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वैक्सीन बनाने के लिए अंडे का इस्तेमाल करती हैं कंपनियां, जानिए उस कंपनी के बारे में जो इसे तैयार करती है
नॉलेज । एक वैक्सीन निर्माता कंपनी खास तरह की बीमारी के लिए जिम्मेदार वायरस को अलग कर, कच्चे माल और शीशे वॉयल्स खरीदकर नये तरह की वैक्सीन तैयार कर रही है. लेकिन इसके लिए जो तरीका अपनाया गया है, उसे जानकर शायद आप चौंक जाएं. सामूहिक टीकाकरण के लिए इस वैक्सीन उत्पादक ने ‘अंडा’ चुना है. दरअसल, कई तरह के वैक्सीन को तैयार करने के लिए वायरस को होस्ट सेल्स की जरूरत पड़ती है. ऐसे सेल्स, जहां वो जीवित रह सकें और अपनी तादाद बढ़ा सके. मुर्गियों के अंडे में इन वायरस को ऐसा माहौल मिल जाता है, जहां वे अपनी तादाद बढ़ा सकते हैं. करीब 70 साल से ऐसा किया भी जाता रहा है.
देश की सबसे बड़ा पोल्ट्री उत्पादक Venky करीब 100 फीसदी स्पेसिफिक पैथोजेन फ्री (SPF) अंडा मुहैया कराती है. ये कंपनी अपने अंडे सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया और हेस्टर बायोसाइंस को सप्लाई भी करती है. बीते कुछ समय में इस कंपनी के अंडों की मांग बढ़ी गई है. ये अंडे कोरोना वायरस में इम्युनिटी बढ़ाने के लिए नहीं बल्कि किसी और काम के लिए इस्तेमाल हो रहे हैं.
फिलहाल SPF अंडों का इस्तेमाल कोरोना वायरस वैक्सीन तैयार करने के लिए नहीं किया जा रहा है. हालांकि, इस दिशा में भी रिसर्च जारी है. इन अंडों की इतनी मांग दो कारणों से है. एक तो आयात होने वाले अंडों के दाम में तेजी देखने को मिली है और दूसरा अन्य तरह की वैक्सीन को तैयार करने में इसका इस्तेमाल भी बढ़ा है.
वेन्की नाम की यह कंपनी हर महीने करीब 10 लाख एसपीएफ अंडों का उत्पादन करती है. इसका अच्छा-खासा हिस्सा रेबीज़ और H1N1 समेत अन्य कई तरह के फ्लू के लिए वैक्सीन को तैयार करने में काम आता है. कोविड वैक्सीन बनाने के लिए सेल रेप्लीकेशन (Cell Replication) की जरूरत होती है और ये काम सेल कल्चर (Cell Culture) की मदद से पूरा कर लिया जाता है.
SPF अंडों की कीमत उनकी संख्या और सप्लाई के आधार पर ही तय होती है. अमेरिका के लिए उत्पादकों द्वारा तय एक अंडे की कीमत 2-2.5 डॉलर प्रति अंडा है. भारत लाने पर इस स्तर के अडों पर ढुलाई और ड्यूटी भी देनी होती है. इस प्रकार इनका आयात महंगा होता है. जबकि, वेन्की एक अंडे को मात्र 1 डॉलर में कही मुहैया कराता है. 1983 में वैकसीन के लिए अंडे बनाने वाली यह इकलौती कंपनी थी. अब यह कंपनी दुनिया की चौथी सबसे बड़ी एसपीएफ अंडों की निर्माता है.
बी वी राव ने 1979 में वेंट्री बायोलॉजिकल्स के नाम से इस पोल्ट्री वैक्सीन प्रोडक्शन का काम शुरू किया था. इस तरह के अंडो के आयात पर निर्भरता से बचने के लिए उन्होंने टेक्नोलॉजी ट्रांसफर के लिए 1983 में अमेरिका से एक डील किया था. 1988 के बाद से अब पर्याप्त एसपीएफ अंडों का उतपादन कर लेता है. इसके अलावा निर्यात भी कर लेता है.
एसपीएफ अंडों के लिए मुर्गीयों को खास और शुद्ध पेडीग्री स्टॉक खिलाया जाता है. यह खाना बीमारी, अंडे के शेल की क्वॉलिटी समेत कई तरह की बातों को ध्यान में रखकर खिलाया जाता है. इसके बाद उन्हें किसी भी तरह की बीमारी के लिए चेक कर इससे मुक्त किया जाता है. पिछली तीन पीढ़ियों की मुर्गीयों में कोई बीमारी नहीं होनी चाहिए.
इस प्रकार में करीब 6 से 7 साल लग जाते हैं. मुर्गियों को उनके जीवनकाल में न तो कोई वैक्सीन लगाया जाता है और न ही कोई एंटीबायोटिक्स दी जाती है. हर सप्ताह इन मुर्गियों के ब्लड सैम्पल को 42 एंटीबॉडीज़ के लिए चेक किया जाता है. इसमें अगर कोई गड़बड़ी पाई जाती है तो पूरी प्रक्रिया को फिर से शुरू किया जाता है.