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महेश नवमी पर करें भगवान शिव की विशेष पूजा, जानिए शुभ मुहूर्त और महत्व

महेश नवमी पर करें भगवान शिव की विशेष पूजा, जानिए शुभ मुहूर्त और महत्व

हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल ज्येष्ठ माह में शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को महेश नवमी (Mahesh Navami) मनाई जाती है. आज महेश नवमी है. हिंदू धर्म ग्रंथों के मुताबिक भगवान शिव के वरदान के स्वरूप महेश्वरी समाज की उत्पत्ति हुई थी. इसलिए ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को महेश नवमी मनाई जाती है. इस दिन को महेश्वरी समाज के लोग धूम-धाम से मनाते हैं. इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा अर्चना की जाती है. आइए जानते हैं महेश नवमी से जुड़ी महत्वपूर्ण बातों के बारे में.


नवमी तिथि प्रारंभ- 18 जून 2021 रात 08 बजकर 35 मिनट पर
नवमी तिथि समापन – 19 जून 2021 शाम 06 बजकर 45 मिनट तक रहेगा.


महेश नवमी के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा अर्चना की जाती है. इस दिन भगवान शिव का अभिषेक किया जाता है. उन्हें गंगाजल, पुष्प, बेलपत्र, भांग, धतूरा आदि चीजें चढ़ाई जाती है. इस दिन विशेष रूप से शिवलिंग की पूजा की जाती है. महेश नवमी क दिन भगवान शिव का डमरू बजाया जाता है. इस दिन माता पार्वती की भी पूजा होती है. सुहागिन महिलाएं श्रृंगार का सामान चढ़ाती हैं.

महत्व

महेश्वरी समाज के लोगों के लिए महेश नवमी का दिन बहुत महत्वूर्ण होता है. इस दिन महेश्वरी समाज के लोग शिवालयों और मंदिरों में भगवान शिव की विशेष पूजा की जाती है. इस दिन धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यों का आयोजन किया जाता है.

पौराणिक कथा

पौराणिक कथाओं के अनुसार, महेश्वरी समाज के वंशज क्षत्रिय समाज के थे. एक दिन शिकार के दौरान ऋषियों ने उन्हें श्राप दे दिया. इस समय भगवान शिव ने उन्हें से श्राप से मुक्त करते हुए हिंसा का मार्ग छोड़कर अहिसां का मार्ग बताया था. महादेव ने इस समाज को महेश्वरी समाज का नाम दिया था. भोलेनाथ की बातों को मानकर महेश्वरी समाज के पूर्वजों ने क्षत्रिय समाज छोड़कर वैश्य समाज को अपनाया. इसके बाद से महेश्वरी समाज को व्यापारिक समाज के रूप में पहचाना जाता है.