काशी गैंगरेप- 546 लड़कियों के कैफे में बनाया गया न्यूड वीडियो मिला, मास्टरमाइंड अनमोल का सेक्स रैकेट हुआ बेनकाब...
Varanasi Gang Rape: वाराणसी में 19 वर्षीय छात्रा से गैंगरेप का मामला अब एक विशाल सेक्स रैकेट की ओर इशारा कर रहा है. पुलिस जांच में सनसनीखेज खुलासे हुए हैं. 12 गिरफ्तार आरोपियों के 14 मोबाइल फोनों में 546 लड़कियों के न्यूड वीडियो और 100 से अधिक स्टाइलिश तस्वीरें मिली हैं। ये वीडियो मास्टरमाइंड अनमोल गुप्ता के सिगरा स्थित कॉन्टिनेंटल कैफे में बनाए गए थे. जिन्हें उत्तर प्रदेश सहित छह राज्यों महाराष्ट्र, दिल्ली, बिहार, पश्चिम बंगाल, और तमिलनाडु में ग्राहकों को भेजा जाता था. इस मामले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है।
सेक्स रैकेट का खुलासा
पुलिस ने 23 में से 12 आरोपियों को गिरफ्तार किया है. जिनमें अनमोल गुप्ता मुख्य सरगना है. अनमोल के दो आईफोन से पुलिस को ग्राहकों की डेटा शीट, न्यूड वीडियो, और आपत्तिजनक तस्वीरें मिली हैं. पुलिस सूत्रों के अनुसार ‘ये वीडियो अनमोल अपने ग्राहकों को भेजता था और नए लोगों को लुभाने के लिए भी इनका इस्तेमाल करता था.’ इन वीडियो के बैकग्राउंड से पता चला कि वे कॉन्टिनेंटल कैफे में ही रिकॉर्ड किए गए. सभी मोबाइल फोरेंसिक जांच के लिए आगरा विधि विज्ञान प्रयोगशाला भेजे गए हैं।
अनमोल का आपराधिक इतिहास
पुलिस पूछताछ में चौंकाने वाला तथ्य सामने आया कि अनमोल का पिता शरद गुप्ता भी सेक्स रैकेट का माफिया है. दिसंबर 2022 में दोनों को इसी तरह के एक मामले में गिरफ्तार किया गया था. वाराणसी कोर्ट ने उनकी जमानत कई बार खारिज की थी. लेकिन हाईकोर्ट से जमानत मिलने के बाद उन्होंने फिर से यह गोरखधंधा शुरू कर दिया. अनमोल ने सिगरा थाना पुलिस से कथित साठगांठ कर कैफे को अपराध का अड्डा बना लिया।
पीड़िता की हालत
छह दिन तक दरिंदों के चंगुल में रही पीड़िता गहरे मानसिक आघात से गुजर रही है. परिवार के अनुसार ‘वह सुबह-शाम ड्रग्स के प्रभाव में थी. अब घर आने के बाद भी वह कुछ बोलती नहीं, कभी रोने लगती है, कभी चुप हो जाती है.’ शुक्रवार को उसे पुलिस सुरक्षा में पंडित दीनदयाल अस्पताल ले जाया गया. जहां डॉ. ज्योति ठाकुर ने उसके ब्लड सैंपल लिए. डॉक्टरों ने दवाएं दी हैं।
गिरफ्तारियां और कार्रवाई
पुलिस ने तीन और आरोपियों रेहान, जाहिर, और मोहम्मद रजा को गिरफ्तार किया है। जो अनमोल के कैफे से जुड़े थे। अब तक 12 लोग हिरासत में हैं। जबकि 11 अन्य की तलाश जारी है। गिरफ्तार आरोपियों ने स्वीकार किया कि ‘अनमोल की दोस्ती में हम भी ड्रग्स लेने लगे थे। रेप के समय हम नशे में थे।’ उनके ब्लड सैंपल भी जांच के लिए भेजे गए हैं। चेतगंज के एसीपी गौरव कुमार ने 41 जगहों पर छापेमारी की और 100 से अधिक सीसीटीवी फुटेज खंगाले हैं।
पीएम मोदी का सख्त रुख
शुक्रवार को वाराणसी पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एयरपोर्ट पर पुलिस कमिश्नर से मामले की पूरी जानकारी ली। उन्होंने निर्देश दिया ‘कोई भी दोषी बचना नहीं चाहिए।’ इसके बाद पुलिस ने कार्रवाई तेज कर दी। सूत्रों के मुताबिक जल्द ही कुछ हाई-प्रोफाइल लोगों की गिरफ्तारी हो सकती है।
सिगरा पुलिस पर उठे सवाल
कॉन्टिनेंटल कैफे की आड़ में चल रहे इस रैकेट ने सिगरा थाना पुलिस की भूमिका पर सवाल खड़े किए हैं। स्थानीय लोग आरोप लगा रहे हैं कि पुलिस की मिलीभगत के बिना इतना बड़ा रैकेट संचालित नहीं हो सकता। कैफे को सील कर दिया गया है लेकिन पुलिस की जवाबदेही पर बहस छिड़ गई है।
क्या है पूरा मामला?
29 मार्च को पीड़िता अपने दोस्त के घर से लौटते समय लापता हो गई थी। उसे राज विश्वकर्मा नामक व्यक्ति ने अपने लंका स्थित कैफे में ले जाकर दुष्कर्म किया। अगले छह दिनों तक उसे ड्रग्स देकर होटल, हुक्का बार, और कॉन्टिनेंटल कैफे में ले जाया गया। जहां 23 लोगों ने उसके साथ हैवानियत की। 4 अप्रैल को उसे बेसुध हालत में सड़क किनारे फेंक दिया गया। 6 अप्रैल को परिवार ने FIR दर्ज की। जिसके बाद पुलिस ने कार्रवाई शुरू की।
न्यूड वीडियो की भेजी गई लोकेशन
पुलिस की प्रारंभिक जांच में यह बात सामने आई है कि आरोपियों ने इन वीडियो को अलग-अलग राज्यों में स्थित लोगों को भेजे थे। यह वीडियो यूपी, बिहार, महाराष्ट्र, दिल्ली, पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु के विभिन्न लोकेशन्स से मिले हैं। यह खुलासा इस बात का संकेत है कि आरोपियों का नेटवर्क सिर्फ एक राज्य तक सीमित नहीं था, बल्कि यह एक बड़ा आपराधिक रैकेट हो सकता है, जो देशभर में काम कर रहा था।
पुलिस की कार्रवाई और आगे की जांच
पुलिस अब इस मामले में पूरी गंभीरता से जांच कर रही है और यह सुनिश्चित करने की कोशिश कर रही है कि आरोपियों के बाकी साथी जल्द पकड़े जाएं। इसके साथ ही पुलिस यह भी जांच रही है कि इन वीडियो को और कितने लोगों तक भेजा गया था और उन लोगों के बारे में क्या जानकारी मिल सकती है। इस मामले में साइबर विशेषज्ञों की मदद भी ली जा रही है, ताकि तकनीकी रूप से आरोपियों की पहचान की जा सके।