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इस महिला ने 55 साल पहले किया था हैंड सैनिटाइजर का ‘अविष्कार’, आज कोरोना महामारी से बचाने में है मददगार
अनोखी दास्तान : चीन के वुहान शहर से शुरू हुआ कोरोना वायरस आज पूरी दुनिया के लिए एक गंभीर खतरा बन चुका है. यह महामारी अब तक करोड़ो लोगों की जान ले चुका है. इस बीमारी के खौफ से लोग न्यू-नार्मल लाइफ जीने को मजबूर है. इसके तहत मास्क, सेनिटाइजर जैसी चीजें लोगों की आम जिंदगी का हिस्सा बन चुका है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि सैनिटाइजर का आविष्कार 55 साल पहले हुआ था.
आज कोरोना पूरी दुनिया के लिए एक गंभीर समस्या बन गयी है इसकी वजह से लाखों लोगों की मौत हो चुकी है और करोड़ों लोग संक्रमित हैं. कोरोना के गंभीर संक्रमण से बचने के लिए लगातार साबुन से हाथ धोना और सेनिटाइजर का इस्तेमाल लोगों को कोरोना से बचाने में एक बड़ी भूमिका निभा रहा है, तो आइए हम आपको सेनिटाइजर के बनने की कहानी बताते हैं.
ऐसे आया हैंड सैनिटाइजर बनाने का आइडिया
यह बात शुरू होती है 1966 से जब अमेरिकी राज्य कैलिफोर्निया के बेकर्सफील्ड शहर में रहने वाली ल्यूप हर्नान्डिज (upe hernandez) नाम की एक महिला को सेनिटाइजर बनाने का आइडिया आया था, ल्यूप उस समय नर्सिंग की छात्रा थी, ल्यूप को एक दिन ख्याल आया कि किसी मरीज के पास जाने से पहले या उसके पास से आने के बाद हाथ साफ करने के लिए साबुन और पानी न हो तो क्या होगा?
बस इसी बिग आइडिया ने ल्यूप की दिमाग की बत्ती जला दी और फिर ल्यूप ने सोचा कि क्यों न कुछ ऐसा बनाया जाए, जिससे हाथों से कीटाणु मर जाए और जो साबुन से कुछ अलग हो और बिना पानी के भी काम चल जाए! ऐसे में ल्यूप ने अल्कोहल युक्त जेल बनाया, जेल बनने के बाद उसे अपने हाथों पर रगड़ कर देखा. उससे कीटाणुओं का भी सफाया हो गया और पानी की तरह उसे सुखाने की भी जरूरत नहीं पड़ी.
आज पूरी दुनिया ल्यूप के आविष्कार का चमत्कार देख रही है. कोरोना के बाद पूरी दुनिया में इसका इस्तेमाल होने लगा. लेकिन दुनिया को ये बहुमुल्य आविष्कार देने वाली महिला ल्यूप को बहुत कम लोग ही जानते हैं, यहां तक की ल्यूप अभी जिंदा है या नहीं इसकी जानकारी भी किसी को नहीं है, लेकिन उनका ये ‘आविष्कार’ पूरी दुनिया को फायदा जरूर पहुंचा रहा है.