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सीमा पर फिर गुस्ताखी करने की फिराक में चीन? ड्रैगन की हर हरकत पर है भारत की पैनी नजर
लद्दाख . गलवान घाटी में जून 2020 में चीन की सेना के साथ हुई झड़प के बाद से अब तक एलएसी को लेकर शांति नहीं बनी है। दोनों देशों की सेनाएं अब भी एक-दूसरे के सामने डटी हुई हैं। पूर्वी लद्दाख में जारी तनाव को कम करने की कोशिशों के बीच चीन एक बार फिर से चालबाजी पर उतर आया है। पूर्वी लद्दाख में सीमा से सटे इलाकों में उसने अपनी सैन्य गतिविधियों को बढ़ा दिया है। इन इलाकों में वह युद्धाभ्यास कर रहा है, जो उसके नापाक इरादों की ओर इशारा करते हैं। हालांकि, चीन की हर चाल पर भारत की पैनी नजर है। इस मामले से अवगत एक अधिकारी ने बताया कि चीन अपने क्षेत्र में प्रशिक्षण अभ्यास और सैन्य गतिविधियां कर रहा है। सीमा के पास जमीनी और हवाई अभ्यासों के साथ-साथ चीन के युद्धाभ्यासों पर भी भारत की नजर बनी हुई है।
अपने मंसबूों को अंजाम देने की फिराक में लगा चीन अपने अभ्यासों में कई विमानों का इस्तेमाल कर रहा है। हाल ही में भारतीय सेना ने चीन के हवाई अभ्यासों को ट्रैक किया जिसमें देखा गया कि चीन ट्रेनिंग में एक स्क्वाड्रन-प्लस चीनी लड़ाकू जेट (18 से अधिक विमान) का इस्तेमाल कर रहा है। यह अभ्यास को पिछले महीने किया गया था और इसके अलावा भारत चीनी प्रशिक्षण क्षेत्रों पर भी नजर रख रहा है जो 1 हजार किमी की गहराई पर हैं। ये वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) से 1,500 किमी दूर हैं।
भारत-चीन बॉर्डर की स्थिति में ज्यादा बदलाव नहीं देखा गया है। स्थिति पिछले साल से कुछ ज्यादा अलग नहीं है। दोनों देशों की सेनाओं के पास लद्दाख बॉर्डर में 50 हजार से 60 तक सैनिक मौजूद हैं। बता दें कि पैंगोंग त्सो सेक्टर में हुई झड़प के बाद भी तैनाती कम नहीं हुई है। लद्दाख-तिब्बत बॉर्डर पर भी कोई राहत देखने को नहीं मिली है। दोनों देशों की वायु सेना लद्दाख-तिब्बत बॉर्डर पर भी उसी तरह तैनात रहती है, जैसे पिछले साल रही थीं।
भारतीय और चीनी सेनाओं ने एक साल से अधिक समय पहले सीमा विवाद को हल करने के लिए बातचीत शुरू की थी, लेकिन दोनों पक्षों को घर्षण बिंदुओं पर तैनात सैनिकों को हटाने में ज्यादा सफलता नहीं मिली है।
विवादित सीमा पर तनाव कम करने के लिए भारतीय सेना और चीनी पीएलए ने 6 जून, 2020 से कोर कमांडर रैंक के अधिकारियों के बीच 11 दौर की बातचीत की है। सैन्य वार्ता का एकमात्र महत्वपूर्ण परिणाम नौवें दौर की वार्ता के बाद फरवरी के मध्य में पैंगोंग त्सो से अग्रिम पंक्ति के सैनिकों और हथियारों को हटाना रहा है।
ऐसा नहीं है कि भारत सिर्फ चीन की गतिविधियों पर ही नजर बनाए हुए है। भारतीय सेना भी लगातार अपनी प्रशिक्षण गतिविधियों को अंजाम दे रही है और चीन से लोहा लेने के लिए पूरी तरह तैयार हो रही है। एक अधिकारी ने कहा,“चीनी सेना अपने क्षेत्रों में प्रशिक्षण अभ्यास और गतिविधियाँ कर रही है। हम भी अपनी तरफ प्रशिक्षण गतिविधियां करते रहते हैं।”
सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवने ने 28 मई को कहा था कि उनके सैनिक हाई अलर्ट पर हैं क्योंकि चीनी सैनिकों ने एलएसी के पार अपनी मशीनों और सैनिकों की तैनाती जारी रखी है। वहां से सैनिकों को आगे के लिए तैनात किया जा सकता था।