ये जो गुड्डू मुस्लिम है ना... नहीं खुला अतीक का ये राज, दो साल बाद भी शाइस्ता का सुराग नहीं
प्रयागराज। माँफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की हत्या के दो साल हो चुके हैं। प्रयागराज के काल्विन हॉस्पिटल परिसर में दोनों की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। हमलावर अरुण मौर्या, सनी और लवलेश पत्रकार बनकर पहुंचे और जैसे ही अतीक और उसके भाई अशरफ ने मीडिया से बात करना शुरू की, तीनों ने ताबड़तोड़ फायरिंग कर दी। इस दौरान करीब 18 राउंड गोलियां चलीं, जिसमें से 8 गोलियां अतीक अहमद को लगी और दोनों की मौत हो गई। अब अतीक का पूरा साम्राज्य खत्म हो चुका है। हत्याकांड के बाद से ही अतीक की पत्नी शाइस्ता परवीन और अशरफ की पत्नी जैनब व गुड्डू मुस्लिम फरार हैं, अभी तक तीनों का कुछ पता नहीं चल सका है।
पुलिस अभी तक गुड्डू मुस्लिम की भी तलाश नहीं कर पाई है. यह वही गुड्डू मुस्लिम है, जिसका नाम अशरफ मीडिया के सामने ले रहा था. लेकिन जैसे ही उसने कहा कि 'ये जो गुड्डू मुस्लिम है ना...' वैसे ही हमलावरों ने फायरिंग कर दी और अतीक व अशरफ की मौत हो गई. अतीक अशरफ की हत्या के बाद से गुड्डू मुस्लिम को लेकर राज भी नहीं खुल सका. हत्याकांड के बाद से ही ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि अशरफ, गुड्डू मुस्लिम और अपने साम्राज्य को लेकर कई बड़े खुलासे करने वाला था।
पत्नी और बेटे जेल में हैं बंद
अतीक और अशरफ की पत्नियां जहां फरार हैं. वहीं, दो बेटे अली और उमर जेल में बंद हैं. जबकि दो बेटे जो नाबालिग हैं, वो बाहर हैं और किसी रिश्तेदार के यहां से पढ़ाई कर रहे हैं. पुलिस द्वारा दोनों की लगातार निगरानी भी रखी जा रही है. वहीं तीसरे नंबर के बेटे अशद को यूपी स्टीएफ ने मार गिराया था. अशद, विधायक राजूपाल हत्याकांड के गवाह उमेश पाल की हत्या के बाद से फरार था. उमेश पाल की हत्या दिनदहाड़े प्रयागराज में कर दी गई थी।
शाइस्ता परवीन और जैनब कहां हैं किसी को नहीं पता?
शाइस्ता परवीन और जैनब कहां हैं, इसका पता अभी तक पुलिस भी नहीं लगा पाई है. वहीं, उमेश पाल हत्याकांड का मुख्य आरोपी गुड्डू मुस्लिम कहां है, उसका भी कुछ पता नहीं चल पाया है. अतीक और अशरफ की हत्या के बाद शाइस्ता और परवीन जनाजे भी शामिल नहीं होने आई थीं।
अतीक हत्याकांड में पुलिस को मिल चुकी है क्लीनचिट
माफिया अतीक अहमद और अशरफ हत्याकांड मामले में यूपी पुलिस को क्लीन चिट मिल गई है. विधानसभा में पेश की गई न्यायिक आयोग की जांच रिपोर्ट ने पुलिस को इस मामले में बेदाग बताया था, साथ ही कहा था कि, अतीक अहमद और अशरफ की हत्या पूर्व नियोजित नहीं थी. पुलिस के लिए इस घटना को टालना संभव नहीं था. पुलिस की तरफ से कोई लापरवाही नहीं बरती गई।
पुलिस के पास नहीं था हस्तक्षेप का समय
हत्याकांड नौ सेकंड में घटित हुआ, जिससे पुलिस के पास हस्तक्षेप का कोई समय नहीं था. रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया कि अतीक और अशरफ की सुरक्षा के लिए पुलिस ने मानक से अधिक कर्मियों की तैनाती की थी. जेल से लेकर रिमांड तक के दौरान सुरक्षा व्यवस्था मजबूत थी. हालांकि, मीडिया की उपस्थिति ने पुलिस के कार्य में बाधा डाली और हत्याकांड के दौरान मीडिया कर्मियों की गतिविधियों पर सवाल उठाए गए।
हमलावरों ने इसलिए की थी दोनों की हत्या
आयोग ने हमलावरों के मकसद पर भी प्रकाश डाला, जिन्होंने अतीक और अशरफ की हत्या को मीडिया की मौजूदगी में अंजाम दिया ताकि उन्हें कुख्याति मिल सके. इस घटना ने पुलिस को कई महत्वपूर्ण सूचनाओं के नुकसान का भी सामना करना पड़ा, जैसे कि आतंकवादी संगठनों और आईएसआई से अतीक और अशरफ की हत्या में पुलिस और राज्य तंत्र की कोई संलिप्तता नहीं थी. यह पूर्व नियोजित साजिश थी जिसे टालना संभव नहीं था।
अतीक का खत्म हो चुका है साम्राज्य
अतीक अहमद का पूरा साम्राज्य खत्म हो चुका है. उसके लिए जो गुर्गे काम कर रहे थे, वे अब अंडर ग्राउंड हो गए हैं. पुलिस की डर से अतीक के रिश्तेदार भी शांत हैं. उमेश पाल हत्याकांड के बाद ही यूपी सरकार ने अतीक के पुस्तैनी आवास पर बुलडोजर चलवा दिया था. वहीं, गलत तरीके से खरीदी गईं या फिर कब्जा की गई जमीनों पर प्रशासन ने कब्जा कर लिया था।