पानी खरीदने की 'औकात' नहीं, भारत से युद्ध के लिए क्यों बेकरार है पाकिस्तान, क्या है मुनीर की साजिश?...जानिए
दक्षिण कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले ने एक बार फिर भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव की चिंगारी सुलगा दी है. इस हमले में निर्दोष लोगों की मौत के बाद देश में आक्रोश है और पाकिस्तान को लेकर सवाल उठने लगे हैं-क्योंकि इस वारदात की साजिश रचने का आरोप सीधे-सीधे सीमा पार बैठे लश्कर-ए-तैयबा और उसके सहयोगी संगठन 'द रेजिस्टेंस फ्रंट' पर है.इस हमले की जिम्मेदारी खुद 'TRF' ने ली है, और माना जा रहा है कि इसका मास्टरमाइंड पाकिस्तानी आतंकी सैफुल्लाह कसूरी है. लेकिन, मामला यहीं नहीं थमा-पाकिस्तान ने भारत पर ही आतंकवाद को बढ़ावा देने का उल्टा आरोप लगाया है और उसके रक्षा मंत्री खुलेआम युद्ध की धमकी देने लगे हैं.
सवाल ये है कि आखिर पाकिस्तान, जो खुद आर्थिक कंगाली की कगार पर है, कैसे भारत जैसे विशाल और ताकतवर देश को युद्ध के लिए ललकार सकता है?
पहलगाम हमला: एक सोची-समझी रणनीति
22 अप्रैल को हुए हमले की टाइमिंग और इसके तरीके को देखकर यह साफ समझा जा सकता है कि यह कोई सामान्य आतंकी वारदात नहीं थी. यह हमला न सिर्फ टूरिस्ट सीज़न के चरम पर हुआ, बल्कि टारगेटेड तरीके से गैर-मुस्लिम पर्यटकों को निशाना बनाया गया. इससे पाकिस्तान का नापाक इरादा और भी उजागर होता है-भारत के भीतर धार्मिक और सामाजिक तनाव पैदा करना, साथ ही जम्मू-कश्मीर में शांति और पर्यटन को चोट पहुंचाना।
जनरल असीम मुनीर की 'जिहादी सोच'
पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर का हालिया बयान जिसमें उन्होंने खुद को "हिंदुओं का दुश्मन" बताया, न केवल असंवेदनशील है बल्कि भारत के खिलाफ पाकिस्तान की गहरी नफरत को दर्शाता है. ये वही जनरल हैं जो उरी और पुलवामा जैसे हमलों के बाद भारत के करारे जवाब-सर्जिकल और एयर स्ट्राइक-को देख चुके हैं, फिर भी युद्ध की भाषा बोल रहे हैं।
पाकिस्तान: आंतरिक संकट में उलझा देश
आज पाकिस्तान चारों तरफ से संकटों में घिरा है. बलूचिस्तान में अलगाववाद चरम पर है, खैबर पख्तूनख्वा में टीटीपी (तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान) ने अपनी सत्ता जमा रखी है, और सिंध में सेना की नहर परियोजना के खिलाफ लोग भड़क रहे हैं. आर्थिक हालात इतने बदतर हैं कि विदेशी कर्ज के बिना देश एक महीना भी नहीं चला सकता. ऐसे में युद्ध की बात करना जनरल मुनीर की राजनीतिक चाल हो सकती है-एक बाहरी दुश्मन दिखाकर अपने देश के भीतर फैलते असंतोष को दबाने की कोशिश।
भारत की रणनीति: शब्दों से आगे की तैयारी
भारत सरकार ने इस आतंकी हमले का कड़ा संज्ञान लिया है. CCS (कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी) की आपात बैठक में पाकिस्तान पर कूटनीतिक प्रहार करने के संकेत दिए गए हैं-सिंधु जल समझौते की समीक्षा, पाक नागरिकों के वीजा पर रोक और उच्चायोग की संख्या में कटौती जैसे कदम उठाए जा सकते हैं. लेकिन, भारत कब और कैसे जवाब देगा, यह सवाल अभी बना हुआ है.
क्या होगा आगे? सीमित युद्ध या कड़ा संदेश?
हालांकि भारत और पाकिस्तान दोनों परमाणु हथियारों से लैस हैं, फिर भी अतीत में हमने देखा है कि सीमित सैन्य कार्रवाई से भी पाकिस्तान को कड़ा संदेश दिया जा सकता है. 1999 के करगिल युद्ध से लेकर बालाकोट एयर स्ट्राइक तक, भारत ने हर बार आक्रामकता का जवाब दोगुने प्रतिघात से दिया है. जनरल मुनीर शायद ये भूल गए हैं कि चार में से चार युद्ध पाकिस्तान ने शुरू किए थे, लेकिन खत्म भारत ने किया था.दक्षिण कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले ने एक बार फिर भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव की चिंगारी सुलगा दी है. इस हमले में निर्दोष लोगों की मौत के बाद देश में आक्रोश है और पाकिस्तान को लेकर सवाल उठने लगे हैं-क्योंकि इस वारदात की साजिश रचने का आरोप सीधे-सीधे सीमा पार बैठे लश्कर-ए-तैयबा और उसके सहयोगी संगठन 'द रेजिस्टेंस फ्रंट' पर है।
पहलगाम हमला: एक सोची-समझी रणनीति
जनरल असीम मुनीर की 'जिहादी सोच'
पाकिस्तान: आंतरिक संकट में उलझा देश
भारत की रणनीति: शब्दों से आगे की तैयारी
क्या होगा आगे? सीमित युद्ध या कड़ा संदेश?