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भारत में जन्मा पर इंग्लैंड में खेला क्रिकेट, 200 मैच में ठोक दिए 50 शतक और 64 फिफ्टी, फिर 27 की उम्र में लेना पड़ा संन्यास

भारत में जन्मा पर इंग्लैंड में खेला क्रिकेट, 200 मैच में ठोक दिए 50 शतक और 64 फिफ्टी, फिर 27 की उम्र में लेना पड़ा संन्यास

नॉलेज । एक ऐसा क्रिकेटर जो एक रियासत का राजा था. उसका जन्म भारत में हुआ था लेकिन उसने क्रिकेट इंग्लैंड के लिए खेला. ऐसा इसलिए क्योंकि तब भारत एक गुलाम देश था और उसकी क्रिकेट टीम नहीं थी. इस क्रिकेटर के परिवार के कई लोग क्रिकेट के मैदान में उतरे और नाम कमाने में कामयाब रहे. इस खिलाड़ी ने केवल 12 टेस्ट मैच ही खेले लेकिन इनमें 58 की औसत से रन बनाए. साथ ही एक फर्स्ट क्लास मैच में उन्होंने एक ही दिन में तिहरा शतक ठोक दिया था. विरोधी टीम दोनों पारियों में मिलाकर भी उनके अकेले के स्कोर जितने रन नहीं बना सकी थी. यहां बात हो रही है कुमार श्री दलीपसिंहजी (Duleepsinhji) की. उनका आज जन्मदिन है.

दलीप का जन्म 13 जून 1905 को गुजरात के सरोदर में हुआ था. वे जामनगर रियासत से ताल्लुक रखते थे. उनके चाचा रणजीतसिंहजी भी क्रिकेटर थे. दलीप को इंग्लैंड में मिस्टर स्मिथ कहा जाता था. उनकी तबीयत खराब रहती थी. उन्होंने आठ सीजन फर्स्ट क्लास क्रिकेट खेला और 205 मैच में 49.95 की औसत से 15485 रन बनाए. 333 रन उनका सर्वोच्च स्कोर रहा. उन्होंने 50 शतक और 64 अर्धशतक लगाए. वे गजब के स्लिप फील्डर भी थे. यहां उन्होंने 256 कैच पकड़े थे. दलीपसिंह जी 1926 में काउंटी टीम ससेक्स के साथ जुड़े थे. इसके बाद से साल 1932 तक हर साल उनका रन बनाने का औसत सबसे ज्यादा रहा. इसी दौरान साल 1930 में नॉर्थम्पटनशर के खिलाफ उन्होंने 333 रन की पारी खेली. यह रन उन्होंने साढ़े पांच घंटों के अंदर बना दिए थे. ससेक्स की ओर से यह आज भी सर्वोच्च स्कोर है. 1932 में वे इस टीम के कप्तान भी बने.


दलीप ने अपने फर्स्ट क्लास करियर में तीन बार एक मैच की दोनों पारियों में शतक लगाने का कारनामा किया. इसके तहत उन्होंने 1929 में केंट के खिलाफ 246 और 115, 1930 में मिडिलसेक्स के खिलाफ 116 और नाबाद 102, प्लेयर्स के खिलाफ 125 और नाबाद 103 रन की पारियां खेलीं. साल 1931 के सीजन में उन्होंने 12 शतक लगाए. इनमें से चार तो लगातार पारियों में बने थे. 1928 से 1931 के दौरान हर सीजन में उनके रनों की संख्या बढ़ती गई. इस दौरान हर बार उन्होंने ढाई हजार से ज्यादा रन बनाए. 1932 के बाद उन्होंने क्रिकेट छोड़ दिया. क्योंकि डॉक्टरों ने खराब सेहत के चलते ऐसा करने से मना किया था.


इंग्लैंड के लिए उन्होंने 12 मैच खेले. इस दौरान ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पहले ही टेस्ट में 173 रन की पारी खेली. उन्होंने टेस्ट करियर में 12 मैच में 58.52 की औसत से 995 रन बनाए. उन्होंने कुल तीन शतक और पांच अर्धशतक लगाए और 173 रन उनका सर्वोच्च स्कोर रहा. बीमारी के चलते 27 साल की उम्र में ही उन्हें संन्यास लेना पड़ा. क्रिकेट छोड़ने और भारत की आजादी के बाद वे 1949 में वे ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में भारत के हाई कमिश्नर रहे.