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बांदा : कृषि विश्वविद्यालय में एक ही जाति के 11 प्रवक्ताओं की नियुक्ति से मचा बवाल
बांदा । जनपद मुख्यालय में स्थित कृषि विश्वविद्यालय में एक ही जाति के 11 प्रवक्ताओं के की नियुक्ति को लेकर बवाल मच गया है। इस मामले की शिकायत प्रधानमंत्री कार्यालय तक पहुंच गई है वही इन शिकायतों को देखते हुए प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने जांच के आदेश दिए हैं जबकि विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ सुरेंद्र कुमार सिंह ने कहा है कि सभी नियुक्तियां पारदर्शिता के साथ हुई है, इसमें किसी प्रकार की अनियमितताएं नहीं की गई है। बताते चलें कि, कृषि विश्वविद्यालय में नियुक्तियों को लेकर राज्यसभा सांसद विशंभर प्रसाद निषाद, तिन्दवारी विधायक बृजेश प्रजापति, ममता मिश्रा एडवोकेट, सपा नेता सुशील त्रिवेदी सहित कई पत्रकारों ने शिकायत की थी। इधर बृजेश प्रजापति विधायक तिंदवारी में इस मामले में प्रधानमंत्री को शिकायत भेज दी। इसके बाद यह मामला तूल पकड़ता गया।
इस संबंध में प्रधानमंत्री को भेजी गई शिकायत में भाजपा विधायक बृजेश प्रजापति ने आरोप लगाया है कि विश्वविद्यालय के पास शैक्षणिक वर्ग जिसमें सहायक प्राध्यापक, सह प्राध्यापक एवं प्राध्यापक के कुल 40 पद स्वीकृत थे और इनके भरने की अनुमति भी थी। नियमानुसार इनको भरने के लिए एक साथ रोस्टर आरक्षण विभाग के हिंदी के नाम के के क्रम में रख कर निर्धारित कर देना था। एक साथ निर्धारित हो जाने के बाद कितनी बार भी विज्ञापन किया जाता तो आरक्षण में कोई फर्क नही पड़ता। लेकिन विश्वविद्यालय ने दो बार विज्ञापन निकाला और दोनों का रोस्टर आरक्षण अलग अलग बनाया।
जिससे संयुक्त आरक्षण के हिसाब से 40 पदों में 26 पदों का आरक्षण गलत हो गया। यह इसलिए भी हो गया कि जो पद आरक्षित होने चाहिए थे वे अनारक्षित हो गए। यह बहुत सोंच समझकर दो बार रोस्टर आरक्षण अलग अलग लगा कर किया गया। दोनो विज्ञापनो का एक साथ आरक्षण निर्धारित कर विज्ञापन हो तभी नियमानुसार होगा। उनका आरोप है कि दोनों विज्ञापनों में अनारक्षित कोटे में कुल 20 पद विज्ञापित हुए थे। दोनों विज्ञापनों का परिणाम एक साथ 01 जून 2021 को घोषित किया गया, जिसकी सरकार की मंजूरी नहीं थी। घोषित परिणामों में 15 टीचर्स नियुक्त किए गए।
15 टीचर्स में 11 सिर्फ ठाकुर जाति के एवं एक क्षेत्र विशेष से रखें गए। दो लोग सीधे प्रोफेसर सब्जी विज्ञान (डा.अजीत सिंह) एवं फल विज्ञान (डा.आनंद सिंह) विभाग में नियुक्त किए गए जो आज से पहले कभी विश्वविद्यालय सिस्टम में रहे ही नहीं। एक जाति विशेष (ठाकुर) जाति को महत्व देना एक चिंतनीय विषय हैं।
सरकार को इस ओर ध्यान देना ही चाहिए एवं उच्चस्तरीय जांच शुरू करनी चाहिए। इस बारे में विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. सुरेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि विश्वविद्यालय में सभी नियुक्तियां बोर्ड के दिशा निर्देश के अनुसार की गई हैं। इनमें किसी तरह की अनियमितताएं नहीं की गई हैं। उन्होंने यह भी बताया कि जिन 16 पदों में नियुक्तियों को लेकर जो सवाल उठाए जा रहे हैं, वह गलत है। कहा कि रिक्त पदों के भरने के लिए जो विज्ञापन निकाला गया था। उनमें जब कोई अभ्यर्थी नहीं आया तो योग्यता के आधार पर दूसरे लोगों का चयन किया गया है।