014 से पहले काशी की पहचान बदहाली, गंदगी और अराजकता से होती थी।
> “गंगा किनारे की सीढ़ियाँ टूटी थीं, गलियाँ बदहाल थीं, बिजली आती नहीं थी, विकास शब्द सुनाई नहीं देता था।”
उन्होंने जोर देकर कहा कि आज काशी दुनिया के लिए एक मॉडल बन चुकी है — स्मार्ट सिटी, हेरिटेज विकास और आध्यात्मिक पर्यटन का संगम।
3. विकास कार्यों की चर्चा
प्रधानमंत्री ने मंच से ही 3884.18 करोड़ रुपये की 44 परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास किया। उन्होंने कहा:
> “आज जिन परियोजनाओं की शुरुआत हुई है, वे अगले 25 वर्षों की काशी के निर्माण की नींव हैं।”
उन्होंने जल जीवन मिशन, शिक्षा, स्वास्थ्य, आधारभूत संरचना और MSME को प्राथमिकता देने की बात कही। उन्होंने विशेष रूप से ‘काशी यूनिटी मॉल’, एयरपोर्ट टनल और पेयजल योजनाओं का ज़िक्र किया।
4. किसानों और कारीगरों के लिए योजनाएँ
प्रधानमंत्री ने वाराणसी और आसपास के ग्रामीण क्षेत्र के किसानों और कारीगरों को धन्यवाद देते हुए कहा:
> “काशी का बुनकर, किसान और कलाकार आत्मनिर्भर भारत का सच्चा वाहक है।”
उन्होंने दूध उत्पादकों को 106 करोड़ रुपये का बोनस डिजिटल रूप से वितरित किया, GI टैग प्रमाणपत्र सौंपे और आंगनवाड़ी केंद्रों की नई व्यवस्था की सराहना की।
5. आत्मनिर्भर भारत और लोकल के लिए वोकल
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में ‘लोकल’ उत्पादों और संस्कृति के वैश्विक प्रचार की बात की। उन्होंने बनारसी साड़ी, लकड़ी का खिलौना, गुलाबी मीनाकारी जैसे उत्पादों की अंतरराष्ट्रीय मांग पर गर्व व्यक्त किया।
6. युवाओं और शिक्षा पर बल
> “युवाओं के लिए कौशल ही भविष्य की गारंटी है।”
प्रधानमंत्री ने नए पॉलिटेक्निक कॉलेज, सरकारी महाविद्यालय, डिजिटल पुस्तकालयों और स्मार्ट क्लासेस की स्थापना का उल्लेख किया।
7. चुनावी संकेत और संकल्प
प्रधानमंत्री ने जनसभा में बिना नाम लिए विपक्ष पर प्रहार करते हुए कहा:
> “कुछ लोग सिर्फ वादे करते हैं, हम कार्य करते हैं। हमारा वचन संकल्प बनता है और संकल्प, परिणाम में बदलता है।”
उन्होंने काशी की जनता से आगामी लोकसभा चुनावों में फिर आशीर्वाद मांगा और संकल्प लिया कि काशी को आने वाले वर्षों में ‘ग्लोबल आध्यात्मिक-तकनीकी सिटी’ बनाया जाएगा।
8. समापन संदेश
भाषण का समापन करते हुए उन्होंने कहा:
> “काशी हमारी है, हम काशी के हैं। देश जब काशी से प्रेरणा लेता है, तो भारत वैश्विक नेतृत्व की ओर अग्रसर होता है।”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह भाषण सिर्फ विकास योजनाओं की घोषणा नहीं था, बल्कि यह एक भावनात्मक, वैचारिक और विजनरी संवाद था। काशीवासियों के साथ आत्मीय जुड़ाव, बीते 10 वर्षों की मेहनत का लेखा-जोखा और आने वाले भविष्य की झलक — इन तीनों स्तंभों पर भाषण आधारित रहा।